- बजट में बढ़ाया जाएगा पूंजीगत व्यय

विनोद उपाध्याय
मप्र में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट 12 मार्च को विधानसभा में प्रस्तुत होगा। सरकार ने बजट की तैयारियां लगभग पूरी कर ली है। इस बार का बजट चार लाख करोड़ रुपए से अधिक का रहेगा। सिंहस्थ सहित अन्य विकास कार्यों को देखते हुए विशेष बजट प्रविधान किए जाएंगे तो सरकार पूंजीगत व्यय और बढ़ाकर 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक कर सकती है।
गौरतलब है कि किसी भी राज्य के विकास का आधार उसकी अधोसंरचना पर आधारित होता है। अधोसंरचना विकास के लिए आवश्यक होता है कि पूंजीगत व्यय बढ़ाया जाए। इससे जहां आर्थिक गतिविधि बढ़ती हैं, वहीं रोजगार के अवसर भी बनते हैं। निवेशक भी आकर्षित होते हैं। यही कारण है कि प्रदेश में पूंजीगत व्यय में लगातार वृद्धि की जा रही है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब बजट पूर्व राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ चर्चा की थी तब मध्य प्रदेश की ओर से आश्वस्त किया गया था कि अधोसंरचना विकास का काम निरंतर चलता रहेगा। इसके लिए विशेष सहायता अनुदान योजना को जारी रखा जाए। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश उन राज्यों में शामिल है,जो केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ उठाने में अपने प्रदर्शन के आधार पर आगे है। पांच वर्ष में एक लाख करोड़ के निवेश से राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रमुख शहरों में बायपास बनाए जाएंगे। इसके लिए एनएचएआइ ने सड़क विकास निगम के साथ अनुबंध भी किया है।
पूंजीगत व्यय 70 हजार करोड़ के पार
अधोसंरचना विकास के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में इसके 64,738 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है, जो आगामी बजट में 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक प्रस्तावित किया जा सकता है। प्रदेश की इस पहल की केंद्र सरकार भी प्रशंसा कर चुकी है और विशेष सहायता भी दे रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8,808 करोड़ रुपए मिलने थे लेकिन बेहतर प्रदर्शन के चलते 3,829 करोड़ रुपए अतिरिक्त दिए गए। इस वर्ष भी 15 हजार करोड़ रुपए अतिरिक्त प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
गौरतलब है कि डबल इंजन की सरकार का लाभ मप्र को लगातार मिल रहा है। आम बजट में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रविधान राज्य के लिए किए गए हैं। एक लाख 11 हजार 661 करोड़ रुपये केंद्रीय करों में हिस्सा मिलेगा तो सहायता अनुदान 45 हजार करोड़ रुपये से अधिक मिलने का अनुमान है। इस हिसाब से देखा जाए तो वर्ष 2024-25 की तुलना में वर्ष 2025-26 में 15, 908 करोड़ रुपये अधिक मिलने की संभावना है। इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने बजट का खाका खींचा है।
मप्र में चल रही बड़ी-बड़ी योजनाएं-परियोजनाएं
मप्र में अधोसंरचना विकास पर तेजी से काम चल रहा है। यहां बड़ी-बड़ी योजनाएं-परियोजनाएं चल रही हैं। सरकार का जोर इस बात पर है कि सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से काम हो। प्रदेश में देश की पहली नदी जोड़ो परियोजना केन-बेतवा, पार्वती-चंबल-कालीसिंध पर तेजी से काम चल रहा है। इन पर डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक व्यय होंगे। वहीं, विश्व की सबसे बड़ी ग्राउंड रिचार्ज परियोजना ताप्ती बेसिन के अवरोध को दूर करने की दिशा में भी काम प्रारंभ हो गया है। महाराष्ट्र सरकार के साथ मिलकर ताप्ती नदी की तीन धाराएं बनाकर राष्ट्रहित में नदी जल की बूंद-बूंद का उपयोग सुनिश्चित कर कृषि भूमि का कोना-कोना सिंचित करने की कार्ययोजना तैयार की गई है। नर्मदा नदी के जल का पूरा उपयोग करने के लिए नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण द्वारा तैयार विभिन्न योजनाओं को स्वीकृति भी दे दी गई है। इसके अलावा भी अन्य योजनाओं पर काम चल रहा है। इसके साथ ही ग्रीन एनर्जी यानी सौर ऊर्जा, पवन और जल ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी के साथ काम किया जाएगा।
22 साल से अधोसंरचना विकास पर सर्वाधिक ध्यान
प्रदेश में पिछले 22 साल से अधोसंरचना विकास पर सर्वाधिक ध्यान दिया जा रहा है। मप्र में वर्ष 2003 के पहले सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। निवेशक आने में कतराते थे और पर्यटक भी प्रतिकूल टिप्पणियां करते थे। प्रदेश की इस छवि को बदलने के लिए अधोसंरचना विकास पर सर्वाधिक ध्यान दिया गया। आज प्रदेश में पांच लाख किमी से अधिक सड़कों का जाल है। राष्ट्रीय राजमार्ग, राजकीय मार्ग, मुख्य जिला मार्ग हों या फिर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, सब बेहतर स्थिति में हैं। बिजली के मामले में मध्य प्रदेश सरप्लस स्टेट बन चुका है। प्रदेश में सौर ऊर्जा से बनी बिजली से दिल्ली मेट्रो से लेकर अन्य राज्यों में ट्रेनों का संचालन हो रहा है। सिंचाई क्षमता सात लाख से बढ़ाकर 40 लाख हेक्टेयर से अधिक की जा चुकी है, जिसे 65 लाख पहुंचाने का लक्ष्य लेकर सरकार चल रही है। इसके लिए पूंजीगत व्यय और बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। सरकार इस दिशा में कदम भी बढ़ा चुकी है।