
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र देश का वह प्रदेश है जिसमें किसानों के लिए संचालित तमाम तरह की योजनाओं में कुल मिलाकर लगभग 93 फीसदी राशि तक का अनुदान मिलता है। अब प्रदेश की माली हालत खराब होने की वजह से सरकार ने इन योजनाओं में दिए जाने वाले अनुदान में धीरे-धीरे कटौती करने का तय किया है। इसकी झलक बीते रोज हुई कैबिनेट की बैठक में दिखी। जिसमें सोलर पंपों पर अनुदान लेने वाले किसानों को बिजली बिलों में दी जाने वाली छूट को बंद करने का फैसला किया गया है। इसे इसकी शुरूआत मानी जा रही है। यों तो बैठक में अन्य विभागों से संबंधित तमाम प्रस्ताव थे, लेकिन छाया सिर्फ ऊर्जा विभाग ही रहा। यही नहीं इस विभाग के प्रजेंटेशन के समय एक बार तो यह हालात बन गए कि दो मंत्री आमने -सामने आ गए। बैठक में सौर ऊर्जा को कृषि क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना की अवधि मार्च 2024 तक की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया, लेकिन इस योजना में मिलने वाले अनुदान की राशि को कम कर दिया गया। इस वजह से अब किसानों को सोलर पंप लगाने पर फायदा कम होगा। इसके साथ ही तय किया गया है कि इन पंपों के लिए उन क्षेत्रों में अधिक फोकस किया जाए, जहां पर बिजली की समस्या अधिक रहती है। इस योजना के तहत अनुदान के लिए एक नई शर्त भी जोड़ दी गई है, जिसके मुताबिक अनुदान का फायदा किसानों को 5 एचपी के डीसी पंपों पर ही मिलेगी। इससे अधिक क्षमता का पंप लगाने पर इसका फायदा नहीं मिलेगा। खास बात यह है कि इस योजना को अभी से लागू कर दिया गया है। गौरतलब है कि अब तक इस योजना में किसानों को महज 16 फीसदी की ही राशि देनी होती थी, शेष राशि केन्द्र और राज्य सरकार बतौर अनुदान देती थी, लेकिन अब इसमें से मप्र सरकार ने अपने अनुदान की राशि को कम कर 30 फीसदी तक कर दिया है। सोलर पंप के उपयोग से प्रदूषण कम होने से पर्यावरण तो सुधरता ही है, साथ ही बिजली न आने की समस्या से भी मुक्ति मिल जाती है। यही नहीं सबसे बड़ा फायदा किसानों को बिल से छुटकारा मिल जाने के रुप में होता है।
45 हजार के घाटे में तीनों कंपनियां
दरअसल प्रदेश में बिजली वितरण का काम करने वाली तीन कंपनियां हैं। इन कंपनियों का वर्तमान घाटा 45 हजार करोड़ का है। यह हाल तब है जबकि प्रदेश सरकार द्वारा घरेलू और कृषि उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने के लिए हर साल 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का अनुदान दिया जाता है। इसमें अकेले कृषि क्षेत्र को सस्ती बिजली दने के लिए ही सरकार करीब 15 हजार करोड़ का अनुदान देती है।
पूर्व के आवेदनों पर जारी रहेगी छूट
लिए गए निर्णय के अनुसार जिन किसानों के आवेदन पूर्व से सोलर पंप लगाने के लिए जमा हो चुके हैं उन आवेदनों पर पूर्व से तय मप्र सरकार की छूट मिलती रहेगी, जबकि अब नए आने वाले आवेदनों पर नई अनुदान दर के हिसाब से राशि में छूट दी जाएगी। प्रदेश के वर्तमान में लगभग 50 हजार किसानों के आवेदन सोलर पंपों के लंबित है।
सिस्टम पर उठे सवाल
खास बात यह है कि जब ऊर्जा विभाग द्वारा प्रस्तुतीकरण दिया जा रहा था, तब एक स्वर में कई मंत्रियों ने विभाग के तहत काम कर रहीं बिजली कंपनियों के सिस्टम पर गहरी नाराजगी जताते हुए उनके सिस्टम में सुधार की कवायद नहीं किए जाने पर सवाल उठाए। मंत्रियों का कहना था कि कंपनियां अपना सिस्टम सुधारने की जगह पूरा फोकस बिजली की कीमत बढ़ाने पर रखती हैं। कंपनियों पर सवाल उठाने वाले मंत्रियों में प्रमुख रुप से बिसाहूलाल सिंह, कमल पटेल, विजय शाह, यशोधरा राजे और गोपाल भार्गव शामिल हैं।
फिर से विद्युत मंडल की उठी मांग
खास बात यह है कि आम जनता के साथ बिजली वितरण कंपनियों की कार्यशैली से प्रदेश सरकार के अधिकांश मंत्री भी नाराज हैं। यही वजह है कि बैठक के दौरान सरकार के वरिष्ठतम मंत्रियों में से एक गोपाल भार्गव ने तो यहां तक कह दिया कि तीनों बिजली कंपनियों को एक कर दिया जाना चाहिए। पूर्व में जब प्रदेश में विद्युत मंडल था तब उसके द्वारा सरकार को पैसा दिया जाता था,लेकिन कंपनियां बनने के बाद उलटा सरकार को उन्हें बड़ी रकम देनी पड़ रही है।