
- ग्रामीण क्षेत्रों के पर्यटन को सरकार देगी बढ़ावा …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। लॉकडाउन के दौरान पलायन का दंश झेल चुके गांवों में ही लोगों को रोजगार मुहैया करने के लिए सरकार ग्रामीण पर्यटन पर जोर दे रही है। सरकार की मंशा है कि गांवों के पर्यटन स्थलों को संवारकर पर्यटकों को आकर्षित किया जाए। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पहले दौर में 25 करोड़ रूपए खर्च कर छिंदवाड़ा, छतरपुर, इंदौर सहित पांच जिलों में कलस्टर तैयार किए जा रहे हैं, जो स्थानीय के साथ ही प्रदेश के बाहर के पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। गौरतलब है कि मप्र के गांवों में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इसको देखते हुए सरकार ने ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है।
यह केंद्र सरकार की योजना है। योजना के तहत संबंधित जिलों के चयनित गांवों में पर्यटकों के लिए सुविधाएं विकसित करने पर 25 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की भी तैयारी है।
पलायन रोकने का प्रयास…
ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के पीछे सरकार की मंशा रोजगार की तलाश में गांवों से होने वाले पलायन को रोकना है। पिछले 20 सालों में शहरों की आबादी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2011 के आंकड़ों को देखें, तो यह 30 फीसदी से ज्यादा थी, जो जल्द ही 40 फीसदी के आसपास पहुंच जाएगी। इसे लेकर सरकारें चिंता में हैं। क्योंकि शहरी आबादी बढ़ने की मुख्य वजह रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाला पलायन है। इसे रोकने का एक ही उपाय है कि ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसी उद्देश्य से ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा की गई है। क्योंकि चकाचौंध भरे जीवन से ऊब चुके लोग अपनी थकान उतारने के लिए अब गांवों की ओर भाग रहे हैं। कच्चे घरों में रुकना, कंडे और लकड़ी की आग से तैयार भोजन करना और खेतों की मेड़ों पर घूमना उन्हें पसंद आ रहा है, पर सुविधाओं का अभाव उन्हें रोकता है, इसकी भरपाई करने और माहौल को भुनाने में सरकारें जुट गई हैं। वे पर्यटकों को गांवों में ऐसा माहौल तैयार करके देंगी कि पर्यटक एक बार आए, तो दूसरे वार आने के लिए न सोचे।
गांवों के समूह बनाकर योजना का होगा विस्तार
राज्य सरकार भी चरणबद्ध तरीके से ग्रामीण पर्यटन पर काम कर रही है। पहले चरण में सीधी जिले सहित पन्ना-खजुराहो और ग्वालियर-ओरछा में समूह बनाए जा रहे हैं। यह जिम्मेदारी पर्यटन बोर्ड निभा रहा है। बोर्ड दिल्ली और उत्तर प्रदेश के पर्यटकों के लिए ओरछा, खजुराहो, महाराष्ट्र के पर्यटकों के लिए छिंदवाड़ा, बैतूल, गुजरात के पर्यटकों के लिए इंदौर संभाग के जिलों में गांवों के समूह तैयार कर रहा है। जबकि जनजातीय समूह के लिए डिंडोरी, बुरहानपुर, मंडला, झाबुआ, बैतूल, उमरिया जिले के गांव चयनित किए जा रहे हैं।
ग्रामीण परिवेश का मिलेगा पूरा मजा
छिंदवाड़ा, छतरपुर, इंदौर सहित पांच जिलों में जो क्लस्टर तैयार किए जा रहे हैं, उनमें ग्रामीण परिवेश का पूरा मजा मिलेगा। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत विकसित की जा रही सुविधाओं में पर्यटकों के लिए घरों का चयन होगा, जहां वे रुक सकें, कोदों-कुटकी, मक्का, बाजरा जैसे मोटी फसलों का आहार तैयार करने की सुविधा होगी। पर्यटक आसपास घूम सकें, इसका प्रबंध होगा। उन्हें आसपास के प्रसिद्ध धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों का भ्रमण कराया जाएगा। इससे ग्रामीणों की तरह (रसोइया, टूर गाइड सहित अन्य) काम मिलेंगे। इसके लिए ग्रामीण पर्यटन समितियां साहसिक गतिविधि सहित ये सभी सुविधाएं गांव की संस्कृति के अनुरूप विकसित करेंगी। पर्यटकों के लिए रात्रि विश्राम, भ्रमण, आटो-टैक्सी, गाइड और वाहन पार्किंग सहित अन्य दरें तय करेंगी। सरकार को सोच है कि पर्यटक गांवों में जाएंगे, तो वे देश की संस्कृति को नजदीक से देख सकेंगे। उसे समझ सकेंगे और बच्चे उसे अपना सकेंगे। वहीं स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। क्योंकि उनके वे उत्पाद आसानी से अच्छे दाम में बिक जाएंगे, जिन्हें छोटे बाजारों में भी ग्राहक नहीं मिलते हैं। यही उत्पाद कुछ संस्थाएं या लोग खरीदकर बड़े बाजारों में महंगे दामों में बेचते हैं। ग्रामीण कई तरह के खाद्य पदार्थ, खिलौने, कपड़े सहित अन्य उत्पाद तैयार करते हैं।