राज्य भंडार गृह निगम बनाएगा 3500 दुकानें, जल्द बुलाई जाएंगी निविदा
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश की 26 हजार उचित मूल्य की राशन दुकानें अब बहुउद्देशीय होंगी। इन पर उपभोक्ताओं की आवश्यकता का सभी सामान मिलेगा। इसके लिए सहकारिता विभाग ने तैयारी प्रारंभ कर दी है। उधर, दुकानों को व्यवस्थित रूप देने के लिए राज्य भंडार गृह निगम ने 100 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। इससे 3500 से ज्यादा दुकानें पहले चरण में बनाई जाएंगी। इसके लिए निविदा बुलाने की तैयारी चल रही है। प्रयास यह है कि स्थानीय स्तर पर ही निर्माण एजेंसी मिल जाए। दुकानों में भंडार गृह भी होगा। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली में वितरित होने वाला खाद्यान्न तीन माह के लिए भंडारित करके रखा जाएगा।
प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से प्रतिमाह उचित मूल्य की दुकानों से पांच करोड़ छह लाख उपभोक्ताओं को खाद्यान्न वितरित किया जाता है। इस नेटवर्क का उपयोग ग्रामीण और शहरी उपभोक्ताओं को शासन की अन्य योजना का लाभ दिलाने और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए किए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके अंतर्गत दुकानों को बहुउद्देशीय बनाया जा रहा है। इन दुकानों पर कामन सर्विस सेंटर की स्थापना की जा रही है, ताकि आवेदन करने, जाति प्रमाण पत्र बनवाने से लेकर अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति स्थानीय स्तर पर हो जाए। साथ ही दुकानों पर वे सभी सामग्रियां भी उपलब्ध होंगी, जो दैनिक उपयोग में आती हैं। इसके लिए सहकारिता विभाग प्रक्रिया कर रहा है। वहीं, दुकानों को व्यवस्थित रूप देने के लिए पहले चरण में भंडार गृह निगम 3500 दुकानें बनाएगा। अभी 26 हजार में से करीब 18 हजार दुकानें ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
बहुत सी पंचायत भवन या अन्य किसी भवन में संचालित हैं। इन्हें व्यवस्थित रूप देने के लिए चरणबद्ध तरीके से निर्माण कार्य कराया जाएगा। निगम के प्रबंध संचालक दीपक सक्सेना ने बताया कि दुकान निर्माण में बीस प्रतिशत राशि निगम लगाएगा और 80 प्रतिशत निवेशक को लगानी होगी। भूमि शासन की होगी। इसमें एक गोदाम, दो दुकानें बनेंगी। एक दुकान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए होगी और एक निवेशक किराये पर दे सकेगा या स्वयं संचालित करेगा। भंडार गृह में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का खाद्यान्न रखा जाएगा। इसके बदले में निवेशक को प्रतिमाह किराया दिया जाएगा। यह 15 साल तक देय होगा। इसके बाद निर्मित संपत्ति निगम की होगी। इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा और दुकानों को एक स्वरूप भी मिल जाएगा।