- किसानों को अधिक लाभ पहुंचाने की कवायद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में सरकार की कोशिश है कि खेती-किसानी को लाभ का धंधा बनाया जाए। इसको देखते हुए सरकार ने किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने की नीति पर काम करना शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में मप्र सरकार ने विधानसभा चुनाव 2023 के संकल्प पत्र में किसानों से किए गए वादे पूरे करने का फार्मूला बदल दिया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस देने की बजाय सरकार किसानों को बोवनी के रकबे के हिसाब से प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि देगी।
धान उत्पादक किसानों को 2 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर बोनस देने का फैसला सरकार कर चुकी है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट की हरी झंडी मिल गई है। सरकार ने चुनावी संकल्प पत्र में 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया था। अभी तक 6.23 लाख किसानों से 40 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीदी हुई। किसानों के खातों में अभी तक 6489 करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए। धान का उपार्जन 23 जनवरी तक होगा। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि सरकार धान के बाद गेहूं उत्पादक किसानों को भी रकबे के आधार पर बोनस देने की तैयारी कर रही है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग इस बात पर विचार-विमर्श कर रहा है कि गेहूं उत्पादक किसानों को प्रति हेक्टेयर कितना बोनस दिया जाए? इस बात पर भी मंथन चल रहा है कि गेहूं खरीदी पर प्रति क्विंटल बोनस देने और प्रति हेक्टेयर बोनस देने से सरकार पर कितना अतिरिक्त व्यय आएगा? सरकार ने चुनावी संकल्प पत्र में गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने का वादा किया था। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के लिए आज से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं।
संकल्प पत्र में थे किसानों के दो प्रमुख वादे
दरअसल, भाजपा ने चुनावी संकल्प पत्र में किसानों से दो प्रमुख वादे किए थे। इनमें धान 3100 रुपए और गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदने के वादे शामिल थे। चुनाव के बाद जैसे ही भाजपा फिर से सत्ता में आई कांग्रेस समेत किसान संगठनों ने सरकार पर किसानों से किए गए वादे पूरे करने की मांग शुरू कर दी, लेकिन पिछले साल सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर पाई। इसकी वजह सरकार की वित्तीय स्थिति कमजोर होना है। मप्र सरकार पर 4 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। किसानों से संकल्प पत्र में किए गए धान और गेहूं खरीदी के वादे पूरे करने पर सरकार को किसानों को हजारों करोड़ रुपए का भुगतान किसानों को करना होगा, जो फिलहाल सरकार के लिए संभव नहीं है। यही वजह है कि सरकार ने किसानों से किए गए वादों को पूरा करने का फार्मूला बदल दिया है।
नया फॉर्मूला दोनों के लिए लाभकारी
सरकार ने किसानों के लिए जो नया फॉर्मूला बनाया है वह दोनों (सरकार और किसानों)के लिए लाभकारी होगा। अब प्रति क्विंटल की बजाय बोवनी के रकबे के आधार पर बोनस देने का निर्णय लिया गया है। धान का औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 से 50 क्विंटल होता है। धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि संकल्प पत्र में 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया गया है। इस तरह धान खरीदी पर सरकार को किसानों को प्रति क्विंटल 800 रुपए अतिरिक्त भुगतान करना होता, जो प्रति हेक्टेयर 32,000 से 40,000 रुपए होता, जबकि अब सरकार को प्रति हेक्टेयर सिर्फ 2000 रुपए भुगतान करना होगा। इस तरह बोवनी के रकबे के आधार पर भुगतान के फैसले से सरकार के जहां हजारों करोड़ रुपए बचेंगे, वहीं किसानों को इतनी ही बड़ी राशि का नुकसान होगा।
अब ड्रोन से फसल सर्वेक्षण
सीएम डॉ. मोहन यादव ने सिवनी में एक कार्यक्रम में कहा था कि धान बोनस के वितरण में समस्याओं को रोकने के लिए अब ड्रोन से फसल सर्वेक्षण किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी किसान इस लाभ से वंचित न रहे। सरकार किसानों की कठिनाइयों को समझते हुए बोनस की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर करेगी। सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में पिछले साल 3 जनवरी को जबलपुर में हुई कैबिनेट की बैठक में रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई थी। बैठक में मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति किलो 10 रुपए प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया गया था। तैयारियां मुकम्मल नहीं हो पाने के कारण सरकार इस साल प्रदेश में किसानों से मिलेट्स (कोदो-कुटकी) की खरीदी नहीं कर पाई। फिर सरकार ने गत अक्टूबर किसानों को प्रति किलो 10 रुपए बोनस देने के स्थान पर मिलेट्स पर प्रति हेक्टेयर 3900 रुपए बोनस देने का निर्णय लिया है। सरकार जल्द ही मिलेट्स उत्पादक किसानों को कोदो-कुटकी की खरीदी किए बगैर करीब 40 करोड़ रुपए बोनस का भुगतान करेगी।