एक तिहाई आंगनबाड़ी केन्द्रों का खर्च ही उठाएगी सरकार

आंगनबाड़ी केन्द्रों

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नवाचार की वजह से अब प्रदेश को इस साल अरबों रुपए की बचत का रास्ता खुल गया है। इसके अलावा लोगों को भी सीधे आंगनबाड़ी केन्द्रों से जुड़कर उनके संचालन करने का मौका मिला है। इसकी वजह से अब सरकार को प्रदेश की 97 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में से महज एक तिहाई यानि की 37 हजार केन्द्रों का ही खर्च उठाना होगा। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के आव्हान पर एक पखवाड़े में ही प्रदेश की करीब 60 हजार आंगनबाड़ी गोद ली गई हैं।
इन केन्द्रों का खर्च अब सरकार की जगह कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, कमिश्नर और आईजी के अलावा विधायक, सांसद, मंत्रियों, समाज के प्रमुख लोगों के हर वर्ग और क्षेत्र के लोगों द्वारा उठाया जाएगा। यह वे लोग हैं जिनके द्वारा इन केन्द्रों को गोद लिया गया है। इसकी शुरूआत हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भोपाल और सीहोर जिले में एक-एक आंगनबाड़ी केंद्र गोद लेने की घोषणा की गई थी। इसके लिए सीएम द्वारा आओ एक आंगनबाड़ी गोद लें का आव्हान नवाचार के रुप में किया गया था। उनके इस आव्हान का असर यह हुआ कि अकेल आगर मालवा जैसे छोटे जिले में तो लोगों द्वारा  एक से अधिक केंद्र गोद लेने की होड़ सी मच गई है। गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग सीएम के पास है। यही वजह है कि अब कलेक्टरों की पहली प्राथमिकता में महिला एवं बाल विकास बना हुआ है। प्रदेश में सभी कलेक्टरों द्वारा एक-एक आंगनबाड़ी केंद्र गोद लिए गए हैं। पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारी भी इस मामले में पीछे नहीं हैं। इस अभियान में विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों रुचि जरुर अभी कम बनी हुई है। इस मामले में जबलपुर के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा जिस जिले में रहे वहां एक केंद्र गोद लिया। उनके द्वारा अब तीसरे जिले जबलपुर में भी एक आंगनबाडी केन्द्र को गोद लिया गया है। यह उनका तीसरा जिला है।
सीएम ने यह किया था आव्हान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 11 जनवरी को विभाग की समीक्षा करते समय विभागीय अफसरों से एक-एक आंगनबाड़ी गोद लेने का आग्रह किया था। इस दौरान उनके द्वारा भोपाल में एक आंगनबाड़ी गोद लेंने की भी घोषणा की गई थी। इसके लिए उनके द्वारा आओ एक आंगनबाड़ी गोद लें का संदेश दिया गया था। अब सीएम के लिए दो जिलों में आंगनबाड़ी की जिम्मेदारी देने के लिए स्थान का चयन किया जा रहा है।
कुपोषण समाप्ती में समाज की सहभागिता
आंगनबाड़ी गोद लेने के लिए की पंपरा पहले भी रही है। कलेक्टर रहते वे केंद्र को गोद लेते थे , लेकिन उनके जिले से हटने के बाद भुला दिया जाता है। यही हाल अन्य अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों का है। यही कारण है कि विभाग के पास तथ्यात्मक आंकड़े तक नहीं है। अब फिर गोद लेने का अभियान प्रारंभ किया गया है, जिसकी वजह से पहली बार बड़ी सफलता मिली है कि करीब 60 हजार आंगनबाड़ी की जिम्मेदारी ली गई है। इस अभियान का सबसे बड़ा उद्देश्य कुपोषण को समाप्त करने में समाज की सहभागिता तय करना भी है।
कुछ जिलों में अब रुचि नहीं
खास बात यह है कि जहां आगर मालवा जैसे जिले में एक- एक केन्द्र को गोद लेने कई -कई लोग आगे आए हैं तो वहीं कई जिले ऐसे भी हैं जहां पर एक भी केन्द्र को गोद लेने कोई आगे नहीं आया है इनमें नीमच, रीवा, भिंड और अनूपपुर जिला शामिल है। इसी तरह से 5 से कम केंद्र में संपर्क करने वाले जिलों में जबलपुर, सतना, अशोकनगर, खरगौन शामिल है।
किस जिले में कितने आंगनबाड़ी लिए गए गोद
जिला कुल आंगनबाड़ी गोद लिए केन्द्र प्रतिशत
आगर 753 796 105.72
सिवनी 2,134 2,116 99.16
सिंगरौली 1,550 1,528 98.59
सीधी 1,903 1,843 96.85
नीमच 1,112 1,045 93.98
टीकमगढ़ 1,293 1,206 93.28
खरगौन 2,294 2,130 92.86
धार 3,858 3,517 91.17
नरसिंहपुर 1192 1079 90.53
बुरहानपुर 815 732 89.82

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