मप्र में ढाई महीने अनप्रोडक्टिव खर्चों पर रोक लगाएगी सरकार

अनप्रोडक्टिव खर्चों
  • विभाग केवल जरूरी मदों में ही कर पाएंगे खर्च

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने विभिन्न खर्चों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में अब नवीन वाहनों की खरीदी पर इस वित्तीय वर्ष की बाकी अवधि में पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। इसके साथ ही एयरकण्डीशनर समेत अन्य विलासिता संबंधी उपकरणों की खरीदी पर भी  पूरी तरह से रोक रहेगी। यह रोक 15 जनवरी से 31 मार्च तक वित्त वर्ष की समाप्ती तक जारी रहेगी। दरअसल प्रदेश की मौजूदा वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।  इससे अगले साल के बजट के लिए राशनिंग शुरू हो गई है। अनप्रॉडक्टिव खर्चों में वाहन और फर्नीचर खरीदी पर 15 जनवरी से 31 मार्च तक पूरी तरह से  रोक रहेगी। नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से इसकी शुरुआत हो पाएगी। दरअसल, अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसलिए सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में सेकंड सप्लीमेंट्री बजट ला रही है जिसमें सड़क, बिजली और पानी से जुड़े कामों के लिए राशि का आवंटन किया जाना प्रस्तावित है। विकास कार्य प्रभावित न हों, इसके लिए वित्त विभाग ने पांच विभागों को चार महीने के खर्चों के लिए 1673 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं, यह राशि पिछले साल के बराबर है। केंद्र के सहयोग से चल रही योजनाओं में किसी तरह की रोक नहीं लगाई जाएगी।  यानी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बैकवर्ड ग्रांट फंड (बीजीएफ) से चल रही योजनाओं में बराबर काम चलता रहेगा।
जरूरी कामों पर होगा खर्च
खर्चे पर यह प्रतिबंध कार्यालयीन फर्नीचर, पुस्तकें, पत्रिकाएं और लेखन सामग्री की खरीदी, आतिथ्य व्यय, मुद्रण एवं प्रकाशन, कंसल्टेंसी सर्विसेस, विशेष सेवाओं के लिये मानदेय, सुरक्षा, सफाई, परिवहन व्यवस्था, मशीन और उपकरणों का संधारण, वाहन संधारण, फर्नीचर संधारण आदि पर रहेगा। यानी जरूरी कामों पर ही खर्च किया जा सकेगा।  प्रदेश में नगरीय विकास एवं आवास विभाग में नए बन रहे आवासों और नगरीय क्षेत्रों में बरसात में खराब हुई सड़कों को ठीक करने के लिए नवंबर से मार्च तक के लिए 407 करोड़ रुपए दिए गए हैं, इसमें नवंबर से मार्च तक हर महीने 101 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सकेंगे। इस राशि में से चार बड़े नगर निगम भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के लिए 225 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा 175 करोड़ रुपए बाकी 11 नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में खर्च किए जाएंगे। वन विभाग को आगामी चार महीने के लिए 165 करोड़ रुपए -दिए गए हैं। प्रदेश में पेसा एक्ट लागू हो चुका है और उसके क्रियान्वयन के लिए आदिवासियों को वनोपज के अधिकार दिए गए हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली बोनस की राशि के लिए बजट का आवश्यक बजट दिया गया है। पंचायत चुनावों में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। ये परिणाम विधानसभा चुनाव में परिवर्तित न हो, इसे देखते हुए 23 हजार ग्राम पंचायतों में 392 करोड़ रुपए की राशि से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। पंप दुरुस्ती के साथ बकाया बिजली के बिलों का भुगतान किया जाएगा। सड़कों के काम न रुकें, इसलिए 776 करोड़ रुपए और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के लिए 600 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे अस्पताल, आंगनवाड़ी
आवश्यक श्रेणी में व्ययों को प्रतिबंध से छूट प्रदान रहेगी। विदेशी सहायता प्राप्त परियोजनाएं, केन्द्रीय क्षेत्रीय योजनाएं और प्राप्त केन्द्रीय अनुदान को प्रतिबंध से छूट रहेगी। इसके साथ ही, छात्रावास, आश्रम विद्यालय, अस्पताल, जेल, पशु चिकित्सालय और आंगनवाड़ी में लगने वाली आवश्यक दवाइयां और खास सामग्री की पूर्ति मद में भी व्यय सीमा में प्रतिबंध की छूट रहेगी। राज्य शासन ने अस्पतालों में उपचार कार्य में उपयोग में आने वाली सामग्री लिनिन, गॉज, बैण्डेज और अन्य सामग्री की खरीदी पर भी छूट प्रदान रहेगी।
अनाप-शनाप खरीदी पर भी रोक
वित्तीय वर्ष की समाप्ति के ठीक पहले  शासकीय विभागों आवंटित राशि के लैप्स होने के डर से की जाने वाली अनाप-शनाप खरीदी पर भी हर साल वित्त विभाग  तत्काल प्रभाव से रोक लगा देता है। ऐसे में अब तक बजट में मिली राशि खर्च नहीं कर पाए शासकीय विभागों के अधिकारियों का पसीना छूटने लगता है। दरअसल6 जितने बिल भुगतान के लिए तमाम विभाग बीते समय में नहीं लगाते है उससे कई गुना तक बिल अंतिम माह में लगा देते हैं।

Related Articles

अनप्रोडक्टिव खर्चों
  • विभाग केवल जरूरी मदों में ही कर पाएंगे खर्च

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की कवायद शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर वित्त विभाग ने विभिन्न खर्चों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी आदेश की तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में अब नवीन वाहनों की खरीदी पर इस वित्तीय वर्ष की बाकी अवधि में पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। इसके साथ ही एयरकण्डीशनर समेत अन्य विलासिता संबंधी उपकरणों की खरीदी पर भी  पूरी तरह से रोक रहेगी। यह रोक 15 जनवरी से 31 मार्च तक वित्त वर्ष की समाप्ती तक जारी रहेगी। दरअसल प्रदेश की मौजूदा वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।  इससे अगले साल के बजट के लिए राशनिंग शुरू हो गई है। अनप्रॉडक्टिव खर्चों में वाहन और फर्नीचर खरीदी पर 15 जनवरी से 31 मार्च तक पूरी तरह से  रोक रहेगी। नए वित्तीय वर्ष यानी 1 अप्रैल 2023 से इसकी शुरुआत हो पाएगी। दरअसल, अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इसलिए सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में सेकंड सप्लीमेंट्री बजट ला रही है जिसमें सड़क, बिजली और पानी से जुड़े कामों के लिए राशि का आवंटन किया जाना प्रस्तावित है। विकास कार्य प्रभावित न हों, इसके लिए वित्त विभाग ने पांच विभागों को चार महीने के खर्चों के लिए 1673 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं, यह राशि पिछले साल के बराबर है। केंद्र के सहयोग से चल रही योजनाओं में किसी तरह की रोक नहीं लगाई जाएगी।  यानी प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बैकवर्ड ग्रांट फंड (बीजीएफ) से चल रही योजनाओं में बराबर काम चलता रहेगा।
जरूरी कामों पर होगा खर्च
खर्चे पर यह प्रतिबंध कार्यालयीन फर्नीचर, पुस्तकें, पत्रिकाएं और लेखन सामग्री की खरीदी, आतिथ्य व्यय, मुद्रण एवं प्रकाशन, कंसल्टेंसी सर्विसेस, विशेष सेवाओं के लिये मानदेय, सुरक्षा, सफाई, परिवहन व्यवस्था, मशीन और उपकरणों का संधारण, वाहन संधारण, फर्नीचर संधारण आदि पर रहेगा। यानी जरूरी कामों पर ही खर्च किया जा सकेगा।  प्रदेश में नगरीय विकास एवं आवास विभाग में नए बन रहे आवासों और नगरीय क्षेत्रों में बरसात में खराब हुई सड़कों को ठीक करने के लिए नवंबर से मार्च तक के लिए 407 करोड़ रुपए दिए गए हैं, इसमें नवंबर से मार्च तक हर महीने 101 करोड़ रुपए ही खर्च किए जा सकेंगे। इस राशि में से चार बड़े नगर निगम भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के लिए 225 करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इसके अलावा 175 करोड़ रुपए बाकी 11 नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर परिषदों में खर्च किए जाएंगे। वन विभाग को आगामी चार महीने के लिए 165 करोड़ रुपए -दिए गए हैं। प्रदेश में पेसा एक्ट लागू हो चुका है और उसके क्रियान्वयन के लिए आदिवासियों को वनोपज के अधिकार दिए गए हैं। तेंदूपत्ता संग्राहकों को दी जाने वाली बोनस की राशि के लिए बजट का आवश्यक बजट दिया गया है। पंचायत चुनावों में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। ये परिणाम विधानसभा चुनाव में परिवर्तित न हो, इसे देखते हुए 23 हजार ग्राम पंचायतों में 392 करोड़ रुपए की राशि से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था की जाएगी। पंप दुरुस्ती के साथ बकाया बिजली के बिलों का भुगतान किया जाएगा। सड़कों के काम न रुकें, इसलिए 776 करोड़ रुपए और नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के लिए 600 करोड़ रुपए दिए गए हैं।
प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे अस्पताल, आंगनवाड़ी
आवश्यक श्रेणी में व्ययों को प्रतिबंध से छूट प्रदान रहेगी। विदेशी सहायता प्राप्त परियोजनाएं, केन्द्रीय क्षेत्रीय योजनाएं और प्राप्त केन्द्रीय अनुदान को प्रतिबंध से छूट रहेगी। इसके साथ ही, छात्रावास, आश्रम विद्यालय, अस्पताल, जेल, पशु चिकित्सालय और आंगनवाड़ी में लगने वाली आवश्यक दवाइयां और खास सामग्री की पूर्ति मद में भी व्यय सीमा में प्रतिबंध की छूट रहेगी। राज्य शासन ने अस्पतालों में उपचार कार्य में उपयोग में आने वाली सामग्री लिनिन, गॉज, बैण्डेज और अन्य सामग्री की खरीदी पर भी छूट प्रदान रहेगी।
अनाप-शनाप खरीदी पर भी रोक
वित्तीय वर्ष की समाप्ति के ठीक पहले  शासकीय विभागों आवंटित राशि के लैप्स होने के डर से की जाने वाली अनाप-शनाप खरीदी पर भी हर साल वित्त विभाग  तत्काल प्रभाव से रोक लगा देता है। ऐसे में अब तक बजट में मिली राशि खर्च नहीं कर पाए शासकीय विभागों के अधिकारियों का पसीना छूटने लगता है। दरअसल6 जितने बिल भुगतान के लिए तमाम विभाग बीते समय में नहीं लगाते है उससे कई गुना तक बिल अंतिम माह में लगा देते हैं।

Related Articles