सरकार एक अरब के घाटे में कर रही गेहूं बेचने की तैयारी

गेहूं

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश सरकार को किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं के विक्रय से पहले ही करीब एक अरब रुपए का घाटा लगना तय हो चुका है। यह वो गेहूं हैं जिसे सरकार ने दो साल पहले खरीदा था। यह घाटा सरकार को महज दो लाख टन गेहूं के बेचने में होने जा रहा है। इसके लिए टेंडर जारी किया जा चुका है।
 इसमें गेहूं विक्रय के लिए बेस प्राइस 1580 रुपए क्विंटल तय की गई है। खास बात यह है कि सरकार द्वारा इस गेहूं को 1840 रुपए क्विंटल की दर पर खरीदा गया था। इस गेहूं को मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन द्वारा विक्रय किया जा रहा है। इस तय की गई बेस प्राइज की वजह से ही 40 लाख रुपए का  घाटा लगना तय हो गया है। इसके अलावा इस पर खर्च किए गए 45 लाख रुपए का घाटा अलग से होना भी तय हो गया है। इस राशि को बारदाने, परिवहन और भंडारण पर खर्च किया गया था। गौरतलब है कि अकेले इसे खरीदने में ही सरकार द्वारा किसानों को 368 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था, जबकि अभी विक्रय के रुप में महज 320 करोड़ मिलने का अनुमान है।
इसकी नीलामी में अफसरों द्वारा बड़ा खेल किए जाने की बात कही जा रही है। इसकी वजह है करीब 48 करोड़ रुपए घाटे वाली बेस प्राइस वाले गेहूं विक्रय के जारी टेंडर में ऐसी शर्तें रखी जाना, जिनकी पूर्ति देश की एक या दो चुनिंदा कंपनियां ही पूरी कर सकती हैं। इसके अलावा खास बात यह है कि यही गेहूं फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) ने बेचने के लिए रिजर्व प्राइस 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल रखी है। इसकी वजह से स्टेट सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन की बेस प्राइस पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं।
मिलर्स ने की शिकायत
प्रदेश के मिलर्स एसोसिएशन ने सीएम शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर शिकायत की है। जिसमें कहा गया है कि जब एफसीआई प्रदेश से खरीदे गेहूं को 2 हजार रुपए क्विंटल में बेच रहा है तो बाकी गेहूं को घाटे में क्यों बेचने की तैयारी की गई है। इसके साथ ही टेंडर में शामिल की गईं नियम-शर्तों  पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। उनका कहना है कि इस वजह से प्रदेश की कोई कंपनी इसमें शामिल ही नहीं हो सकेगी।
इस तरह की शर्तें की गई हैं तय
< कंपनी की मासिक उत्पादन क्षमता 25 हजार मीट्रिक टन होने के साथ ही उसकी नेटवर्थ 100 करोड़ रुपए होना जरुरी।
< दो लाख टन गेहूं खरीदने के लिए सात दिन में 300 करोड़(90 फीसदी राशि) जमा कराना अनिवार्य किया गया है।
< एफसीआई द्वारा खुले बाजार में 2000 रुपए प्रति क्विंटल (रिजर्व प्राइस) में गेहूं बेचेगा। वहीं प्रदेश में 1580 रुपए क्विंटल में कंपनियों को ही बुलाया गया है।
7 लाख टन गेहूं का है स्टॉक
मप्र में दो साल पहले वर्ष 19-20 में समर्थन मूल्य पर 10 लाख किसानों से 77 लाख टन गेहूं की खरीदी की गई थी। इसमें से केन्द्रीय पूल के तहत एफसीआई ने 70 लाख टन गेहूं उठाया है, जिसकी वजह से प्रदेश के गोदामों में 7 लाख टन गेहूं रखा है। इसी में से 2 लाख टन गेहूं बेचने के लिए सिविल सप्लाइज कार्पोरेशन द्वारा टेंडर जारी किया गया है।

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