- सर्वे की कार्रवाई के बाद आयकर विभाग ने किया बड़ा खुलासा
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में आयकर विभाग की कार्रवाई में बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य सरकार के माइनिंग दफ्तरों पर आयकर विभाग की सर्वे की कार्रवाई में करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी मिली है। सरकार के अफसर ही टैक्स चोरी कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक अफसरों ने करोड़ों रुपये का टैक्स कलेक्शन एट सोर्स डकार लिया। साथ ही करोड़ों रुपये की टीसीएस चोरी हुई है। राज्य सरकार को आयकर विभाग रिपोर्ट देगा कि कैसे अफसर ही करोड़ों की चोरी कर रहे हैं। माइनिंग विभाग के अफसरों की कई तरह की कर चोरी पकड़ी गई है। आयकर विभाग को टैक्स चोरी से अवैध खनन के सबूत भी मिले है। पहली बार आयकर विभाग ने राज्य सरकार के किसी विभाग पर इतनी बड़ी कार्रवाई की है। ईडी के खुलासे के बाद पूरा मामला साफ हो जाएगा।
जानकारी के अनुसार टैक्स चोरी के मामले में माइनिंग अफसर भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। सर्वे की कार्रवाई में ज्यादातर जिलों में टैक्स को लेकर अनियमितताएं मिली हैं। केवल सिंगरौली में ही 2 हजार करोड़ की रॉयल्टी पर टैक्स माइनिंग अफसरों द्वारा (टीसीएस) नहीं काटा गया। भिंड में तो माइनिंग दफ्तर ने टैक्स काट लिया ,लेकिन आयकर विभाग में जमा ही नहीं कराया। 7 साल से वह अपने पास ही रखे हुए थे। ऐसे डिफॉल्टरों पर अब प्रॉसीक्यूशन की तलवार लटकने लगी है। इससे माइनिंग अफसरों में हड़कंप की स्थिति है। 3200 करोड़ रुपए की रॉयल्टी पर टैक्स वसूली निकल रही है।
टीसीएस जमा नहीं कराया
आयकर अधिनियम के तहत यह प्रावधान है कि यदि टैक्स की राशि 25 लाख रुपए से ज्यादा है और उसे 60 दिन से अधिक रोक लिया गया है तो संबंधित डिफाल्टर पर प्रॉसीक्यूशन (अभियोजन) की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में कई जिले के अधिकारी आ रहे हैं। खनिज मुख्यालय से बरामद दस्तावेजों में यह स्पष्ट हुआ है कि खनिज की रॉयल्टी और अवैध उत्खनन को रेगुलर किए जाने के बाद वसूली गई रिवेन्यू पर जो टीसीएस आयकर को जमा करना था उसे जमा नहीं कराया गया। आयकर विभाग के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर मोहनिश वर्मा के नेतृत्व में आयकर विभाग की टीडीएस विंग ने भिंड, सीहोर, सिगरौली और अनूपपुर में एक साथ औचक निरीक्षण कर सर्वे किया था। इस कार्रवाई में जो दस्तावेज और टैक्स चोरी के प्रमाण मिले उसके बाद आयकर विभाग की टीम ने खनिज साधन विभाग के मुख्यालय पर अचानक दबिश डाल दी। छानबीन के दौरान इस बात का इस बात का खुलासा हुआ कि विभाग द्वारा वसूली गई 3200 करोड़ रु. की रॉयल्टी पर 2 प्रतिशत टीसीएस आयकर में जमा नहीं कराया। 64 करोड़ रु. की यह राशि ब्याज और जुर्माने के बाद करीब 100 करोड़ रुपए बन रही है।
रॉयल्टी और डीएमएफ पर टीसीएस में गड़बड़ी
छानबीन के दौरान यह भी पता चला कि माइनिंग परिवहन, स्टोरेज, उत्खनन और डीएमएफ के मामले में भी लापरवाही हुई है। खनिज विभाग ने टैक्स राशि का यह फंड कहीं दूसरी मद में डायवर्ट तो नहीं कर दिया है इसकी छानबीन अभी हो रही है। भिंड जिले में टीसीएस काटकर बैठे रहे और 7 साल तक राशि आयकर को नहीं भेजी गई। अमानत में खयानत संबंधी इस मामले में अभियोजन के अलावा ब्याज और जुर्माना सहित करीब 18 करोड़ रुपए से अधिक की रिकवरी निकल रही है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में खनिज साधन विभाग ने रॉयल्टी और डीएमएफ पर टीसीएस काटा नहीं या फिर काट कर अपने पास ही रख लिया। इससे कलेक्टरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। इंदौर में 6 साल से 1 करोड़ रुपए पड़ा था, जिसे आयकर में जमा नहीं कराया गया। अब यह राशि 1.30 करोड़ हो गई, 30 लाख रुपए का जुर्माना किसकी जेब से जाएगा इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं। ऐसे ही अन्य जिलों की स्थिति है। आयकर विभाग में समय पर टैक्स जमा नहीं कराए जाने के दायरे में कमोबेश 4 दर्जन जिले आ रहे हैं। जबलपुर, इंदौर, सीधी, सीहोर, भिंड, सिंगरौली, अनूपपुर और दमोह जिलों में यह अनियमितताएं ज्यादा मिली हैं।
05/03/2023
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