भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। आम आदमी को सरकारी नौकरी के लिए भले ही फार्म भरने से लेकर साक्षात्कार तक की एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना होता है, लेकिन अगर अब मंत्री के खासम-खास हैं तो फिर अब तक चिंता करने की जरूरत नहीं रहती है, लेकिन अब इस पर रोक लगाने की तैयारी कर ली गई है। अगर ऐसा होगा तो मंत्रियों के बंगलों पर माली, कुक, चपरासी, ड्राइवर और बाबू के रूप में सेवाएं देने वाले लोगों को भी सरकारी नौकरी में बैकडोर से प्रवेश नहीं मिल सकेगा। दरअसल इस तरह की प्रथा को रोकने के लिए अब शासन सख्त कदम उठाने जा रहा है। इस वजह से योग्य उम्मीदवार को ही सरकारी नौकरी के लिए सीधे रिक्त पदों पर भर्ती होने का रास्ता साफ हो जाएगा। दरअसल प्रदेश में मंत्रियों को अपने कार्यकाल में आधा दर्जन कर्मचारियों को अपनी पदस्थापना में रखने का अधिकार होता है। यह वे कर्मचारी होते हैं, संबंधित मंत्रियों की पसंद होते हैं और उनके बंगलों पर सेवा का काम करते हैं। इन कर्मचारियों को मंत्रियों द्वारा अपना कार्यकाल समाप्त होते ही या फिर अगले चुनाव के पहले मंत्री सामान्य प्रशासन विभाग को नोटशीट लिखकर विभाग में संविलियन करवाकर शासकीय सेवा में मर्ज करवा दिया जाता है। इसकी वजह से वे पूरी तरह से सरकारी नौकरी में स्थाई रूप से आ जाते हैं। मंत्रालय में अब तक ऐसे 400 से ज्यादा कर्मचारियों की सेवाएं नियमित हो चुकी हैं। नई व्यवस्था के तहत मंत्री पदस्थापना के कर्मचारियों में नियमित भर्ती के जरिए नियमित किए जाने पर विचार किया जा रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अब इस तरह की तैयार की जा रही योजना
शासन इसमें फेरबदल के लिए नई योजना तैयार कर रहा है। इसके लिए अब कर्मचारियों को संबंधित एजेंसियों या विभाग स्तर पर ही भर्ती निकालकर परीक्षा के द्वारा नियमित किया जाएगा। इससे अन्य लोगों को भी सरकारी नौकरी में आने के मौके मिल सकेगा। इसमें किसी भी मंत्री पदस्थापना में 5 साल की सेवाएं देने पर बतौर राहत संबंधित उम्मीदवार को 10 अंकों की राहत दिए जाने का प्रावधान किया जा रहा है। अगर अभी देखें तो प्रदेश में मंत्रियों की संख्या 31 है। इस लिहाज से उनके यहां क्षेत्र से आए या अन्य कर्मचारियों की संख्या 200 के करीब है। इनमें से पिछले सालों में 50 की सेवाएं मंत्रालय सेवा में मर्ज हो चुकी हैं। 150 अभी कतार में बने हुए हैं, जिन्हें चुनाव के पहले नियमित किया जाना है।
होते है मंत्रियों के इलाके के लोग
आमतौर पर ड्राइवर, कुक, माली आदि पदों पर मंत्री द्वारा जिन लोगों को रखा जाता है , उनमें से अधिकांश उनके क्षेत्र के ही लोग होते हैं। इन लोगों को भी राजनीतिक नफे-नुकसान के आधार पर रखा जाता है। इनके वेतन के लिए राशि भी सरकार से मंत्री पदस्थापना में सरकारी खजाने से ही की जाती है। इस मामले में कई बार ये भी देखने में आता है कि काम कोई और करता है और वेतन का भुगतान किसी अन्य के नाम से किया जाता है। इस तरह के मामले अपनी पसंद या नापसंद के व्यक्ति को नियमित सरकारी नौकरी दिलाने के लिए किया जाता है।
18/10/2022
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