सरकार को नहीं है भूखे गौवंश की चिंता

 गौवंश
  • नहीं दिया जा रहा कई माह से खुराक का पैसा …

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही पिछली सरकार गौ माताओं के संरक्षण और संवर्धन की बातें करती नहीं थकी है, लेकिन वास्तविकता इससे अलग रही है। यही वजह है कि तमाम गौ शालाओं को गंभीर आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। इसकी वजह से अब गौ शालाओं में जहां नई गौ लेना लगभग बंद सा कर दिया गया है तो वहीं, कई गौ शालाओं से पशुओं को छोड़ा जाने लगा है। इसकी वजह है अब सडक़ों पर गौवंश की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है। इसकी वजह से ज्यादातर गौ शालाएं खाली हो चुकी हैं। हालात यह है कि कई गौ शालाओं के संचालकों द्वारा तो उधार के चारा और भूसा से गौमाता के पेट की भूख मिटाई जा रही है।
प्रदेश में सरकार द्वारा गौ शालाओं को 3 माह से लेकर दस माह तक से कोई राशि ही नहीं दी जा रही है। वैसे भी प्रदेश में सरकार द्वारा प्रति गौवंश सिर्फ 20 रुपए ही खुराक के लिए दिए जाते हैं, जबकि एक गाय के लिए पर्याप्त खुराक पर खर्च हर दिन सौ रुपए तक का आता है।  इधर, गौवंश को सडक़ों पर आवारा छोडऩे से न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि हर रोज कहीं न कहीं कोई न कोई हादसा होता रहता है।
हाल बेहाल
सीहोरा गौ शाला से चंद कदम दूर एक खुले पड़े 8-10 फीट गहरे गड्ढे में गाय व अन्य मवेशियों के कंकाल भरे पड़े हैं। गोशाला व गांव में जिस भी गाय की मौत होती है ,उसे खुले में लाकर गड्ढे में डाल दिया जाता है। टीकमगढ़ की मामौन पंचायत की गौशाला में बीमार गाय का इलाज करने डॉक्टर नहीं जा रहे। पूरे शरीर में कीड़े पड़ गए हैं।
सरपंच अपने पैसों से जुटा रहे चारा-भूसा
अशोक नगर की नई सराय तहसील मुख्यालय के पास ग्राम डूंगासरा रोड की पठार पर बनी गौशाला में 70 मवेशी हैं। सरपंच प्रतिनिधि रामेंद्र सिंह ने बताया कि पंचायत को जनवरी से पैसा नहीं मिला। गायों के चारे की व्यवस्था घर से करनी पड़ रही है। पोरूखेड़ी गांव में स्थित गौशाला का संचालन बांकेबिहारी समूह कर रहा है।
गौशाला में नहीं हैं मवेशी
दतिया के उनाव रोड स्थित ललउआ गांव की गौशाला में 4 से पांच दिन पुराना गोबर पड़ा है। गोवंश नहीं हैं। गौ शाला के अंदर भूसा, चारा, दाना भी नहीं है। खेत में काम कर रहे किसान ने बताया कि पहले 50-60 गायें थीं। पशुपालन विभाग के उपसंचालक डॉ. जी. दास बोले- आचार संहिता की वजह से राशि रुकी है।

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