- एक दशक से प्रदेश के कर्मचारियों का नहीं बढ़ पा रहा भत्ता
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भले ही एक दशक में मंहगाई कई गुना बढ़ चुकी है, जिसकी वजह से यात्री किराए से लेकर पेट्रोल -डीजल के दाम भी आसमान छूने लगे हैं, लेकिन सरकार की नजर में अब भी प्रदेश में महंगाई जैसी कोई बात नहीं है। शायद यही वजह है कि प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले तमाम वेतन भत्तों में बीते एक दशक से कोई भी वृद्धि नहीं की जा रही है। इसके उलट प्रदेश में विधायकों के वेतन भत्तों में जरूर महंगाई के बहाने वृद्धि की जाती रही है। उधर, वैसे भी सरकारी कर्मचारियों को हर महीने वेतन के रूप में भारी घाटा लग रहा है। इसकी वजह है उनका केंद्र के समान महंगाई भत्ता बीते एक साल से अटका होना।
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी के मुताबिक प्रदेश के कर्मचारियों को इस भीषण महंगाई में भी 12 साल से छठवें वेतनमान के बाद सितंबर 2012 से वाहन भत्ता सिर्फ 200 रुपए ही दिया जा रहा है। जबकि मकान भत्ते की बात करें तो, यह 10, 7, 5, और 3 प्रतिशत की दर से दिया जा रहा है। जो कि बहुत बड़ा अन्याय है। जबकि 2016 से सातवां वेतनमान लागू हो गया है, सातवां वेतनमान लागू होने के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वाहन भत्ता 1800 रुपए व उस पर 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलाकर 2628 रुपए का भुगतान किया जा रहा है।
मकान किराया भत्ता केंद्र के समान करने की मांग
इसके उलट प्रदेश के चार महानगर में कार्यरत कर्मचारी को मात्र 200 रुपए महीना वाहन भत्ते के रूप में दिया जाता है। जबकि पेट्रोल के दाम 108 रुपए लीटर से अधिक बने हुए हैं। उनका कहना है कि एक ही शहर में रहने वाले केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों के भत्तों में भारी अंतर है। जबकि महंगाई केन्द्र एवं राज्य कर्मचारियों सबके लिए एक समान है। राज्य में लागू वाहन एवं मकान किराए भत्ते के रूप में मिलने वाली राशि में महीने भर वाहन चलाना एवं एक अच्छा मकान किराए पर मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन रहता है। वेतन भत्तों में अंतर होने से प्रदेश के कर्मचारियों में भारी रोष व्याप्त है। तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने वाहन एवं मकान किराया भत्ता केंद्र के समान करने की मांग मुख्यमंत्री से की है।