- कई तो बगैर कलेक्टर बने रिटायर्ड होने को हो चुके मजबूर
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र मेुं पदोन्नत होकर आईएएस अफसर बनने वाले कई अफसर ऐसे हैं, जो कहने को तो सीनियर आईएएस अफसर हैं, लेकिन उन्हें कलेक्टरी करने का अब तक कोई मौका ही नहीं दिया गया है। यही नहीं कई अफसर तो ऐसे हैं, जिन्हें बगैर कलेक्टरी किए ही रिटायर्ड तक होना पड़ गया है। ऐसे अफसरों की संख्या एक दर्जन तक पहुंच चुकी है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अगले दो सालों में यह संख्या दर्जनों में हो जाएगी। इसके उलट कई अफसर ऐसे हैं जो लगातार मैदानी पदस्थापना पा रहे हैं। प्रदेश में यह हाल तब हैं, जबकि आईएएस बनने वाले अफसरों की तमन्ना कलेक्टर बनने की होती है। जो सीनियर आईएएस अफसर अब तक कलेक्टर नहीं बन सके हैं , उनमें 2007 बैच से लेकर 2012 बैच तक के अफसर शामिल हैं। ऐसे अफसरों की संख्या करीब डेढ़ दर्जन है। यह तो वे अफसर हैं जो राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस बने हैं। दरअसल इन अफसरों के बारे में कहा जाता है कि इनकी सरकार में पकड़ कमजोर हैं और प्रशासन में भी उनका कोई प्रभावशाली आका नहीं है, जिसकी वजह से ही उनकी कलेक्टरी के लिए कोई पूछ परख नहीं की जा रही है। इसके अलावा राप्रसे से आईएएस अधिकारी बनने वाले अधिकांश अफसरों को एक ही बार कलेक्टर बनने का मौका मिल सका है। इसमें अपवाद स्वरुप एक दो सीधी भर्ती के आईएएस अफसर भी शामिल हैं। यह बात अलग है कि पूर्व में कुछ पदोन्नत होकर आईएएस अफसर सरकार के बेहद खास रहे, जिसकी वजह से वे न केवल कई जिलों के कलेक्टर बनते रहे हैं, बल्कि बेहद महत्वपूर्ण और मलाईदार जगहों पर भी पदोन्नत होकर पदस्थ होते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अभी आईएएस संवर्ग में 439 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 133 पद पदोन्नति से भरे जाते हैं। वर्तमान में जिलों में 2010 बैच से लेकर 2013 बैच तक के आईएएस अधिकारी कलेक्टर बनाए गए 2013 बैच में सीधी भर्ती के अधिकारी शामिल हैं, तो 2010 बैच के अधिकारी प्रमोटी हैं। यहां तक की 2007 और 2008 बैच के कई आईएएस आज तक कलेक्टर नहीं बन सके हैं। अमर पाल सिंह तो ऐसे भी अधिकारी रहे हैं, जो तीन माह भी कलेक्टर नहीं रह सके। वहीं 2011 बैच में सीधी भर्ती की आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या तो कलेक्टर भी नहीं बनाई गई, बल्कि उन्हें अपर सचिव वेतनमान भी नहीं मिला है।
इन अफसरों का इंतजार नहीं हो रहा समाप्त
जिन अफसरों का कलेक्टर बनने का इंतजार समाप्त होने का नाम नहीं ले रहा है, उनमें 2007 बैच की बेला देवर्षि शुक्ला, 2008 बैच के चंद्रशेखर वालिंबे, उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला, 2009 बैच के आशीष कुमार, 2010 बैच की सपना निगम, अशोक कुमार चौहान, सुरेश कुमार, विनय निगम, मीनाक्षी सिंह, 2011 बैच के गिरीश शर्मा, सरिता बाला प्रजापति, धरणेंद्र कुमार जैन, प्रीति जैन, 2012 बैच के केदार सिंह, विवेक श्रेत्रिय, तरुण भटनागर, अरुण कुमार परमार, राजेश कुमार ओगरे, भारती ओगरे, ऊषा परमार, राजेश बाथम आदि शामिल हैं।
यह बगैर कलेक्टर बने ही हो गए रिटायर
मप्र आईएएस संवर्ग में प्रमोशन से आईएएस बने 2004 बैच के अमर सिंह बघेल, 2005 बैच के भगत सिंह कुलेश, 2006 बैच के आशकृत तिवारी, रवि डफरिया, अशोक शर्मा, पतिराम कतरोलिया, 2007 बैच के उपेंद्रनाथ शर्मा आदि आईएएस अफसर ऐसे हैं,जो बिना कलेक्टर बने ही रिटायर हो गए। खास बात यह है कि मप्र सरकार प्रमोशन से आईएएस बने अधिकारियों को मैरिट में आने पर भी कंसीडर नहीं करती है। जबकि सरकार को मापदंडों का फॉलो करते हुए प्रमोशन वाले अधिकारियों को भी कलेक्टर बनाना चाहिए।