अखिल भारतीय सेवा के अफसरों पर सरकार की नकेल

  •  शिकायत मिली तो तीन माह में होगा एक्शन
  • गौरव चौहान
अखिल भारतीय सेवा

अखिल भारतीय सेवा के अफसरों पर नकेल कसते हुए डीओपीटी ने निर्देश जारी किया है कि अगर किसी अफसर के खिलाफ शिकायत मिलती है तो उस पर 90 दिन में एक्शन लिया जाएगा। गौरतलब है की डीओपीटी द्वारा पिछले दिनों जारी एक पत्र में कहा गया है कि ऐसी गुमनाम शिकायतों पर एक्शन लेने की कोई जरुरत नहीं है, जिन पर नाम व पता नहीं लिखा होगा। ऐसे आरोपों वाली शिकायतों को सामान्य तरीके से फाइल कर दें। लेकिन शिकायत सहीं मिली तो आईएएस और आईपीएस 90 दिन में नपेंगे। भारत सरकार के सचिव, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीएमडी व पीएसई, पीएसबी के कार्यात्मक निदेशक के खिलाफ कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी और पीएमओ को अगर इस तरह की शिकायतें मिलती हैं तो कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी उनकी छंटनी करेगा। डीओपीटी के अनुसार, भारत सरकार के सचिव के खिलाफ अगर इस तरह की कोई शिकायत कैबिनेट सचिवालय, डीओपीटी या प्रधानमंत्री कार्यालय के पास आती है, भले ही वह छद्म तरीके से ही क्यों न आई हो, उसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाले समूह के पास ही भेजा जाएगा। डीओपीटी को यह निर्देश इसलिए भी जारी करने पड़ें, क्योंकि राज्यों से पीएमओ, डीओपीटी में लगातार शिकायतें मिलती रहती हैं।
गौरतलब है कि सरकार का फोकस अखिल भारतीय सेवा के अफसरों तथा अन्य अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को स्वच्छ बनाने पर है। ऐसे में डीओपीटी ने कई तरह की गाइड लाइन बना रखी है। इसी के तहत अब फैसला लिया गया है कि अगर अखिल भारतीय सेवा के अफसरों के खिलाफ शिकायत सही मिली तो उन पर हर हाल में एक्शन होगा। भारत सरकार अथवा राज्य सरकार में सचिव या उसके समकक्ष अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस शिकायत मिलती है तो उसकी जांच होगी और 90 दिन के भीतर ऐसे अधिकारी नपेंगे। ऐसे मामलों में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला समूह यानी ग्रुप ऑफ सेक्रेटरी कार्रवाई करेगा। डीओपीटी ने कहा-ऐसी गुमनाम शिकायतों पर एक्शन लेने की कोई जरूरत नहीं है, जिन पर नाम व पता नहीं लिखा होगा। किसी शिकायत में लगाए गए आरोप अस्पष्ट हैं तो उसे शिकायत कर्ता की पहचान किए बिना ही समाप्त किया जा सकता है।
राज्य सरकारें भी प्रक्रिया का करेंगी पालन
केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के विरुद्ध मिलने वाली ऐसी शिकायतें, जिनका संबंध आईएएस, आईपीएस तथा आईएफएस अधिकारियों या केंद्र सरकार के कर्मचारियों से है और वे राज्य सरकारों से जुड़े मामले देख रहे हैं, इस स्थिति में उस शिकायत को संबंधित राज्य सरकार के पास भेजा जाएगा। राज्य सरकार पेरा 5 व पेरा 6 के तहत उस शिकायत पर कार्रवाई कर सकती है। राज्य सरकार जब उस अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ मिली शिकायत की जांच करने के निर्णय पर पहुंचती है तो 15 दिन के भीतर शिकायत की कॉपी, उस अधिकारी या कर्मचारी को देनी चाहिए, जिसके खिलाफ जांच की जानी है। शिकायत मिलने के बाद जब मंत्रालय या विभाग ये तय कर लेता है कि अब मामले की जांच की जाएगी तो यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी करनी होगी। इसके लिए सभी मंत्रालयों और विभागों में रिव्यू कमेटी गठित की जाएगी। एडीशनल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी, रिव्यू कमेटी को हेड करेगा। संबंधित मंत्रालय का सीवीओ और ज्वाइंट सेक्रेटरी एडीशनल सेक्रेटरी इनचार्ज, कमेटी में बतौर सदस्य शामिल होंगे। रिव्यू कमेटी मासिक बैठक कर उन सभी शिकायतों को निपटाने का प्रयास करेगी, जिनमें दो माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। उस मामले में पेरा 8 के तहत राज्य सरकारें भी इसी प्रक्रिया का पालन करेंगी।
आपकी शिकायतों को नहीं लौटा सकेंगे मंत्रालय-विभाग
केंद्र सरकार ने शिकायत निवारण को समयबद्ध, सुलभ और सार्थक बनाने के लिए प्रभावी शिकायत निवारण की समयसीमा घटाकर 21 दिन कर दी गई है। बता दें कि इससे पहले शिकायत निवारण की समयसीमा 30 दिन थी। वहीं नए निर्देश के अनुसार जिन मामलों में शिकायत निवारण में अधिक समय लगने की संभावना है, वहां नागरिकों को अंतरिम जवाब दिया जाएगा। सरकार के निर्देश के अनुसार सभी मंत्रालयों-विभागों में लोक शिकायतों के लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी जो शिकायतों का शीघ्र, निष्पक्ष और कुशलतापूर्वक समाधान करेंगे। वहीं शिकायतों का बोझ अधिक होने वाले मंत्रालयों-विभागों में समर्पित नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए जाएंगे। इसका मतलब यह है कि किसी भी मामले में शिकायत को इस मंत्रालय-विभाग-कार्यालय से संबंधित नहीं है या इसके समकक्ष भाषा में बताकर बंद नहीं किया जाएगा। यदि शिकायत का विषय प्राप्त करने वाले मंत्रालय से संबंधित नहीं है, तो इसे सही प्राधिकारी को हस्तांतरित करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें कहा गया कि जिन मंत्रालयों/विभागों में बड़ी संख्या में जन शिकायतें प्राप्त होती हैं, वहां स्वतंत्र प्रभार के साथ पर्याप्त पद पर एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करने की सलाह दी जाती है, ताकि जन शिकायतों का समय पर और गुणवत्तापूर्ण निपटान सुनिश्चित किया जा सके।

Related Articles