64 हजार करोड़ का… कर्ज ले सकती है सरकार

  • नए वित्तीय वर्ष में सरकार ने लिया 5 हजार करोड़ का पहला लोन
  • गौरव चौहान
कर्ज

प्रदेश में विकास को गति देने के लिए सरकार पूरी तरह तत्पर है। विकास कार्यों के लिए सरकार लगातार कर्ज ले रही है। वित्त वर्ष 2024-25 शुरू होने के चार महीने बाद पहली बार कर्ज लिया है। कर्ज लेने की प्रक्रिया मंगलवार को पूरी हो गई। राज्य सरकार के आरबीआई के खाते में आज 5 हजार करोड़ रुपए आ जाएंगे। सरकार ने दो अलग-अलग कर्ज लिए हैं। कर्ज की राशि 2500-2500 करोड़ रुपए है। लोन की ब्याज दर 7.26 प्रतिशत है, जिसका भुगतान 11 साल और 21 साल में किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में सरकार की लोन लेने की अधिकतम सीमा 64 हजार करोड़ रुपए है।   सरकार ने यह लोन नियमों के अनुसार ही लिया है। नियमों के अनुसार राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार, सरकार राज्य सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक ऋण ले सकती है। वहीं, आधा प्रतिशत ऋण ऊर्जा सहित अन्य क्षेत्रों के लिए विशेष परिस्थिति में लिया जा सकता है।
वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अमूमन पिछले वर्षों में सरकार वित्त वर्ष शुरू होने के दो तीन महीने की अवधि में लोन लेती रही है। पिछले वित्त वर्ष में 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 26 मई, 2023 को लिया गया था। इस बार सरकार के पास पर्याप्त तरलता (लिक्विडिटी) होने के कारण अब तक कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ी। अब चूंकि तरलता कम हो गई है, इसलिए सरकार ने कर्ज लिया है। आने वाले महीनों में जब भी जरूरत होगी, सरकार नियमानुसार लोन लेगी। बता दें कि  सरकार का सबसे ज्यादा पैसा लाडली बहना योजना में खर्च हो रहा है। इस योजना पर हर महीने सरकार करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।  ऐसा नहीं है कि प्रदेश की मोहन सरकार पहले बार कर्ज लेने जा रही है। 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आते ही और सीएम पद संभालने के बाद ही मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 2000 करोड़ का कर्ज लिया था। इसके बाद भी कई दफा लोन लिया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में मोहन सरकार करीब  55 हजार 708 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है, जिसे साल 2039 तक चुकाना होगा।
11 साल में पटाएगी सरकार
वित्तीय वर्ष 2024-25 में एक अप्रैल के बाद मप्र सरकार ने पहली बार 5000 (2500+2500)करोड़ का कर्ज लिया है। विकास कार्यों के नाम पर लिए जाने वाले इस कर्ज को सरकार 11 साल में पटाएगी। इस कर्ज पर ब्याज के रूप में सरकार को करीब 22 हजार करोड़ का भुगतान कर रही है। इसके मार्केट लोन 2 लाख 34 हजार 812 करोड़, बॉन्ड्स से 5, 888 करोड़, फायनेंशियल संस्थाओं से 15, 248 करोड़, केंद्र सरकार से एडवांस लोन 62 हजार 12 करोड़, अन्य संस्थाओं से 19 हजार 195 करोड़ तथा स्माइल सेविंग स्कीम से 38, 421 करोड़ का लोन सरकार ने उठा रखा है। पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 42 हजार 500 करोड़ का कर्ज लिया था, इसमें से 17 हजार 500 करोड़ का लोन मोहन सरकार के समय और 25 हजार करोड़ रुपए का लोन तत्कालीन शिवराज सरकार के समय लिया गया था। बीते वित्त वर्ष में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा 47 हजार 560 करोड़ रुपए थी। सरकार ने मप्र विधानसभा के मानसून सत्र में 3 जुलाई को वित्तीय वर्ष 2024-25 का 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था।
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च होगी राशि
कोई भी राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का अधिकतम 3 प्रतिशत की सीमा तक ऋण ले सकता है। मप्र का सकल घरेलू उत्पाद करीब 15 लाख करोड़ रुपए है। इसी के अनुपात में मप्र सरकार की कर्ज लेने की सीमा निर्धारित की गई है। वित्त अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की सहमति देती है। केंद्र की सहमति के बिना कोई राज्य ऋण नहीं ले सकता है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कर्ज की राशि इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च की जाएगी। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना या ऐसी अन्य किसी योजना पर राशि खर्च नहीं होगी। सरकार ने लाड़ली बहना योजना के लिए बजट में पहले से ही राशि का प्रावधान कर रखा है। विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना शुरू की थी। वर्तमान में 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिये जा रहे हैं। इस योजना पर हर साल 18 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। यह राशि अकेले किसी विभाग के बजट से ज्यादा है। सरकार प्रदेश के उन नागरिकों को 100 रुपए हर महीने बिजली दे रही है, जो हर महीने 100 यूनिट बिजली खपत करते हैं। जबकि प्रति यूनिट चार्ज 10 रुपये हैं, ऐसे में सरकार को भारी नुकसान हो रहा है। योजना पर 5500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। वहीं कृषि पंपों पर सब्सिडी में 17 हजार करोड़ रुपए हर साल का खर्च, 450 रुपये में सिलेंडर में एक हजार करोड़ रुपये हर साल का खर्च हो रहा है।

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