हर माह औसतन 4.5 हजार करोड़ का कर्ज ले सकती है सरकार

कर्ज

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस माह को हटा दिए जाए तो अब चालू वित्त वर्ष के नौ माह ही रह गए हैं। प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष में अब तक कोई कर्ज नहीं लिया है। यह पात्रता सरकार को उस प्रस्ताव की स्वीकृति से मिली है, जिसे प्रदेश सरकार ने इस वर्ष के कर्ज के लिए केन्द्र सरकार को भेजा था। दरअसल अप्रैल माह में ही राज्य सरकार ने नेट बॉरोइंग सीलिंग (एनबीसी) के प्रपोजल केन्द्र सरकार को भेज दिया था, जिसे अब केन्द्र सरकार ने स्वीकृत कर दिया है।
इससे अब अब सरकार अपनी जरूरत के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज लेने के लिए पात्र हो गई है। इस साल के शेष नौ माह में अब प्रदेश सरकार कुल 40 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की पात्रता मिल गई है। इस बार प्रदेश के लिए कर्ज की जो सीमा तय की गई है, वह बीते साल की तुलना में  करीब 10 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। इस वजह से प्रदेश सरकार हर माह औसतन रूप से अभी साढ़े चार हजार करोड़ का कर्ज लेने की पात्र हो गई है। दरअसल, बीते वित्त वर्ष में के पहले नौ माह में कर्ज लेने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की लिमिट निर्धारित की गई थी। यह बात अलग है कि साल की आखिरी तिमाही में कर्ज लेने की लिमिट बढ़ा दी गई थी। केंद्र सरकार ने अप्रैल में एनबीसी का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा था।
सामान्यत: मई के मध्य तक केंद्र एनबीसी प्रपोजल को स्वीकृति दे देता है, लेकिन इस बार प्रपोजल को मंजूरी मिलने में एक महीने की देरी हो गई। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल उदय प्रोजेक्ट में मप्र सरकार ने राशि नहीं निकाली थी, जिससे केंद्र सरकार ने एनबीसी कम कर दी थी। अधिकारियों की माने तो इस साल सरकार जून में कोई कर्ज नहीं ले रही ह। इसकी वजह है अभी सरकार के पास पर्याप्त राशि खजाने में है। इस वजह से माना जा रहा है कि सरकार इस साल का पहला कर्ज अगले माह ले सकती है। अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के तहत किसी भी राज्य सरकार को कर्ज लेने की सहमति देती है। केंद्र की सहमति के बिना कोई भी राज्य कर्ज नहीं ले सकता है।
बीते साल लिया था 42,500 करोड़ का कर्ज
बीते साल केंद्र ने सरकार को वित्तीय वर्ष के शुरुआती नौ महीने के लिए कर्ज लेने की सीमा 30 हजार करोड़ रुपए निर्धारित की थी। आखिरी तिमाही में कर्ज लेने की सीमा 45 हजार करोड़ रुपए तक बढ़ा दी गई थी। पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने 42 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। तत्कालीन शिवराज सरकार ने बीते वित्त वर्ष में 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 26 मई, 2023 को लिया था। आचार संहिता लगने से पूर्व सरकार ने सितंबर में चार किस्तों कुल 12 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। सरकार ने अक्टूबर व नवंबर में तीन किस्तों में 5 हजार करोड़ का लोन लिया था। सत्ता में आने के बाद नई सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 20 दिसंबर को लिया था। इसके बाद सरकार ने 18 जनवरी को 2500 करोड़ रुपए, 6 फरवरी को 3000 करोड़ रुपए और 20 फरवरी को 5000 करोड़ और 27 फरवरी को 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। फिलहाल मप्र सरकार पर 3 लाख 50 हजार करोड़ का ज्यादा का कर्ज हो चुका है।

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