- बगावत और विरोध से सहमे प्रत्याशी
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कांग्रेस ने सभी 230 और भाजपा ने 228 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भले ही कर दी है, लेकिन कई प्रत्याशियों को अभी भी टिकट कटने का डर सता रहा है। इसकी वजह यह है की कई सीटों पर प्रत्याशियों के खिलाफ जबरदस्त विरोध का माहौल है। ऐसे में प्रत्याशियों को बी-फॉर्म का इंतजार है। उनका मानना है कि जब तक बी-फॉर्म नहीं मिल जाता, तब तक टिकट कटने का खतरा मंडराता रहेगा। गौरतलब है कि टिकट की घोषणा के बाद दावेदारों के बीच मचे घमासान ने भाजपा-कांग्रेस दोनों चिंता बढ़ा रखी है। मान-मनौव्वल में जुटी पार्टियों को बगावत से बचने के लिए अब बी-फॉर्म का ही सहारा नजर आ रहा है। कांग्रेस ने अब तक 102 प्रत्याशियों को फॉर्म बी सौंपा है, वहीं कुछ सीटों पर ऐन वक्त पर यह फार्म जारी करने की योजना है। गौरतलब कि पिछले चुनाव में दोनों दलों को बागियों ने काफी परेशान किया था। भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के ऐलान के बाद अपने के ही बगावती तेवरों से जूझ रही है। दोनों ही दल अपने लोगों को नाराज भी नहीं करना चाहते हैं और उससे पार्टी के हित में काम भी करवाना चाहते हैं। इसके लिए अब बीच का रास्ता निकालने का प्रयास दोनों दल के नेता करने की रणनीति बना रहे हैं। इसके चलते अब संवाद से संघर्ष को दूर करने का प्रयास किए जाने की तैयारी है।
बी-फॉर्म बनेगा ट्रंप कार्ड
इस बार के चुनाव में पार्टियों के लिए बी-फॉर्म ट्रंप कार्ड साबित होगा। खासकर कांग्रेस के लिए। गौरतलब है कि अभी तक कांग्रेस ने 7 प्रत्याशियों का टिकट बदल दिया है। ऐसे में कांग्रेस में उम्मीदवार बदलने की चल रही अटकलों के बीच बी-फॉर्म ट्रंप कार्ड हो सकता है। उम्मीदवार चयन को लेकर उपजा असंतोष और उसके बाद होने वाले सेबोटेज को देखते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता बीच का रास्ता खोजने की तलाश में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस ऐसा कुछ करने पर जा रही है कि उम्मीदवार बदलने पर भी सेबोटेज का खतरा कम से कम हो और पार्टी को नुकसान न हो। उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस में हो रहे विरोध को देखते हुए पार्टी उन सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को लेकर एक बार फिर से रिव्यू करेगी, जहां पर विरोध के स्वर ज्यादा तेज हैं। यदि इसमें कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं के साथ कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की सहमति बनी तो कुछ के टिकट बदले जा सकते हैं। ऐसी 5-6 सीटें हो सकती है, जिन पर यह निर्णय हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस पहले यह तय करेगी कि असंतोष को खत्म करने के चलते कहीं नए उम्मीदवार का सेबोटेज ज्यादा न हो जाए। इसके लिए कांग्रेस रणनीति के तहत दो दिन तक जितने भी असंतुष्ट नेता और कार्यकर्ता हैं, उन्हें मनाने का काम करेगी। इसके बाद वह टिकट बदलने के लिए ऐन वक्त पर बी-फॉर्म का उपयोग कर सकती है। 30 अक्टूबर को नामांकन भरने का अंतिम दिन है। कांग्रेस इस पर भी विचार कर रही है कि जिन सीटों पर उम्मीदवार बदले जाएं, उनकी सार्वजनिक घोषणा न करते हुए सीधे बी-फॉर्म ही उनके पास भेजा जाएगा, उस बी-फॉर्म को उम्मीदवार 30 अक्टूबर को ही जमा करेंगे। ऐसी लगभग 6 सीटों पर 30 अक्टूबर को ही बी-फॉर्म भोपाल से भेजे जा सकते हैं। इधर प्रदेश कांग्रेस दफ्तर में पिछले दो दिनों से बी-फॉर्म उम्मीदवारों को दिए जा रहे हैं। कांग्रेस दफ्तर से 102 उम्मीदवार यह फॉर्म लेकर जा चुके हैं।
बागियों ने बिगाड़ दिया था खेल
दरअसल वर्ष 2018 में दोनों की दलों के बागियों ने स्पष्ट बहुतम किसी का नहीं आने दिया था, नतीजे में सरकार बनाने के लिए दूसरे दलों के साथ ही समर्थन लेना पड़ा था। विधानसभा चुनाव में हर बार टिकट वितरण के बाद पार्टियों में असंतोष उभरता है, लेकिन इस बार दोनों ही दलों में असंतोष कुछ ज्यादा ही सामने आ रहा है। इसके चलते दोनों ही दल अपने नाराज नेताओं को मनाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इसके बाद भी कई नेता दूसरे दलों में शामिल होकर अपने पुराने दल को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। वे दूसरे दल से प्रत्याशी बन कर चुनावी मैदान में आ गए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 109 सीटें जीती थी। कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं। जबकि बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा 116 सीट होता है, यानी सरकार बनाने के लिए भाजपा ना के पास बहुमत था, ना कांग्रेस के पास बहुमत था। इतना ही नहीं, 2018 के आंकड़े यह भी बताते हैं कि तब टिकट कटने के बाद उतरे बागी प्रत्याशियों ने कड़े मुकाबले में भाजपा को 5 सीट और कांग्रेस को सात सीट हरवा दी थी। यानी कटे हुए टिकट के बाद उतरा बागी उम्मीदवार जीतती सीट हरवा कर सरकार बनने के सपनों को काट सकता है। गौरतलब है कि भाजपा के 2018 में दमोह सीट पर बागी नेता 1,131 वोट पाए और भाजपा के उम्मीदवार 798 वोट से हार गए थे।