
- ठप होने की वजह से इंदौर रीजन में कपड़ा उद्योग से जुड़े करीब पांच लाख लोगों के रोजगार प्रभावित हुए हैं…
इंदौर/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कोरोना संक्रमण की वजह से वैसे तो सभी तरह के उद्योग धंधों पर असर पड़ा है लेकिन गारमेंट्स इंडस्ट्री की हालत बहुत खराब है। अकेले इंदौर में ही इस सेक्टर के लाखों लोगों का रोजगार प्रभावित हुआ है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में कोरोना की दर लगभग शून्य के करीब पहुंच गई है और व्यापारिक गतिविधियां भी लगभग पूरी तरह से शुरू हो चुकी हैं। इन सब के बावजूद भी इंदौर के गारमेंट्स इंडस्ट्री को हर माह करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उल्लेखनीय है कि इंदौर परिक्षेत्र में रेडीमेड गारमेंट्स का कारोबार काफी बड़ा है। यहां गारमेंट्स निर्माण की करीब 22 सौ इकाइयां संचालित होती हैं। खास बात है कि यहां का तकरीबन साठ फीसदी गारमेंट कारोबार दक्षिण भारत पर आधारित है। यहां से केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में रेडीमेड कपड़ों की सप्लाई बड़े स्तर पर होती है, लेकिन दक्षिण क्षेत्र के इन राज्यों में कोरोना के मौजूदा हालात गंभीर है। इस कारण से वहां व्यापारिक गतिविधियों को लगभग सीमित कर दिया गया है। यही वजह है कि इसका असर इंदौर के गारमेंट्स कारोबार पर पड़ा है।
25 प्रतिशत ही रह गया कारोबार
अनलॉक होने के दो महीने बाद भी इंदौर का रिटेल गारमेंट्स का कारोबार उभर नहीं पाया है यहां के रिटेल गारमेंट्स एसोसिएशन के मुताबिक जहां हर महीने गारमेंट्स का कारोबार बीस करोड़ से ऊपर रहता था अब यह कारोबार घटकर महज पांच करोड़ रूपए प्रति माह के टर्नओवर से भी कम पर सिमट कर रह गया है। सूत्रों की मानें तो सरकार ने कपड़ा कारोबार को ताकत देने के लिए राहत पैकेज की घोषणा जरूर की थी लेकिन यह केवल घोषणा तक ही सीमित है। फिलहाल अभी सरकार ने एमएसएमई के जरिए राहत देने की बात कही है लेकिन इसमें तमाम ऐसी प्रक्रियाएं है जिन्हें कई कारोबारी पूरा ही नहीं कर पा रहे हैं।
अब तक शुरू नहीं हुई गारमेंट्स निर्माण इकाइयां
बाजार से डिमांड नहीं आने से करीब साठ फीसदी कारोबारियों ने तो इकाइयों को अब तक शुरू ही नहीं किया है। ऐसे में इस सेक्टर में काम करने वाले लाखों परिवार प्रभावित हुए हैं। सूत्रों की माने तो इंदौर का गारमेंट्स सेक्टर लगभग पांच लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है। यहां के रेडीमेड गारमेंट के कारोबार का क्षेत्र काफी विस्तृत है। यहां कपड़ा व्यापार का टर्नओवर हर माह करीब दो सौ करोड़ से ज्यादा का है।
सीजन पर उठाना पड़ा नुकसान
त्योहारी सीजन पर कपड़ों का कारोबार जमकर होता है। अकेले इंदौर में ही रमजान और आखा तीज पर लगभग तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार होता है। लेकिन कोरोना संक्रमण की लहर में इन दोनों मौकों पर व्यापारियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। यही नहीं रिटेल क्षेत्र में जिन व्यापारियों ने माल उठाया था वह अब दाम चुकाने की स्थिति में नहीं है। यही नहीं कई जगह तो कारोबारियों ने माल वापस करना भी शुरू कर दिया है। कारोबारी गंभीर आर्थिक संकट में है। विशेषज्ञों की माने तो इस संकट से बाहर आने में इंडस्ट्री को लगभग छह महीने का समय लग सकता है।