कचरा कुप्रबंधन ने मप्र को गिराया एक पायदान नीचे

कचरा कुप्रबंधन
  • निकायों की लापरवाही पड़ी भारी…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में देश का नंबर वन राज्य रहा मप्र स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में दूसरे पायदान पर आ गया है। बताया जा रहा है कि कई शहरों और कस्बों में कचरा प्रबंधन ठीक नहीं होने के कारण मप्र की स्वच्छता रैकिंग बिगड़ी है। जानकारी के अनुसार करीब 29 शहरों और कस्बों में कचरा प्रबंधन ठीक तरीके से नहीं किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के 13 नगरीय निकायों में जहां सौ प्रतिशत कचरा स्रोत पर ही अलग-अलग किया जा रहा, वहीं कुछ कस्बे और शहर ऐसे हैं, जहां पांच प्रतिशत भी कचरा अलग-अलग नहीं किया जा रहा है। धार्मिक व पर्यटन स्थल अमरकंटक में तो यह शून्य है। सीधी जिले के चुरहट में मात्र एक प्रतिशत जबकि, जिला मुख्यालय होने के बाद भी छतरपुर में दो प्रतिशत कचरा ही अलग-अलग किया जा रहा है। यही कारण है कि गारबेज फ्री सिटी (जीएफसी) के लिए मिलने वाली स्टार रेटिंग में प्रदेश के 158 नगरीय निकायों को ही स्टार रेटिंग मिली हुई है। कचरा अलग-अलग करने के साथ ही इसकी प्रोसेसिंग करने में भी कई नगरीय निकाय पिछड़े हैं, इस कारण भी स्टार रेटिंग कम हुई है। आयुक्त नगरीय विकास एवं आवास भरत यादव का कहना है कि अंतिम रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि हम कहां पिछड़े हैं। उसी आधार पर तैयारी करेंगे, जिससे अगले वर्ष फिर मध्य प्रदेश पहले नंबर पर आ सके। हमारी जो कमियां रह गई हैं उन्हें दूर करेंगे।
यहां कचरा प्रबंधन खराब
प्रदेश में जिन शहरों में कचरा प्रबंधन गड़बड़ाया है उनमें सबसे निचले स्तर पर 29 शहर है। छतरपुर में जहां 2.25 प्रतिशत कचरा अलग हो रहा है, वहीं अमरकंटक में शून्य है। वहीं पृथ्वीपुर 0.5, विजयराघोगढ़ 4, निवाड़ी 2.5, त्योंथर 6.5, बिरसिंहपुर 3, सीधी 4.5, नागोद 4, रामपुर नैकिन 2, अनूपपुर 17, महिदपुर 3.5, नईगढ़ी 1, जबलपुर कैंट 1, खजुराहो 5.5, बैकुंठपुर 3.5, पचमढ़ी कैंट 11, तेंदूखेड़ा 3.5, जयसिंहनगर 1, नैरोजाबाद 0, जैतवारा 5, गोविंदगढ़ 1, सिरमौर 8, इछावर 1, हनुमना 0, चुरहट 1, अमरपाटन 1.5, सेमरिया 0.5 और राजनगर 2 प्रतिशत कचरा अलग किया जा रहा है। बता दें कि स्टार रेटिंग में पिछड़ने के कारण ही स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में मध्य प्रदेश  पहले से दूसरे पायदान में पहुंच गया है। इसके अलावा शहर के गंदे पानी को निर्धारित मापदंड के अनुसार रिसाइकल कर उपयोग के लिए मिलने वाला वाटर प्लस प्रमाण पत्र भी प्रदेश के सात शहरों को ही मिला हुआ है। इसी तरह से डोर-टू-डोर (डीटूडी) संग्रहण के मामले भी कई नगरीय निकायों का काम ठीक नहीं है। इस कारण स्वच्छ सर्वेक्षण में प्रदेश दूसरे पायदान पर पहुंच गया। पचमढ़ी कैंट और आंकारेश्वर में डीटूडी मात्र 55 प्रतिशत ही है। सांची में 71, निवाड़ी में 76, नीमच में 85, बड़वानी में 87, मुरैना में 89, रायसेन में 91, नरसिंहपुर में 92, नर्मदापुरम में 94 प्रतिशत है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण और इसे अलग-अलग करने के मामले में बुरी स्थित धार्मिक और पर्यटन शहरों की है।

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