
- भूख लगते ही चीतल को बनाया अपना शिकार
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्राय: रेस्क्यू कर छोड़े जाने वाले हिसंक वन्य जीव कई-कई दिनों तक सदमे से नहीं उबर पाते हैं और वे ऐसे में सदमे रहते हुए खाना पीना भी छोड़ देते हैं। उन्हें सामान्य होने में कई दिन तक लग जाते हैं। लेकिन, इसके इतर कूनो नेशनल पार्क से गांधी सागर अभयारण्य में छोड़े गए दोनों चीते पावक और प्रभास को अपना नया आवास बेहद पसंद आ रहा है। यही वजह है कि वहां छोड़े जाने के बाद से ही वे बाड़े में ही अपनी टेरेटरी बनाने में जुट गए हैं। उनकी निगरानी से पता चला है कि वहां पर उनके द्वारा 24 घंटे में ही 1540 हेक्टेयर के पूरे बाड़े का चक्कर लगा लिया गया है। इसके अलावा उनके द्वारा इसी दौरान एक चीतल का शिकार भी किया गया है। दोनों चीतों के लिए यह शिकार तीन दिन का भोजन है। इस दौरान चीतों ने 4 बार पानी भी पिया। दरअसल वहां पर छोड़े जाने के बाद उनकी पूरे समय निगरानी की जा रही है। दरअसल, प्रदेश में चीतों का दूसरा ठिकाना मंदसौर जिले के गांधी सागर अभयारण्य को बनाया गया है। यहां अभी दो चीतों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा 20 अप्रैल को छोड़े गए हैं। इन चीतों के लिए वहां पर एक बाढ़ा तैयार किया गया है। यहां चीतों के शिकार का भी इंतजाम किया गया है। चीतों के लिए हिरण, नीलगाय, चीतल सहित अन्य वन्यप्राणियों को रखा गया है। यहां बोत्सवाना से 4 चीते और लाए जाना हैं। गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए दो साल से तैयार किया जा रहा था। अब गांधी सागर अभयारण्य चीतों के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है। इसके चलते यहां चीतों की शिफ्टिंग की गई है।
बफर जोन बनाने का भी प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने गांधी सागर अभयारण्य की सीमा के बाहर 3 किमी के क्षेत्र को इको सेंसिटिव जोन बनाने का गजट नोटिफिकेशन किया है। इधर, अभयारण्य के आसपास मंदसौर, नीमच जिले के रिजर्व फॉरेस्ट के 900 वर्ग किमी को बाकर जोन बनाने का प्रस्ताव है। इससे चौतों के विचरण के लिए 1300 वर्ग किमी का दायरा मिल जाएगा। वन विभाग का मानना है कि चीतों के स्वच्छंद विचरण के लिए अभयारण्य का बड़ा होना जरूरी है। गांधी सागर अभयारण्य वर्तमान में पूर्व दिशा में राजस्थान के कोटा जिले के रावतभाटा व भैंसरोडग़ढ़ सेंचुरी से मिलता है। उत्तर में नीमच जिले के साथ ही राजस्थान का चित्तौडग़ढ़ जिला है।
यह है गांधी सागर का कोर एरिया
गांधी सागर अभयारण्य का संरक्षित वनक्षेत्र 368.62 वर्ग किमी का है। इधर, कूनों नेशनल पार्क का कोर एरिया 326.40 वर्ग किमी क्षेत्र तक फैला हुआ है। गांधी सागर अभयारण्य का कोर एरिया कुनो नेशनल पार्क से ज्यादा है। इधर, कूनों नेशनल पार्क में चीतों की संख्या ज्यादा हो गई है। ऐसे में यहां चीतों के लिए शिकार भी कम पड़ने लगा है। कुनो नेशनल पार्क के चीते शिकार की तलाश में शहरी क्षेत्र में जा रहे हैं। इसको देखते इन्हें कूनो से शिफ्ट किया जा रहा है। कुनो नेशनल पार्क में अब 24 चीते हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 8 पुनर्वास केंद्र में हैं।