गांव की सडक़ों पर दौड़ सकेंगे सरपट वाहन

गांव की सडक़ों

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सैकड़ों मजरे टोलों में रहने वाले लोगों को भी जल्द ही अच्छी सडक़ों पर चलने का सुख देने की तैयारी कर ली गई है। ऐसी बसाहटों में अब पक्की सडक़ें बनाने की योजना है। फिलहाल इसके लिए प्रदेश की 981 बसाहटों को चिन्हित किया गया है, जहां पर पक्की सडक़ें बनाई जाएंगी। इन इलाकों में अगले एक साल में य ह सडक़ं बन कर तैयार हो जाएंगीं। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा राशि मुहैया करायी जाएगी। छोटी बसाहटों व ग्रामीण क्षेत्रों को लेकर शासन ने प्रदेश के डेढ़ दर्जन जिलों को शामिल किया है। इन बसाहटों में कुल 981 पक्की सडक़ों का निर्माण किया जाएगा, जिस पर करीब इनमें 2453.89 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। अहम बात यह है कि इन सडक़ों का निर्माण भी उन बसाहटों में किया जाएगा, जहां पर आदिवासी वर्ग की पिछड़ेपन की शिकार आबादी रहती है। अहम बात यह है कि नई बनने वाली सडक़ों के माध्यम से ऐसी बसाहटों को शहर से  जोडऩे वाली प्रधानमंत्री सडक़ों से जोड़ा जाएगा। फिलहाल अभी इन बसाहटों तक पहुंचने के लिए पगडंडी व कच्ची सडक़ों का ही सहारा रहता है, जो बारिश के मौसम में बेहद खराब हालत में पुहंच जाती है, जिसकी वजह से उन रास्तों पर पैदल चलने में बेहद परेशानी भरा हो जाता है। इनमें भी कई बसाहटें तो ऐसी हैं, जहां बड़े नाले व नदियां शहरों के बीच बड़ी बाधा के रुप में हैं। ऐसे नदी-नालों पर करीब आधा सैकड़ा छोटे- बड़े पुल बनाए जाने की भी योजना है। पहले चरण में करीब सवा सौ सडक़ों को कायाकल्प के लिए चुना गया है, जहां पर अगले दो माह में निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी है।
इन जिलों का चयन
इस योजना के तहत जिन जिलों की बसाहटों का चयन किया गया हैै, उनमें अनूपपुर, अशोकनगर, बालाघाट, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, दतिया, गुना, ग्वालियर, कटनी, मंडला, नरसिंहपुर, मुरैना, सतना, शहडोल, श्योपुर, सीधी व विदिशा शामिल है। इन जिलों के चयन की वजह है इनका बैगा, भारिया व सहारिया जैसी जनजातीय बाहुल्य होना। इन सडक़ों के निर्माण का जिम्मा प्रदेश में मप्र ग्रामीण सडक़ विकास प्राधिकरण को सौंपा गया है।
इस तरह की होंगी सडक़े
इस योजना के तहत बनाई जाने वाली सडक़ों की कुल चौड़ाई 7.5 मीटर होगी। इसमें से 3.75 मीटर चौड़ाई वाले हिस्से में होगा डामरीकरण किया जाएगा। सडक़ों के निर्माण के लिए बनाई जा रही डीपीआर अगले माह केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी। उनकी स्वीकृति मिलने के बाद अन्य सडक़ों के लिए भी डीपीआर बनाने का काम किया जाएगा।

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