दो साल में पेसा एक्ट सहित पूरे किए सभी 14 वादे

शिवराज सिंह चौहान
  • मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय नायकों के सम्मान में किया क्रांतिकारी फैसला

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। वीरता और साहस की मूर्ति रानी दुर्गावती की स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से स्मारक बनाया जाएगा। यह स्मारक जबलपुर के मदन महल के पास बनाया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को की। वे जबलपुर में जनजातीय नायक राजा शंकर शाह, कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अपनी बात रख रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कहा कि मैंने जो वादा किया है, उसे हमेशा पूरा किया है। 2 साल पहले राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह जी के बलिदान दिवस के अवसर पर मैंने 14 घोषणाएं की थीं। आज मुझे कहते हुए खुशी है कि हमने वो 14 घोषणाएं पूरी कर दी हैं। गरीब और आदिवासी भाई-बहनों की जिंदगी बदला है। पेसा कानून लागू कर हमारी सरकार ने जनजातीय लोगों को अधिकार सम्पन्न बनाया है, उनकी जमीन और संस्कृति को भी बरकरार रखने के अधिकार दिए हैं। कांग्रेस सरकार ने कभी पेसा को लागू करने का काम नहीं किया। उन्होंने सिर्फ आदिवासियों को छला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने पिछले साल भी हमने बलिदान दिवस मनाया था, हमारे गृहमंत्री अमित शाह आए थे, आज भी मैं आया हूं।
    रानी दुर्गावती की वीरता हमेशा याद रहेगी
    मुख्यमंत्री ने कहा कि रानी दुर्गावती के साहस को हम सभी जानते हैं, उन्होंने अकबर से कह दिया था कि खून की अंतिम बूंद दे दूंगी, लेकिन गुलामी स्वीकार नहीं करूंगी। रानी दुर्गावती हमारा स्वाभिमान थीं, रानी हमारी संस्कृति के पहचान थी, रानी शौर्य, वीरता, सेवा, सुशासन की प्रतीक थीं, वे सेवा का प्रतीक थीं, उनका नाम हमेशा अमर रहेगा, हम ऐसा स्मारक बनाएंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 5 अक्टूबर को रानी दुर्गावती के जन्म दिवस के मौके पर मैं फिर जबलपुर आउंगा, हम धूमधाम से आयोजन करेंगे, उनका जन्मोत्सव मनाएंगे, स्मारक का पूरा प्रारूप बन जाएगा।
    वीर भूमि और वीरों को प्रणाम करता हूं: सीएम
    मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दिन ही अंग्रेजों ने उन्हें तोप के मुंह पर बांध कर उड़ाया था , क्योंकि उन्होंने कहा कि हम गुलामी स्वीकार नहीं करेंगे, अंग्रेजों तुम्हें भारत से बाहर जाना पड़ेगा। उन्होंने पूरे मध्यप्रदेश में विशेषकर गोंडवाना अंचल में संघर्ष का बिगुल फूंका था, संघर्ष भी ऐसा कि अंग्रेज घबरा गए थे। उन्हें लगा कि अगर ये जिंदा रह गए तो अंग्रेज खदेड़ दिए जाएंगे भारत की धरती पर पैर टिक नहीं पाएंगे। इसलिए क्रांति को कुचलने की कोशिश की दबाने की कोशिश की उसी कड़ी में हमारे राजा साहब और कुँवर साहब को जिंदा तोपों से बांध कर उड़ा दिया गया। मैं आज उनके चरणों में प्रणाम करता हूँ, जबलपुर की इस वीर भूमि को प्रणाम करता हूँ।

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