अभी से गेहूं की आवक का टूटने लगा है रिकॉर्ड

गेहूं

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अभी प्रदेश में फसल कटाई का काम शुरू ही हुआ है , लेकिन इसके बाद भी मंडियों में गेहूं की जबरदस्त आवक होना शुरू हो गई है। इसकी वजह से आवक को लेकर नए कार्ड बन रहे हैं। इसकी वजह है इस समय मंडियों में व्यापारियों द्वारा समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर की जा रही खरीदी। अधिक दाम मिलने की वजह से ही किसानों द्वारा इन दिनों दिनरात कटाई कर गेंहू को मंडी तक लेकर पहंच रहे हैं। इसकी वजह से भोपाल सहित प्रदेशभर की मंडियों में नई फसल की आवक तेजी से हो रही है। अगर बीते रोज का ही आंकड़ा देखें तो एक ही दिन में प्रदेश की मंडियों में 0 लाख बोरे गेहूं की आवक हुई। इसमें भोपाल की मंडी में ही बीते 24 घंटे के दौरान 25 हजार बोरा गेंहू आया है। एकदम से आवक होने की वजह से विदेशों को निर्यात करने वाले बड़े व्यापारियों ने दाम करना शुरू कर दिया है। इसकी वजह से एक ही दिन में दामों में दौ सौ रुपयों तक की गिरावट देखी गई है। इसकी वजह से कांडला डिलेवर गेहूं जो 2550 रुपए क्विंटल था वह 2370 रुपए क्विंटल पर आ गया है। इसकी वजह से भोपाल अनाज मंडी के व्यापारियों ने अलग-अलग तरह का गेंहू 2000 से 2100 रुपए क्विंटल के भाव में खरीदा। एक साथ समय से पहले इतनी अधिक मात्रा में गेंहू ओने की वजह से मंडी में नीलामी पूरी नहीं हो पा  रही है जिसकी वजह से किसानों को एक -एक दिन का इंतजार तक करना पड़ रहा है। दरअसल इस साल के लिए सरकार द्वारा गेहूं का एमएसपी 2015 रु. प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि खुले बाजार में किसानों को अभी इससे 200 से 500 रु./क्विंटल ज्यादा मिल रहे हैं।  
पहले से है सरकार के पास चार साल का भंडार
समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर हो रही गेंहू की खरीदी से सरकार व किसान दोनों ही खुश हैं। इसकी वजह से जहां सरकार को तय लक्ष्य से आधे ही गेंहू की खरीद करनी पड़ेगी , तो किसानों को हर क्विटंल पर दो सौ से लेकर पांच सौ रुपए तक का फाायदा हो रहा है। इस साल मप्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 2015 रु. प्रति क्विंटल तय किया था यानी किसानों को दाम अधिक मिल रहे हैं। यदि युद्ध एक महीने और चला तो किसानों को बंपर फायदा होना तय माना जा रहा है। जानकारों की माने तो इस बार एमएसपी पर 65 से 70 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही सरकार को खरीदना पड़ेगा, जबकि उसने 130 लाख मीट्रिक टन गेहूं उपार्जन का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए सरकार को करीब 27,000 करोड़ रुपए की जरूरत होगी । इस राशि की व्यवस्था सरकार द्वारा बाजार से 7 फभ्सदी ब्याज तक पर कर्ज लेना पड़ता है, लेकिन अब उसका करीब 12000 करोड़  रु. बच जाएगा। मप्र सरकार के वेयरहाउस में अभी करीब 1 करोड़ टन गेहूं और 44 लाख टन धान का भंडार है। मप्र खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के मुताबिक प्रदेश के पास अगले चार साल के लिए जरूरी खाद्यान्न जमा है।
समर्थन मूल्य पर नहीं हो पाएगी खरीदी
पूर्व वर्षों में कृषि उपज मंडी में मिल क्वालिटी गेहूं 1600 से 1750 रुपए बिका करता था वह गेहूं स्थानीय मंडी करोंद मंडी में 2000 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव बिक रहा है। किसानों ने इस बार मिल का गेहूं बेचने के लिए समर्थन मूल्य पर पंजीयन कराए हैं, लेकिन यदि गेहूं के भाव इतने ही मिलते रहे तो किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेचेंगे। क्योंकि समर्थन मूल्य पर गेहूं का भुगतान देरी से होता है जबकि मंडी में उपज बेचने पर किसान को शाम को ही भुगतान हो जाता है।
इन मंडियों में हो रही सर्वाधिक आवक
स्थानीय अनाज कारोबारियों के मुताबिक सबसे पहले मालवा पट्टी का गेहूं बाजार में आता है। प्रदेश की मंडियों में होने वाली आवक की स्थिति इससे ही समझी जा सकती है कि प्रमुख मंडियों में शामिल उज्जैन में 35 हजार बोरे, देवास, सीहोर, आष्टा, नसरुल्लागंज, होशंगाबाद में 30 से 35 हजार बोरे की आवक हुई है। इसी तरह से भोपाल में 25 हजार बोरे की। इस प्रकार  प्रदेश भर की कृषि उपज मंडियों में गेहूं की बंपर करीब 10 लाख बोरे की आवक हो रही है।

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