अगले माह से लगेगा… मध्यप्रदेश के सरकारी खजाने को बड़ा झटका

सरकारी खजाने
  • जुलाई से बंद हो जाएगा केंद्र की तरफ से मिलने वाला जीएसटी का मुआवजा 

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। एक गीत है, खुश है जमाना आज पहली तारीख है लेकिन, आने वाली पहली तारीख यानी एक जुलाई को लेकर दुखी हैं मामा, आज अंतिम
 तारीख है वाली स्थिति बन सकती है। मामा यानी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की परेशानी की वजह है कि केंद्र सरकार से राज्यों को मिलने वाला जीएसटी का मुआवजा एक जुलाई से बंद होने जा रहा है। इसके कारण राज्य को हर साल करीब दस हजार करोड़ का नुकसान उठाना होगा। दरअसल प्रदेश के राजस्व में जीएसटी का बड़ा हिस्सा होता है। अगर बीते चार सालों में इस मद में मिली राशि को देखें तो  वह करीब तीस हजार करोड़ रुपए तक होता है। इसमें भी सर्वाधिक राशि वर्ष 20-21 में 9136 करोड़ मिली थी, जबकि बीते साल समाप्त हुए वित्त वर्ष में यह राशि  7 हजार करोड़ के आसपास  रही है।
वैसे राज्य सरकार ने बचाव के रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं। विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, इसलिए सरकार कोई नया टैक्स लगाने से बच रही है। इसकी जगह वह उपाय ढूंढा जा रहा है, जिससे टैक्स की चोरी पर अंकुश लगाया जा सके। मौजूदा कर प्रणाली में सुधार के भी अवसर देखे जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने अफसरों के साथ बैठक कर इस बारे में विचार किया है। इस दौरान यह सहमति भी बनती दिखी कि सरकार के अनावश्यक खर्चों में कटौती की जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि खनन, आबकारी और ट्रांसपोर्ट विभागों से मिलने वाले टैक्स को बढ़ाने के उपाय देखे जाएं। साथ ही आयकर न चुकाने वालों के खिलाफ भी कड़े कदम उठाने का बैठक में फैसला लिया गया। माना जा रहा है कि पंजीयन, माइनिंग और वन विभाग पर अतिरिक्त कमाई का दबाव बना सकती है। इसके अलावा  केंद्र सरकार 50 साल के लिए ब्याज मुक्त कर्ज दे रही है। इससे मप्र सरकार को 7 से 8 हजार करोड़ रु. मिल सकते हैं।
इसी तरह सरकारी संपत्तियों को बेचकर भी भरपाई कर सकते हैं। हालांकि राज्य के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा जीएसटी मुआवजा बंद होने को घाटे से जोड़कर नहीं देखते। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार देवड़ा ने कहा कि सरकार इस हालत के लिए पहले से ही तैयार थी और अब वह बगैर कोई नया टैक्स लगाए ही टैक्स के कलेक्शन में वृद्धि का प्रयास कर रही है।   गौरतलब है कि देश में 1 जुलाई, 2017 से वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी की व्यवस्था लागू की गयी थी। उस समय केंद्र सरकार ने व्यवस्था की थी कि राज्यों को 1 जुलाई, 2022 तक जीएसटी लागू करने पर टैक्स कलेक्शन में आई गिरावट की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाएगा। यह भी तय हुआ था कि हर साल 14 फीसदी की राजस्व बढ़ोतरी के आधार पर मुआवजे का आकलन किया जाएगा। केंद्र ने राज्यों को जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी राजस्व के नुकसान के लिए पांच साल की अवधि की क्षतिपूर्ति का भी आश्वासन दिया था।

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