मप्र के शहरों के विकास में चार संस्थाएं करेंगी मदद

विकास

हर स्तर पर डिजाइन, डिटेलिंग की होगी तकनीकी आधार पर जांच

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के शहरों का संतुलित विकास करने के लिए सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके तहत किसी भी शहर के विकास में देश की प्रमुख चार संस्थाओं की मदद ली जाएगी। ये संस्थाएं हर स्तर पर डिजाइन, डिटेलिंग की तकनीकी जांच करेंगी और बाधा रहित विकास का खाका तैयार करेंगी। इसके पीछे सरकार का मानना है कि इससे विकास योजनाएं निर्वाध रूप से आगे बढ़ेंगी और समय सीमा में पूरी होंगी। जानकारी के अनुसार, केंद्र की पहल पर मप्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश के शहरों के विकास में अब स्थानीय स्तर पर ही देश की चार संस्थानों की मदद ली जाएगी। केंद्र की पहल पर राजधानी भोपाल समेत अन्य शहरों में सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में ये संस्थाएं सहयोग देंगी। इसका जिम्मा एसपीए दिल्ली, आइआइटी खडग़पुर, सेप्ट अहमदाबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (स्थानीय) को दिया गया है। इसके तहत प्रोजेक्ट डिजाइन, डिटेलिंग की तकनीकी आधार पर जांच होगी। प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों और अफसरों की ट्रेनिंग कराई जाएगी।  आयुक्त आवास एवं पर्यावरण भरत यादव का कहना है कि देश में प्लानिंग व आर्किटेक्चरिंग की प्रमुख एजेंसियों की मदद पहले भी ली जाती रही है। अब ये प्रोजेक्ट्स से जुडकऱ काम करेंगी तो ज्यादा लाभ मिलेगा।
बनेगी गाइडलाइन
भोपाल शहर के संतुलित विकास करने के लिए जो प्रोजेक्ट हैं, उनके लिए गाइडलाइन बनेगी। भोपाल में 5 एलिवेटेड कॉरिडोर बनने हैं, 4 रेलवे व रोड ओवरब्रिज बनेंगे, 55 किमी लंबी नई सडक़ें तैयार होनी है, 4 नए आइएसबीटी बनाए जाएंगे, दो 100 बेड के अस्पताल बनने हैं और कोचिंग हब बनाने की भी योजना है। जानकारों का कहना है कि चार संस्थाओं से मदद मिलने पर प्रोजेक्ट्स की हालत पुराने प्रोजेक्ट्स जैसे नहीं होगी। गौरतलब हैं कि भोपाल में इंजीनियरों ने अपने तरीके से बीआरटीएस बनाया, बाद में तोडऩा पड़ा। राजधानी में मल्टीलेवल पार्किंग पर 150 करोड़ खर्च किए। लोगों की स्थिति का अध्ययन नहीं किया। आधे से ज्यादा खाली। करोद में पीडब्ल्यूडी ने बिना अध्ययन अंडरब्रिज बनाया। यहां पानी जमा रहता है। फिर रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज बनाया। हमीदिया अस्पताल की करोड़ों की बिल्डिंग में तकनीकी खामी। सीपीए ने दानिश कुंज में 5 करोड़ से ब्रिज बनाया। आगे कहां जुड़ेगा, आंकलन नहीं, 8 साल से बेकार पड़ा है। ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज में स्थितियों का बिना आकलन निर्माण, अब बदलाव। शहरी विकास की एजेंसी सीपीए बिना अध्ययन बंद किया, अब फिर शुरू होगा।
विभागों को पत्र जारी
जानकारी के अनुसार इस संबंध में शहरी आवास एवं विकास मंत्रालय ने सभी विभाग प्रमुखों को पत्र जारी कर तकनीकी मदद लेने व प्रोजेक्ट की डिटेलिंग संबंधित एजेंसियों से शेयर करने के निर्देश दिए हैं। इससे किसी भी प्रोजेक्ट में तकनीकी खामी की गुंजाइश बेहद कम हो जाएगी और प्रोजेक्ट शुरुआत से ही बेहतर हो सकेंगे। बता दें, भोपाल में बड़ा तालाब के संरक्षण में अहमदाबाद की सेप्ट यूनिवर्सिटी से मदद ली गई थी। इसकी रिपोर्ट तैयार है।

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