पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त की लोकप्रियता की खुली कलई

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा संसदीय क्षेत्र भोपाल से भाजपा और कांग्रेस के अलावा 22 प्रत्याशी और मैदान में थे। इनमें एक रिटायर्ड सिपाही बाबूलाल सेन मौलिक अधिकार पार्टी से और पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में शामिल थे। भले ही मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच रहा हो, लेकिन अगर प्रभाव या फिर लोकप्रियता की बात की जाए तो इस मामले में गुप्त फिसड्डी साबित हुए हैं। उनसे अधिक प्रभाव तो उस उम्मीदवार का दिखा है, जो उनके ही विभाग का सबसे छोटा कर्मचारी यानी की सिपाही रहा है। इससे पता चलता है कि बड़े और अहम पद पर रहकर किसने कितनी जनता के बीच पैठ बनाई है।  पूर्व डीजी मैथिलीशरण गुप्त कई वर्षों से भोपाल में ही निवास कर रहे हैं। जबकि 59 वर्षीय बाबूलाल सेन ने स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति ली है। वह अधिकांश समय रीवा में रहते हैं। इस वजह से उनकी अपेक्षा गुप्त का वर्चस्व और नेटवर्क काफी बड़ा है। इसके बाद भी लोकसभा चुनाव में बाबूलाल सेन को 720 और मैथिलीशरण गुप्त को कुल 427 मत मिले हैं। इस तरह पूर्व सिपाही ने डीजीपी से 293 मत अधिक प्राप्त किए हैं। उधर अगर अन्य प्रत्याशियों की बात की जाए तो उनमें से 19 ऐसे उम्मीदवार हैं, जो नोटा से भी पीछे रहे हैं। उनसे महज तीन प्रत्याशी ही आगे रहे हैं। जमानत बचाने के लिए उम्मीदवारों को कुल मतदान का 1.66 प्रतिशत हिस्सा प्राप्त करना होते हैं , लेकिन वे 318 से 3641 मत ही प्राप्त कर सके हैं। इनमें से कोई भी न तो नोटा को हरा सका और न ही अपनी जमानत बचा सका है।
छह हजार 573 मत पाकर चौथे नंबर पर रहा नोटा
उम्मीदवारों को अपनी जमानत राशि बचाने के लिए लगभग 25 हजार मत लाना जरूरी था लेकिन भाजपा और कांग्रेस को छोड़ बाकि कोई भी इतने मत नहीं ला सका है। इसलिए उन्हें जमानत राशि नहीं मिल सकेगी। वहीं, लोकसभा चुनाव में चौथे नंबर पर सबसे अधिक मत पाकर छह हजार 573 नोटा है।

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