वन मुख्यालय को यह दाग लगते हैं अच्छे

वन मुख्यालय
  • शासन व लोकायुक्त से बड़ा मानते हैं सूबे के आईएफएस अफसर

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का वन विभाग ऐसा विभाग बन  चुका है, जिसके आला अफसरों को अपने अधीनस्थ आईएफएस अधिकारियों के दाग अच्छे लगते हैं।  शायद यही वजह है कि जब भी वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई की बात आती है तो विभाग के जिम्मेदारों की कलम रुक जाती है और  सभी मिलकर लीपापोती में लग जाते हैं। हालात यह हैं कि विभाग के करीब आधा दर्जन से अधिक आईएफएस अफसरों के खिलाफ आरोप पत्र तक जारी करने में जमकर हीला हवाली की जा रही है। यही नहीं इस विभाग के अफसर इस मामले में स्वयं को शासन व लोकायुक्त तक से बड़ा मानते हैं। इसकी वजह है लोकायुक्त की फटकार के बाद भी दागी अफसरों को बचाने का खेल समाप्त नहीं किया जाना।    वन मुख्यालय अफसरों की कार्यशैली और दागियों को बचाने की कवायद के चलते आरोप पत्र थमाने की जगह उन्हें मंत्रालय एवं मुख्यालय के बीच ही झुलाया जा रहा है। यही नहीं मनमाने तरीके से काम करने वाले अफसरों के मामलों में भी विभाग द्वारा दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। इसकी वजह से विभाग की जमकर छीछालेदर हो रही है, लेकिन इसके बाद भी अफसर कार्यशैली सुधारने को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। विभाग की कार्यशैली इससे ही समझी जा सकती है कि शासन द्वारा करीब तीन माह पहले एक अफसर को आरोप पत्र देने के लिए वन मुख्यालय भेजा गया था, लेकिन उसे जारी ही नहीं किया गया। यह मामला बालाघाट सर्किल का वकिंग प्लान बनाने वाले वन सरंक्षक एपीएस सेंगर से जुड़ा हुआ है। खास बात यह है कि उन पर कार्रवाई करने की जगह विभाग ने उन्हें बतौर इनाम उन्हें सर्किल का अतिरिक्त प्रभार और दे दिया है। सेंंगर के खिलाफ इसी साल 24 अगस्त को राज्य शासन ने आरोप पत्र बनाकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय सतपुड़ा को भेज दिया था, लेकिन उसे आज तक जारी ही नहीं किया गया। यही नहीं अब उन्हें सर्किल में पूर्णकालिक रूप से पदस्थ करने की फाइल तक तैयार कर ली गई है।
    दरअसल सेंगर पर टीकमगढ़ डीएफओ के पद पर रहते हुए भंडार क्रय नियमों की अनदेखी करते हुए ओरछा और टीकमगढ़ रेंज में टुकड़े-टुकड़े में सामग्री खरीदी करने और इंदौर के एक ही व्यक्ति के दो अलग- अलग फर्म अमन इंटरप्राइजेज और सोनल उद्योग इंदौर से जैन के जरिए चैन लिंक फेंसिंग की खरीदी करने के लिए गैर निमार्ताओं से स्पेसिफिकेशन खरीदी करने के आरोप हैं। राज्य शासन ने उनके इस कृत्य को अखिल भारतीय सेवाएं ( अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम 8 के प्रावधानों को उल्लंघन मानते हुए उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है। इसके बाद भी उन्हें मलाईदार जगह पदस्थ करने की तैयारी की जा रही है। इसी तरह के अन्य आईएफएस अफसर हैं ञ ऐसी ही गौरव तिवारी के  खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू द्वारा जांच की जा रही है। 2010 बैच के इस अफसर के खिलाफ भी विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नजर नहीं आ रहा है। खास बात यह है कि तिवारी के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश  लोकायुक्त संगठन द्वारा भी दिए गए हैं। वे अभी शहडोल में डीएफओ हैं और उन पर सीधी में डीएफओ रहते ई-भुगतान, प्रमाणकों और बैंकर्स चेक में हेराफेरी कर आर्थिक अनियमितता करने और अलावा सतना के एक एनजीओ को चेक से गलत भुगतान करने का आरोप है। उनके खिलाफ वर्ष 2019 से मामले की लोकायुक्त संगठन द्वारा जांच की जा रही है। इस मामले में भी विभाग द्वारा लोकायुक्त को हर बार गोलमाल जवाब दिए जा रहे हैं।
    वन विभाग में दोहरा मापदंड
    जंगल महकमे में कार्रवाई करने की एकरूपता नहीं है। शीर्षस्थ अधिकारी कार्य विभाजन के नाम पर तबादले का खेल करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने में दोहरा मापदंड अपना रहे हैं। कार्य आवंटन के नाम पर तबादला करने पर ही 4 महीने पहले हरदा डीएफओ नरेश दोहरे को निलंबित कर दिया गया था था, जबकि इसी तरह के मामलों में अन्य अफसरों को अभी तक निलंबित नहीं किया गया है।
    इन अफसरों पर भी मेहरबानी
    2015 बैच के आईएफ एस अधिकारी नवीन गर्ग अभी दक्षिण सागर में पदस्थ हैं। वे इसके पहले करीब छह माह 19 फरवरी 2020 तक दक्षिण मंडल सागर में डीएफओ का अतिरिक्त प्रभार सम्हाल चुके हैं। इसी दौरान उनके द्वारा बीना बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना में कराए गए वृक्षारोपण में गड़बड़ी करने के आरोप हैं। इस मामले की जांच पीसीसीएफ उत्पादन असीम श्रीवास्तव से कराई गई थी। जांच में वृक्षारोपण में 60717 पौधे कम पाए गए थे और 16.13 हेक्टेयर क्षेत्र का घेराव भी कम मिला था। इस मामले में गर्ग सहित कई कर्मचारियों को दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा भी गई थी। इसी तरह से रीवा सर्किल में हुए बहुचर्चित आर्थिक अनियमितताओं को लेकर लोकायुक्त संगठन में एक दशक से सुनवाई चल रही है। इस बीच कुछ आईएफएस अफसर बड़े पदों पर प्रमोट होते हुए रिटायर्ड भी हो गए लेकिन उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई। इस मामले में लोकायुक्त संगठन द्वारा सख्त रुख दिखाते हुए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक अजय यादव के खिलाफ सुनवाई के दौरान कार्रवाई करने की हिदायत भी दी जा चुकी है।
    कार्य विभाजन के नाम पर कर डाले तबादले
    उत्तर वन मंडल बालाघाट में पदस्थ डीएफओ अभिनव पल्लव के खिलाफ अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के नियम 10 के अंतर्गत कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है। इन पर आरोप है कि जब वे 2019-20 ग्वालियर में पदस्थ रहने के दौरान उनके द्वारा 83 कर्मचारियों की कार्य आवंटन के नाम पर मनमाने जरीके से पदस्थापना कर दी गई थी। इस मामले में उनके द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण में जवाब संतोषजनक नहीं होने की वजह से अब उन पर कार्यवाही का निर्णय लिया गया है। इसी तरह के एक अन्य मामले में ग्वालियर में ही पदस्थ बृजेश श्रीवास्तव को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

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