- अधिकारियों द्वारा लगाए जाने वाले फर्जी बिलों पर भी लगेगी लगाम
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। वन मंत्री विजय शाह के निर्देश पर विभाग द्वारा पुलिस की तर्ज पर ही पेट्रोलिंग व्यवस्था वन विभाग में भी बनाई जा रही है। इसके तहत सात सौ रेंजर फील्ड में गलती करेंगे। इससे वन क्षेत्र में गस्ती और निगरानी में सुधार आएगा। रेंजर अपने क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए पेट्रोलिंग करेंगे। इस प्रस्ताव पर बल प्रमुख ने स्वीकृति दे दी है। लगभग सात सौ रेंजरों को वाहन की सुविधा दी जाएगी। खास बात है कि पहले वन विभाग ने वाहन खरीदने का विचार किया था लेकिन अब किराए पर वाहन लिए जाने पर सहमति हो गई है।
दरअसल वन मंत्री विजय शाह रेंजरों को बोलेरो गाड़ी उपलब्ध कराना चाह रहे हैं। यही वजह है कि विभाग के अधिकारी इस संबंध में इंदौर के एक कार डीलर से बात भी कर चुके हैं। वाहन डीलर ने प्रत्येक गाड़ी साठ हजार महीने में किराए पर देने की बात रखी है। वर्तमान में विभाग द्वारा रेंजरों को तीस हजार रुपए महीने वाहन भत्ते के रूप में दिया जाता है। इससे वे अपने स्तर पर गाड़ियों की व्यवस्था कर लेते हैं और बोलेरो, स्कॉर्पियो व जायलो सहित अन्य वाहनों का प्रयोग करते हैं।
क्या है वर्तमान में व्यवस्था
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में विभाग में जो व्यवस्था कायम है उसके तहत रेंजर अपने स्तर पर किराए की गाड़ी लेते हैं। किराए पर गाड़ी लेने के लिए वे टेंडर जारी नहीं करते हैं। रेंजर जिलों में गाड़ियां बिना निविदा के किराए पर ले लेते हैं और जिलों से उन्हें न्यूनतम राशि का भुगतान कर दिया जाता है। वन विभाग की तरफ से रेंजरों के लिए हर माह न्यूनतम तीस हजार रुपए वाहन भत्ता के रूप में दिए जाते हैं। गाड़ियों को किराए पर लेने के बाद उसके भुगतान की राशि कैंपा फंड से दे दी जाती है।
तीस हजार रुपए होगा न्यूनतम मासिक किराया
अधिकारियों द्वारा कैंपा शाखा से वाहन किराए पर लेने के संबंध में प्रस्ताव तैयार कराया गया है। वहीं टेंडर जारी करने की प्रक्रिया से पहले जिलों से रेंजरों को गाड़ी के भुगतान के संबंध में जानकारी भी बुलाई गई है। जिलों से जो जानकारी मिली है उसके अनुसार तीस हजार रुपए में जाइलो सहित अन्य लग्जरी गाड़ियां किराए पर मिल जाती हैं। इससे अब इसके टेंडर के लिए न्यूनतम मासिक किराया तीस हजार रुपए रखा जाएगा।
अधिकारियों के फर्जी बिलों पर लगेगी लगाम
बता दें कि वन विभाग में फिलहाल जो व्यवस्था गाड़ियों के संबंध में है। उसके तहत रेंजर अपने ही किसी परिचित या रिश्तेदार के नाम पर वाहन ले लेते हैं और उसका किरायानामा और अनुबंध करके हर माह राशि भुगतान करते रहते हैं। इससे न तो वे गाड़ियां बाहर से लेते हैं और न ही वे कभी तीस हजार रुपए से अधिक के किराए की मांग करते हैं। सूत्रों की माने तो प्रदेश के अधिकांश रेंजरों ने अपने स्तर पर कुछ इसी तरह से गाड़ियों की व्यवस्था कर रखी है। इससे वे स्कार्पियो, बोलेरो व जायलो सहित अन्य वाहनों का उपयोग करते हैं। हालांकि अब किराए के वाहन लिए जाने से जहां निगरानी में सुधार आएगा, वहीं अधिकारियों द्वारा लगाए जाने वाले फर्जी बिलों पर भी लगाम लग सकेगी।
29/08/2021
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