
- सरकार व शासन भी उनके पॉवर के सामने नतमस्तक
भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम। वन महकमे के रसूखदार अफसरों के आगे विभाग तो ठीक सरकार व शासन तक अब असहाय नजर आने लगा है। यही वजह है कि बीते लंबे समय से बगैर सूचना के गायब विभाग के आला अफसरों के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई तक शुरू करने की हिम्मत कोई नहीं दिखा पा रहा है। खास बात यह है कि जंगल महकमे के जो अफसर गायब हैं, वे सभी बेहद वरिष्ठ और अखिल भारतीय वन सेवा के अफसर हैं।
इन लापता अफसरों में 1987 बैच के आईएफएस अफसर अजीत श्रीवास्तव, 1994 बैच के आईएफएस बीएस होतगी व 1996 बैच के आईएफएस एम कालीदुरई सहित आधा दर्जन आईएफएस के नाम शामिल हैं। यह अफसर इतने दागदार हैं कि इन्हें प्रमोशन भी नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद भी विभाग इनके खिलाफ कोई कदम उठाने की हिम्मत नहीं दिखा पा रहा है। यह हाल प्रदेश में तब है, जबकि केन्द्र सरकार कई बार नकारा और
दागी अफसरों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने का निर्देश दे चुका है।
अजीत के श्रीवास्तव
अजीत के श्रीवास्तव 87 बैच के आईएफएस अफसर हैं, उनकी सेवानिवृत्ती अगस्त 2023 में है। 55 लाख रुपए की रिश्वत मांगने संबंधित आॅडियो वायरल होने की वजह से वे पीसीसीएफ के पद पर पदोन्नत नहीं हो पा रहे हैं, जबकि उनका 1 सितंबर को पीसीसीएफ के पद पर प्रमोशन हो जाना था। इनके प्रमोशन का मामला अब कैट में लंबित है। कैट में मुख्य सचिव को पार्टी बनाए जाने से इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल नाराज चल रहे हैं। राजनीतिक रसूख के चलते आरक्षण जैसी शाखा में पोस्टिंग करा रखी है। उल्लेखनीय है कि रिश्वत मांगने संबंधित आॅडियो वायरल होने के मामले में कसूरवार पाए जाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अजीत श्रीवास्तव का इंक्रीमेंट रोक दिया था।
वीएस होतगी
वीएस होतगी 1994 बैच के आईएफएस अफसर है। वे नवंबर 2025 में सेवानिवृत्त होंगे। इनका रिकॉर्ड खराब होने की वजह से राज्य सरकार ने पिछले वर्ष बर्खास्त करने का प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा था। रसूख के चलते केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। प्रदेश में 1994 बैच के सभी आईएफएस अफसर अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर प्रमोट हो गए हैं, किंतु होतगी अभी भी डीएफओ के पद पर है। अगस्त 21 में राज्य शासन ने होतगी का स्थानांतरण भोपाल प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय में कर दिया था, परंतु अभी तक विभाग के अधिकारी आदेश का पालन नहीं करा पा रहे हैं।
प्रभार देने के लिए अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन राकेश कुमार यादव दो पत्र लिख चुके हैं, किंतु डीएफओ होतगी ने उन्हें कचरे में फेंक दिया है। मामला वन बल प्रमुख रमेश कुमार गुप्ता के निर्णय पर छोड़ दिया है। फिलहाल गुप्ता के अवकाश से लौटने का इंतजार किया जा रहा है।
एम कालीदुरई
एम कालीदुरई 1996 बैच के आईएफएस अफसर हैं। उनका रिटायरमेंट जनवरी 2023 में है। कालीदुरई सितंबर 2020 से भूमिगत हो गए है। यहां तक कि अधिकारी चाह कर भी उनसे बातचीत नहीं कर पा रहे हैं। प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय के अफसरों को उनके बारे में कोई अता पता नहीं है। मुख्यालय में उनकी पदस्थापना समन्वय शाखा में की गई है।
समन्वय शाखा के मुखिया एलएस रावत को भी उनके बारे में कोई पता नहीं है। इसी प्रकार जब प्रशासन- एक शाखा के मुखिया रमेश कुमार यादव से उनके बारे में जानकारी चाही गई तो उन्होंने अज्ञानता जाहिर कर दी। यादव कहते हैं कि उन्हें भी कोई जानकारी नहीं है। कालीदुरई जब प्रतिनियुक्ति पर उद्यानिकी संचालक थे। तब उनके कार्यकाल में शीतगृह निर्माण के लिए एक कंपनी एवं पॉलीहाउस निर्माण, स्प्रिंकलर के लिए किसानों को दिए अनुदान में गड़बड़ी हुई थी। प्रारंभिक जांच में इस गड़बड़ी के लिए कालीदुरई को जिम्मेदार ठहराया गया और 23 जनवरी 2021 को उनको आरोप पत्र जारी किया गया था। मामले में सरकार को कितना आर्थिक नुकसान हुआ, यह अभी स्पष्ट नहीं है, क्योंकि मामले की जांच अब भी चल रही है। भाजपा के प्रभावशाली नेताओं के जरिए कालीदुरई मुख्यमंत्री पर कार्रवाई न किए जाने के लिए सिफारिश करवा रहे हैं।