जरुरत के मुताबिक कर्मचारियों तक की नहीं की जा रही पदस्थापना
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। कूनो नेशनल पार्क में विदेशों से लाकर बसाए जा रहे चीतों की लगातार मौतें हो रही है। इसके बाद भी लगता है वन महकमा लापरवाही छोड़ने को तैयार नही है। शायद यही वजह है कि न तो वहां पर स्वीकृत संख्या में स्टाफ पदस्थ किया जा रहा है और न ही चीतों के लिए पर्याप्त भोजन की व्यवस्था में रुचि ले जा रही है। हालत यह है कि नेशनल पार्क को वनपाल से लेकर वनरक्षक तक के कर्मचरियों की कमी से जूझना पड़ रहा है। इसका असर चीतों की सुरक्षा व निगरानी पर भारी पड़ रही है। दरअसल पार्क में अभी 58 कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। पार्क के लिए कुल मिलाकर 230 पद स्वीकृत हैं। इनमें अफसरों से लेकर कर्मचारी तक के पद शामिल हैं। इन पदों के एवज में महज 172 कर्मचारी और अफसर ही पदस्थ हैं। इस पार्क में चीतों को बसाने के लिए नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे। इनमें से 5 चीतों और 3 शावकों की अब तक मौत हो चुकी है। हाल ही में हुई 2 चीतों की मौत के बाद बैठकों का दौर जारी है , लेकिन बेहद जरुरी वन अमले की कमी को दूर करने पर कोई चर्चा तक नहीं की जा रही है। दरअसल कूनो में चीतों की निगरानी का मुख्य जिम्मा उप वन क्षेत्रपाल, वनपाल और वररक्षकों पर ही है। यह वो अमला है , जो चीतों की निगरानी का काम करते हैंँ। चीता जिस क्षेत्र में रहता है, वहां उसकी निगरानी में कर्मचारी तैनात रहते हैं। निगरानी के लिए जितने कर्मचारियों की जरूरत होती है, उतना अमला कूनो में है ही नहीं है।
यह हैं हालत
हालत यह हैं कि कूनो नेशनल पार्क में सहायक वनरक्षक के 3 पदों में से दो पद ही भरे हुए हैं। वनक्षेत्रपाल के 14 पदों में से 4 रिक्त पड़े हैं। इसी तरह उप वनक्षेत्रपाल के 12 में से सात खाली चल रहे हैं, जबकि वनपाल के 45 पदों में से 32 पद खाली चल रहे हैं। यह स्थिति तब भी बनी हुई है जब, कुछ माह पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कूनो का दौरा किया था। उस समय भी कर्मचारियों की कमी की बात सामने आई थी, तब उन्होंने केंद्रीय मंत्री ने कूनो में कर्मचारियों की कमी को दूर करने को भी कहा था। इसके बाद भी इस मामले में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। जिसकी वजह से अभी भी कूनो में कर्मचारियों के खाली पद पड़े हुए हैं।
भोजन का भी अभाव
कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत की वजह अकेली कालर आईडी नहीं है। वहां चीतों के सामने प्रे-बेस (भोजन) का भी संकट है, जो भविष्य में और अधिक बढ़ना तय है। इसकी पुष्टि भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने भी की है। दरअसल इसी साल जनवरी में पार्क में की गई वन्यप्राणियों की गिनती में चीतों का मुख्य भोजन चीतलों की संख्या प्रति वर्गकिमी 18 ही पायी गई है। जो बेहद कम है। अगर पूर्व के सालों के आंकड़ों को देखें तो 2021 में यह प्रति वर्गकिमी 23 और 2013 में 61 थी। इस कमी की मुख्य वजह है शिकार , जिसके प्रमाण भी मिले। इस मामले में डीएफओ प्रकाश वर्मा को 23 फरवरी 2023 को हटाने के आदेश दिए गए थे, लेकिन इस आदेश को साढ़े तीन माह बाद हाल ही में निरस्त कर दिया गया है। भोजन की कमी की वजह से ही कई बार चीते पार्क से 200 किमी दूर उत्तर प्रदेश की सीमा तक जा चुके हैं।