- चीतों की लगातार हो रही मौत ने बढ़ाई चिंता
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में जितनी तेजी से वन्य प्राणियों का कुनबा बढ़ रहा है, उसी तेजी से उनकी मौत भी हो रही है। इससे यह तथ्य सामने आया है कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा में वन विभाग पूरी तरह फेल साबित हो रहा है। खासकर कूना अभ्यारण्य में चीतों की लगातार हो रही मौत ने चिंता बढ़ा दी है। गौरतलब है कि मप्र के जंगलों में बाघ, तेंदुआ की मौत के आंकड़े तो हर साल बढ़ ही रहे हैं।
अब चीता प्रबंधन में भी वन अधिकारी फेल होते नजर आ रहे हैं। इस साल अब तक कूनो नेशनल पार्क में तीन व्यस्क और दो शावकों सहित 5 चीतों की मौत हो चुकी है। वन क्षेत्रों में बाघों की मौत को लेकर पहले से ही घमासान मचा हुआ है। कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए चीता पवन मौत ने भारत के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट चीता को एक और बड़ा झटका दिया है। पिछले साल सितंबर में लाए गए आठ चीतों में से एक पवन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन के अवसर पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। वन अधिकारियों के अनुसार, पवन को झाडिय़ों के बीच एक सूखे नाले के किनारे बेसुध पड़ा पाया गया। शरीर पर किसी भी तरह की बाहरी चोट के निशान नहीं थे। इस साल अब तक प्रदेश में 32 बाघों की मौत हो चुकी है। तेंदुआ की मौत के आंकड़े इससे भी ज्यादा हैं। इधर, वन विभाग की वन्य प्राणी शाखा के अधिकारी अपना एक साल भी पूरा नहीं कर पाते और हट जाते हैं।
अधिकारी बदले लेकिन मौत नहीं रुकी
मप्र के वन विभाग की वन्य प्राणी शाखा के पास वन्य प्राणियों की मौत और टाइगर रिजर्व की देखरेख का जिम्मा है। साल 2020 से अब तक वन विभाग की वन्य प्राणी शाखा में छह अधिकारी बदले जा चुके हैं। अब सातवें अधिकारी वीएन अंबाड़े को वन्यप्राणी शाखा का मुखिया बनाया गया है। हाल यह हैं कि जब तक अधिकारी वाइल्ड लाइफ की गतिविधियों को समझ पाते हैं, उससे पहले ही उनको हटा दिया जाता है या फिर वे रिटायर हो जाते हैं। वन विभाग की सबसे महत्वपूर्ण वन्यप्राणी शाखा को स्थाई अधिकारी नहीं मिलने से भी यहां का प्रबंधन गड़बड़ा रहा है। उधर, प्रदेश के जंगलों में लगातार हो रही वन्य प्राणियों और ब.ाधों की मौत को लेकर अब राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण भी नाराज है। वन विभाग की वन्यप्राणी शाखा में आलोक कुमार अगस्त 2020 से जनवरी 2022 तक मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक रहे। इनके रिटायर होने के बाद यह जिम्मेदारी वरिष्ठ आईएफएस जसबीर सिंह चौहान को सौंपी गई है। इनके कार्यकाल में कूनो में आधा दर्जन चीतों की मौत हो गई थी। इसके चलते इन्हें जुलाई 2023 में हटा दिया। इसके बाद असीम श्रीवास्तव को जुलाई 2023 में वन्यप्राणी शाखा का मुखिया बनाया गया है। इस साल जनवरी में 1986 बैच के आईएफएस अभय कुमार पाटिल वन बल प्रमुख के पद से रिटायर हो गए थे। इसके बाद वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव को वन बल प्रमुख बना दिया था। फिर वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ की जिम्मेदारी अतुल श्रीवास्तव को दी गई थी। अतुल श्रीवास्वत 30 जून को रिटायर हो गए थे। इसके बाद वन्य प्राणी पीसीसीएफ का अतिरिक्त प्रभार शुभरंजन सेन को दिया गया था। अब वीएन अंबाड़े को पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ
बनाया गया है। यानी साल 2020 से अब तक इस पद पर 6 अधिकारी रह चुके हैं। अब सातवें अधिकारी वीएन अंबाड़े यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।