- बाड़े तैयार, भोजन की भी व्यवस्था
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मालवा इलाके में बनाए गए गांधीसागर अभ्यारण्य में जल्द ही विदेशी चीते कुलांचे भरते नजर आएंगे। इसके लिए यह अभ्यारण पूरी तरह से तैयार है। माना जा रहा है कि अगले माह के अंत तक यहां पर चीते लाए जा सकते हैं। इसके लिए न केवल यहां पर बाड़े तैयार किए जा चुके हैं, बल्कि उनके लिए आसानी से भोजन उपलब्ध हो सके इसके लिए दूसरी जगहों से लाकर तमाम तरह के वन्य प्राणियों को भी यहां छोड़ा जा चुका है और अभी यह काम किया भी जा रहा है।
यह चीते अफ्रीकन देश केन्या से आने वाले हैं। इन चीतों के लिए गांधीसागर में 64 वर्ग किमी क्षेत्र में आठ क्वारंटीन बाड़े बन कर तैयार हो चुके हैं। इनमें लगभग आधा दर्जन चीतों को रखा जा सकता है। फिलहाल यह अभी तक तय नहीं हुआ है कि यहां पर कितने चीतों को रखा जाएगा। चीतों के आने से पक्षियों को 225 से अधिक प्रजातियों का निवास स्थान चीता पर्यटन में भी देश के नक्शे पर आ जाएगा। गांधीसागर अभयारण्य का प्राकृतिक वातावरण ही ऐसा है कि विलुप्त होने की कगार पर खड़ी पशु- पक्षियों की कई प्रजातियां जिस तरह से यहां पर रहकर अपना कुनबा बढ़ा रही हैं, उससे इसे उनके लिए इसे सुरक्षित व संरक्षित आवास माना जा रहा है। इधर, वन विभाग ने भी चीतों को बसाने की तैयारी पूरी कर ली है। केंद्र सरकार से अब संकेत मिल रहे हैं कि फरवरी के अंत में या फिर मार्च तक गांधीसागर की धरती पर चीतों को उतार दिया जाएगा। केंद्र सरकार भी अभ्यारण्य की सीमा के बाहर तीन किमी क्षेत्र को ईको सेंसेटिव जोन बनाने का गजट नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है। जून में भेजे गए अभ्यारण्य के आस-पास मंदसौर-नीमच जिले के रिजर्व फोरेस्ट के 900 वर्ग किसी को बफर जोन बनाने का प्रस्ताव भी अंतिम पायदान पर है। सरकार की हरी झंडी मिलते ही गांधीसागर अभयारण्य के वन्यजीवों को विचरण के लिए 1300 वर्ग किमी का दायरा मिल जाएगा। अगर यह हुआ तो श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क के क्षेत्रफल 748.76 वर्ग किमी से भी बड़ा हो जाएगा। वन विभाग का मानना है कि चीतों, चीतल के स्वच्छंद विचरण के लिए गांधीसागर का क्षेत्रफल बढ़ाना जरूरी है। गांधीसागर में छह चीते रखने की तैयारी है। 64 वर्ग किमी में बने आठ क्वारंटीन बाड़ों में से छह में चीों को रखा जाएगा, दो बाड़े रिजर्व में रहेंगे। अफ्रीका व केन्या का दल भी निरीक्षण कर चुका है।
दो सैकड़ा प्रजाति के पक्षी
पक्षियों की गणना में 200 से ज्यादा प्रजाति के पक्षी मिले थे। विलुप्त हो चुकी प्रजाति के पक्षी भी यहां है। वन संरक्षक उज्जैन एमआर बघेल बताया कि वैसे तो हर एक जीव प्रकृति का अभिन्न अंग है, किंतु किसी क्षेत्र में पक्षियों की जैव विविधता स्वच्छ पारिस्थितकीय तंत्र का सूचक है। गांधीसागर में कई प्रजाति के पशु-पक्षियों की जैव विविधता दर्शाती है कि गांधीसागर अभयारण्य में खुले घास के मैदान, 66 वर्ग किमी में फैला गांधीसागर जलाशय वन्य जीवों के लिए अच्छा आवास स्थल है।
कहां से कितने लाए जा रहे वन्य प्राणी
गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों के पुर्नस्थापना के पूर्व शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ाने हेतु 1250 चीतल हिरन अन्य संरक्षित क्षेत्रों से स्थानांतरित किए जाने हैं, ताकि चीतों के शिकार के लिए पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध हो सके। वन अफसरों के मुताबिक कान्हा नेशनल पार्क से आने वाले कुल 500 हिरण में से 23 हिरन पहली खेप में गांधी सागर अभ्यारण्य में पहुंच चुके हैं। इन्हें सफलतापूर्ण स्वस्थ्य अवस्था में वन्य प्राणी पशु चिकित्सक की निगरानी में शाकाहारी वन्य प्राणी हेतु निर्मित 90 हैक्टेयर के बाड़े में छोड़ दिया गया है। वन्य विहार नेशनल पार्क भोपाल से 250, नरसिंहगढ़ अभ्यारण्य राजगढ़ से 250 चीतल-हिरन एवं फरवरी, मार्च में शाजापुर से 400 कृष्ण मृग हिरन अभ्यारण्य में स्थानांतरित किया जाएगा।
गांधीसागर अभ्यारण की खासियत
गांधीसागर अभ्यारण्य में वृक्षों की 70 प्रजाति, जड़ी बूटियों, झाडिय़ों की 23 प्रजाति, लताओं और परजीवियों की नौ प्रजाति, घासरों व बांसों की 16, स्तनधारी की 18, पक्षियों की 226, मछलियों की 14, सरीसृप की 17, उभयचरों की 5, तितलियों की 15 प्रजातियां है। यहां तेंदुआ, भेडिय़ा, सियार, भारतीय लोमड़ी, धारीदार लक्कड़बग्गा, रीछ जैसे वन्यजीत विचरण कर रहे है। ऊदबिलाव, गिद्ध, नीलगाय, हायना, जेकल जैसी कई प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।