विदेशी कंपनी करेगी टोल नाकों के लिए नया सिस्टम तैयार

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भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए शिव सरकार द्वारा कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत ही अब सरकार ने प्रदेश के टाले नाकों के लिए नए सिरे से एक्सीडेंट रिस्पांन्स सिस्टम तैयार करने का काम एक विदेशी कंपनी से कराने का तय किया है। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अब प्रदेश में ऐसा कोई भी टोल नाका नहीं रहे, जहां पर एम्बुलेंस सुविधा न हो।
दरअसल हाईवे और अन्य सड़कों पर होने वाले हादसों में घायलों को तत्काल इलाज उपलब्ध कराने के लिए हर टोल नाके पर एम्बुलेंस सुविधा के नियम हैं, लेकिन ठेकेदारों द्वारा पूरी तरह से निगरानी न होने की वजह से इस सुविधा में कोताही बरती जाती है। इसकी वजह से ही अब प्रदेश में नए सिरे से एक्सीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (एआरएस) तैयार कराया जा रहा है। इसका काम नीदरलैंड की एक कंपनी को सौंपा गया है। उल्लेखनीय है कि अभी तक प्रदेश में यह काम मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा बीते कई सालों से देखा जा रहा था। इसका मुख्य उद्देश्य सड़क हादसों में घायलों को एम्बुलेंस के माध्यम से त्वरित उपचार उपलब्ध कराना है। इसके लिए अब निगम द्वारा उन सड़क मार्गों का भी अध्ययन कराया जा रहा है जहां पर सर्वाधिक दुघर्टनाएं होती हैं। इसका डॉटाबेस तैयार कराया जा रहा है। इसके आधार पर अब इस सिस्टम का विस्तार किया जाएगा। दरअसल एआरएस का नया सेटअप बनाने के लिए एमपीआरडीसी ने टेंडर बुलाए थे। दो सप्ताह पहले मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने नीदरलैंड की कंपनी को करीब 11 करोड़ में काम देने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके लिए कंपनी द्वारा नया सॉफ्टवेयर तैयार किया जाएगा। जिसमें सड़क हादसों को रोकने, दुर्घटना बहुल क्षेत्र पर विशेष नजर रखने के  अलावा त्वरित उपचार सुविधा उपलब्ध कराने पर फोकस रहेगा।
एक लाख किमी सड़कों का बनेगा डेटा
एमपीआरडीसी का प्लान प्रदेशभर की एक लाख किलोमीटर सड़कों का डेटाबेस बनाने का है। वर्तमान में  होने वाले हादसों का डेटा में 20 हजार किमी सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाओं के आंकड़े जुटाए गए हैं।
दो दिन तक की जाएगी मॉनीटरिंग
नए सेटअप के अनुसार लगभग सभी टोल प्लाजा के पचास किलोमीटर की दूरी पर एक एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराना है। अभी प्रदेश में करीब एक सैकड़ा टोल प्लाजा को एम्बुलेंस सुविधा से कवर किया जा रहा है। अब नई व्यवस्था के तहत मौजूदा 65 एम्बुलेंस की संख्या में वृद्वि कर उन्हें 150 करने जा रहा है। इन एम्बुलेंस में पैरामेडिकल स्टाफ तैनात रहेगा और घायल को अस्पताल पहुंचाने के 48 घंटे तक मॉनीटरिंग कर उसका डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसकी एक रिपोर्ट सड़क निर्माण के दौरान कंपनियों को दी जाएगी जिससे वे दुर्घटना रहित सडकों का निर्माण कर सकें।

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