- बाबाओं में एक बागेश्वर धाम का भी शिष्य शामिल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश ही नहीं विदेशों में अपने दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं का समाधान बताने वाले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को अब प्रदेश के ही पांच युवा बाबाओं से चुनौति मिलनी शुरु हो गई है। यह बाबा भी धीरेंद्र शास्त्री की ही तरह दरबार लगाकर लोगों की समस्याओं का समाधान बता रहे हैं। इन सभी के दरबारों में भी अब लोगों की भीड़ जुटने लगी है। इनमें से कई बाबा तो कथाएं भी करते हैं। अहम बात यह है कि इनमें से दो बाबा की तो बोलने की शैली पूरी तरह से धीरेंद्र शास्त्री की ही तरह है।
ऐसे ही एक बाबा हैं धीरेंद्र शास्त्री के शिष्य हनुमतदास । वे गुना जिले के मंशापूर्ण हनुमान मंदिर में दरबार लगाकर पर्चे बनाते हैं। अहम बात यह है कि वे धीरेंद्र शास्त्री के शिष्य हैं। यहां पर रविवार व सोमवार को पंडाल में भीड़ उमड़ती है। लोगों को नाम से बुलाकर उनका पर्चा बनाया जाता है और उनकी समस्याएं बताकर उनके निदान का दावा किया जाता है। 29 वर्षीय हनुमतदास धोती-कुर्ता पहनते हैं और हाथ में हनुमान जी की गदा रखते हैं और गले में लॉकेट पहनते हैं।
परिसर में बने मंदिरों में दर्शन करने के बाद बाबा गद्दी पर बैठकर भीड़ में से लोगों को नाम से पुकारकर पर्चा बनाने के बाद लोगों की समस्या बताकर उनके समाधान का भी दावा भी करते हैं। हनुमतदास सेनिल गुना जिले के राघौगढ़ के निवासी हैं। उनका यह दरबार बीते डेढ़ साल से लग रहा है। अहम बात यह है कि इस दरबार में किसी से भी कोई फीस नहीं ली जाती है, मंदिर में जो चढ़ावा आता है, उसे भी वहीं दिया जाता है। इसी तरह से अन्य बाबाओं में शामिल हैं, पन्ना जिले के अमानगंज तहसील के तहत आने वाले ग्राम सहादरा के राजेशकृष्ण शास्त्री। उनके स्थान का नाम सिद्देश्वर धाम है।
वे भी दरबार लगाते हैं और लोगों की समस्याओं का सामाधान बताते हैं। इनकी खासियत यह है कि वे बुदेंलखंडी में पूरी तरह से धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की ही तरह बोलते हैं और उसी तरह से पर्चा बनाने का काम करते हैं। इसी तरह से जो अन्य बाबा हैं उनमें सतना जिले के आदर्श कृष्ण शास्त्री , दमोह जिले के हटा के सरकार धाम के धर्मेन्द्र कुष्ण शास्त्री, छतरपुर जिले के लवकुश नगर के लवलेश कृष्ण शास्त्री। उनके स्थान का नाम है ब्रह्मेश्वार धाम। वे पंडोखर धाम के शिष्य हैं।
एक साल से लगा रहे दरबार
लवलेश तिवारी की उम्र महज 20 वर्ष है। पिता का नाम स्व. तुलसीदास तिवारी एवं माता का नाम फूलबाई तिवारी है। लवलेश की तीन बहने हैं। लवलेश बताते हैं की उनके पिता की मृत्यु उस समय हुए जब वह महज 8 साल के थे। पिता भी कर्मकांडी पंडित थे। लवलेश ने केवल आठवीं क्लास तक की पढ़ाई की। उनकी शुरुआती शिक्षा छतरपुर जिले के महर्षि स्कूल से हुई। लवलेश तिवारी छतरपुर जिले के लखेरी के रहने वाले हैं। आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद लवलेश तिवारी वेदों का पढ़ाई करने के लिए वृंदावन चले गए। मन की बात कैसे जान लेते हैं। इस सवाल का जवाब लवलेश तिवारी ने ठीक उसी तरह दिया जिस तरह से बागेश्वर सरकार देते हैं। लवलेश तिवारी भी दरबार लगाते हैं। हालांकि यह दरबार महज एक वर्ष से ही लगा रहे हैं। लवलेश के दरबार में भी वही सब होता जो पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में होता है। लवलेश भी भीड़ में से किसी को भी खड़ा कर देते हैं और उसके मन की बात पर्ची पर लिख देते हैं।