कुपोषण: केन्द्र से अब भी पांच सौ करोड़ की दरकार

  • कई मदों में भी तय राशि नहीं दे रहा है केन्द्र
  • विनोद उपाध्याय
कुपोषण

एक तरफ कुपोषण कम नहीं हो रहा है, तो दूसरी तरफ उनके लिए चलाई जाने वाली योजनाएं आर्थिक तंगी का शिकार हो रही हैं। इसमें सबसे अहम योजना है, विशेष पोषण आहार योजना। इस योजना के तहत प्रदेश 97 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों में 80 लाख से ज्यादा कुपोषित बच्चों को पोषित करने पूरक पोषण आहार  मुहैया कराया जाता है। इसके लिए राशि केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती है। लेकिन हालत यह है कि अब भी प्रदेश को इस मद में मिलने वाली राशि में से साल बीत जाने के बाद भी पांच सौ करोड़ रुपए नहीं दिए जा रहे हैं।
प्रदेश की गिनती उन राज्यों में होती है, जहां पर बहुतायत मात्रा में बच्चे कुपोषित हैं। प्रदेश मे अति कुपोषित बच्चो ंकी संख्या करीब एक लाख है। इनके पोषण आहार पर खर्च होने वाली राशि का 74 फीसदी केन्द्र सरकार द्वारा दी जाती है। इसके तहत प्रदेश को बीते साल केन्द्र सरकार से 1623 करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन केन्द्र सरकार ने महज 1123 करोड़ की राशि ही उपलब्ध कराई है। इसकी वजह से अब भी भी प्रदेश सरकार को बीते साल के हिस्से के पांच सौ करोड़ रुपए लेने हैं। इसी तरह से अन्य योजनाओं को देखें तो, उनमें प्रदेश को 2794 करोड़ रुपए मिलने थे, लेकिन मिले महज 1495 करोड़ रुपए । प्रदेश में महिलाओं तथा बच्चों के कल्याण के लिए मप्र सरकार द्वारा कई तरह की योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण आहार 2.0 योजना, नारी अदालत, हब फॉर वूमन एम्पॉवरमेंट, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, पोषण अभियान, स्वधार योजना, वन स्टॉप सेंटर (सखी), महिला शक्ति केंद्र, वात्सल्य योजना, महिला विश्रामालय का भवन निर्माण, समेकित बाल संरक्षण योजना, किशोरी बालिका योजना, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम विशेष पोषण आहार योजना तथा मिशन वात्सल्य तैसी योजनाएं शामिल हैं। इन योजनाओं पर बीते साल राज्य सरकार ने  4 हजार 330 करोड़ का बजट प्रावधान किया था। इसमें से 1535 करोड़ की राशि मप्र को और 2794 करोड़ रुपए केंद्र सरकार को खर्च करने थे , लेकिन 31 मार्च तक प्रदेश को केंद्र ने महज 1495 करोड़ रुपए ही दिए। पूरी राशि न मिलने की वजह से पोषण आहार के वितरण की दो योजनाओं पर बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
6 साल तक के बच्चों को पोषण आहार
प्रदेश में कुपोषण से मुक्ति के लिए मप्र सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दो योजनाएं चलाई जा रही है। इनमें से एक में 6 माह से 6 साल तक की आयु के बच्चों को सुबह नाश्ता और दोपहर में भोजन दिया जाता है, वहीं एक अन्य योजना में 3 से 6 साल के बच्चों को विशेष पोषण आहार प्रदान करने तरह-तरह के पौष्टिक व्यंजन उपलब्ध कराए जाने का प्रावधान है। प्रत्येक बच्चे पर पोषण आहार के लिए 7 से 7.95 रुपए खर्च किए जाते हैं।
इस योजना में नहीं मिला कोई पैसा
न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के तहत संचालित विशेष पोषण आहार योजना में प्रदेश सरकार ने 1272 करोड़ का बजट प्रावधान किया था, इसमें से मप्र सरकार ने 647 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं, लेकिन केंद्र सरकार से उसके हिस्से के 625 करोड़ रुपए की राशि अभी तक नहीं प्रदान की गई है।  इसी तरह सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण-2.0 के लिए 2191 करोड़ के बदले केंद्र से 1623 करोड़ रुपए मिलना था, जिसमें केंद्र ने अभी तक 1123 करोड़ ही दिए और 500 करोड़ की राशि अभी भी अटकी हुई है।
इन योजनाओं की भी स्थिति खराब
योजना केंद्र से मिलना मिली राशि
समेकित बाल 104.27 00.00
वन स्टॉप सेंटर 21.09 03.70
मातृ वंदना योजना 280.78 00.00
पोषण अभियान 200.14 0000
इन योजनाओं में मिली अधिक राशि
बेटी बचाओ-पढ़ाओ 15.10 18.76
स्वधार योजना 01.50 113.88
महिला शिशु स्वास्थ्य 00.00 60.84
(स्त्रोत वित्त विभाग, राशि करोड़ रुपए में

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