- बनाई जाएगी बिजली, खाद और सीएनजी गैस
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के अधिकांश नगरीय निकायों की हालत लंबे समय से खस्ता चल रही है। आय कम और खर्च अधिक होने की वजह से उनका खजाना खाली चल रहा है। ऐसे में अब प्रदेश के पांच दर्जन निकायों की माली हालत सुधारने और उन्हें साफ स्वच्छ रखने के लिए कचरे से खाद, बिजली और सीएनजी गैस बनाने की योजना बनाई गई है। इससे जहां निकायों को आय होगी तो वहीं, शहर भी साफ सुथरे रहेंगे। इससे प्रदेश के शहरों पर लगा गंदगी का दाग भी साफ हो जाएगा।
फिलहाल प्रदेश के सभी शहरों में कचरे का निष्पादन तो हो रहा है, लेकिन अभी उससे आय की जगह खर्च बढ़ गया है। प्रदेश में प्रयोग के तौर पर कई शहरों में कचरे से बिजली, सीएनजी और खाद बनाने का प्रयोग किया गया है, जो पूरी तरह से सफल रहा है। इस मामले में कचरा निष्पादन के मामले में इंदौर नगर निगम में सबसे अच्छा काम हो रहा है। अब दूसरे शहरों में क्लस्टर बनाकर कचरे से खाद एवं बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। जल्द ही ऐसे नगरों के निकायों को भी कमाई होना शुरू हो जाएगी। प्रदेश की नगरीय निकायों में वर्तमान में ठोस कचरे के लिये दो तरह की प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। पहली प्रक्रिया क्लस्टर आधारित परियोजनाओं के क्रियान्वयन के रूप में, जिसमें बड़ी नगर निगम के पास की छोटी निकायों से कचरा लाकर उचित विधि से प्रसंस्करण किया जा रहा है। प्रदेश में इस समय इस पद्धति से 5 क्लस्टर में 60 नगरीय निकायों को शामिल किया गया है। ये कलस्टर्स सागर, रीवा, कटनी, जबलपुर, एवं सिंगरौली है। इनमें से सागर, कटनी और सिंगरौली कलस्टर्स में से गीले कचरे से खाद बनाई जा रही है। रीवा एवं जबलपुर में प्रतिदिन संग्रहित होने वाले कचरे से बिजली का निर्माण किया जा रहा है।
चार सैकड़ा निकायों में बनाया जा रहा खाद
प्रदेश के चार सैकड़ा नगरीय निकाय ऐसे हैं, जिनमें गीले कचरे से खाद बनाने का काम किया जा रहा है। निकायों में 360 मटेरियल रिकवरी, फेसिलिटी इकाइयां स्थापित की गई है। इंदौर में कचरे से सीएनसी बनाने का काम पहले ही शुरू हो गया है। कचरा प्रबंधन के मामले में इंदौर पहले स्थान पर है। अन्य शहरों में भी इसी तर्ज पर इकाइयां स्थापित की जा रही हैं। प्रदेश के 413 नगरीय निकायों में वर्ष 2023 में 7 हजार टन कचरे का उत्सर्जन किया गया।
भोपाल में बनेगी सीएनजी
इंदौर में 550 टन प्रतिदिन गीले कचरे की प्रसंस्करण क्षमता की इकाई स्थापित की गई है। इससे बायो सीएनजी का निर्माण किया जा रहा है। इसी तर्ज पर अब भोपाल में भी सीएनजी बनाने की तैयारी की जा रही है। इसकी क्षमता 150 टन प्रतिदिन की होगी। इसी तरह से जबलपुर में 600 टन प्रतिदिन क्षमता की बेस्ट टू एनर्जी इकाई स्थापित की गई है, जिससे कचरे के प्रसंस्करण से 11.05 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी।