नए सिस्टम से जल्द हो सकेगा फिंगर प्रिंट का मिलान

फिंगर प्रिंट
  • सूबे के हर थाने में फिंगर प्रिंट स्कैनर लगाने का प्रस्ताव तैयार

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। कौन सा अपराध किस अपराधी द्वारा किया गया है और कितनी बार कहां- कहां पर , यह पता लगाने  के लिए अब प्रदेश पुलिस और आधुनिक सिस्टम का उपयोग करना चाहती है।  यही वजह है कि अब प्रदेश का पुलिस महकमा सूबे के हर थाने में फिंगर प्रिंट मशीन लगाना चाहता है। इसके लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को पुलिस मुख्यालय द्वारा एक प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इस प्रस्ताव में एक हजार थानों में यह नया सिस्टम लगाने का प्रस्ताव है। इसके जरिए पुलिस हर बदमाश और चोरों के फिंगर प्रिंट लेगी  जो फिंगरप्रिंट मिलान के हाईटेक सिस्टम नेशनल आॅटोमेटेड फिंगर प्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (नेफीस) के तहत काम करेगा। नेफीस से फिंगर प्रिंट मिलान का सिस्टम अपग्रेड हो चुका है , जिसमें अब तक प्रदेश करीब 12 लाख बदमाशों के फिंगर प्रिंट का डेटाबेस तैयार किया जा चुका है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश में अभी तक महज 83 वर्क स्टेशन पर ही नेफीस का उपयोग हो पा रहा है। दरअसल यह ऐसा सिस्टम है जिससे लाइव फिंगर प्रिंट स्कैन कर सिस्टम पर अपलोड करने पर उसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है।
इसकी वजह से फिंगर प्रिंट से मिलान जल्द और अधिक मात्रा में किए जा सकते हैं।  फिलहाल प्रदेश के थानों में स्कैनर की मदद से फिंगर प्रिंट लिए जाते हैं और उसके बाद सीधे नेफीस वर्क स्टेशन पर अपलोड करने पड़ते हैं। दरअसल पहले चरण में जिन मुख्यालयों सहित 83 वर्क स्टेशनों पर इसे लगाया गया है , उसकी वजह से कई बार बदमाशों के फिंगर प्रिंट इसमें अपलोड करने में कठिनाई होती है और कई बार तो यह अपलोड भी नहीं हो पाते हैं।  दरअसल यह सुविधा अभी जिला मुख्यालय के अलावा आला अफसरों के पास ही मौजूद है।  यही वजह है कि अब हर थाने में फिंगर प्रिंट के लिए स्कैनर और सिस्टम लगाया जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसके पीछे मकसद है अधिक से अधिक बदमाशों के फिंगर प्रिंट लेना।  इस नए सिस्टम से थानों पर फिंगर प्रिंट लाइव भी लिये जाने की सुविधा मिल सकेगी। इस नई योजना के लागू होने से फिंगरप्रिंट कागज पर लेकर नेफीस सेंटर तक जाने की परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी। एनसीआरबी ने सभी थानों में यह सुविधा देने का काम अपने दूसरे चरण में रखा है। इसके बार जेल और जिला अदालत में भी इस सिस्टम को लागू करने की योजना है।
यह होता है फायदा
इस सिस्टम से अपराध करने के बाद संदेह के दायरे में आए व्यक्तियों की इस प्रणाली के माध्यम से पहचान हो जाती है। इसके साथ ही साथ मृत व्यक्तियों के पहचान में भी सुविधा रहती है। तकनीकी स्तर पहचान के सत्यापित होने से अनसुलझे अपराधों में संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान हो सकेगी। यह प्रणाली पूरी तरह से फिंगरप्रिंट के आधार पर पहचान करती है। इसके तहत पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गये अपराधियों के फिंगर प्रिंट, फोटोग्राफ व अन्य पहचान इकठ्ठे किये जाते  हैं। इनमें चोरी, नकबजनी, लूट, हत्या जैसी जघन्य आदि अपराध में मौके पर फिल्ड यूनिट के अधिकारी व कर्मचारीगण जाकर कर चान्स फिंगर प्रिंट इक्कठे करमे हैं।इससे अपराधियों की पहचान तत्काल करने में मदद मिलती है। अभी अपराध कर मौके से फरार हुए व्यक्तियों की पहचान करने में पुलिस को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है । अब इसके माध्यम से अपराधियों द्वारा मौके पर छोड़े गए अगुंलि चिन्ह निशान के आधार पर उसे विकसित कर अपराधियों की पहचान करने में आसानी होती है।

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