- 10 से 20 हजार किमी चली गाडिय़ां लग रही पुरानी
- गौरव चौहान
मप्र की सरकार कर्ज में डूबी है। सरकार ने अब तक इस वित्तीय वर्ष में 42,500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। वहीं, मोहन यादव की नई सरकार ने केवल तीन महीनों में 17,500 करोड़ रुपए लिए हैं। फिर भी नई सरकार में कुछ मंत्री नई कार चाहते हैं। कर्ज में डूबी सरकार के मंत्रियों ने अपनी डिमांड रख दी है। इस पर गृह विभाग ने नई गाडिय़ां खरीदने को लेकर वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा है। प्रस्ताव का अध्ययन करने के बाद वित्त विभाग ने कुछ क्वेरीज (प्रश्नों) के साथ गृह विभाग को यह प्रस्ताव वापस भेज दिया है। इसमें पूछा गया है कि मंत्रियों के लिए गाडिय़ां खरीदना क्यों जरूरी है, वर्तमान में मंत्रियों के पास जो गाडिय़ां हैं, वे कैसी कंडीशन में हैं?
जानकारी के अनुसार हाल में गृह विभाग ने 31 इनोवा क्रिस्टा गाडिय़ां खरीदने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा था। इन गाडिय़ों की खरीदी पर करीब 11 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें 28 गाडिय़ां मंत्रियों के लिए, एक-एक गाड़ी दोनों डिप्टी सीएम के लिए रहेगी और एक गाड़ी मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल होगी। सूत्रों का कहना है कि वर्तमान में मंत्रियों के पास जो गाडिय़ां हैं, उनमें से अधिकतर वर्ष 2022-23 में खरीदी गई हैं और इनमें से कई गाडिय़ां सिर्फ 10 हजार से 20 हजार किलोमीटर के बीच चली हैं और अच्छी हालत में हैं। इसके बाद भी मंत्री इन गाडिय़ां से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें अपने लिए नई गाडिय़ां चाहिए। दरअसल, इनोवा क्रिस्टा का नया मॉडल नए फीचर्स के साथ बाजार में लॉन्च हुआ है। नई गाड़ी में पूरे प्रदेश में रुतबे के साथ सफर करने के लिए मंत्रियों ने नई गाडिय़ां की मांग सरकार से की है। मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के काफिले के लिए सात नई गाडिय़ां खरीदने के लिए वित्त विभाग को पिछले महीने प्रस्ताव भेजा गया था। वित्त विभाग की परमिशन के बाद सीएम के काफिले के लिए सात गाडिय़ां खरीदी जा चुकी है। इनमें से प्रत्येक गाड़ी कीमत करीब 50 लाख रुपए है। सीएम के काफिले के लिए एक गाड़ी और खरीदा जाना प्रस्तावित है।
31 नई गाडिय़ों का प्रस्ताव
मंत्रियों की डिमांड को देखते हुए राज्य गैरेज ने कम से कम 31 नई इनोवा क्रिस्टा कारों के लिए प्रस्ताव भेजा है। इनमें 28 मंत्रियों के लिए एक-एक और दो उपमुख्यमंत्रियों के लिए एक-एक शामिल है। अधिकारियों ने बताया कि अभी मंत्रियों के पास जो मौजूदा कारें हैं, उनमें भी अधिकांश नई हैं, जिसे 2022-23 में खरीदा गया था। ये कारें मुश्किल से 10,000-20000 किमी चली हैं। नई कारों की खरीद पर 11 करोड़ रुपए खर्च हो सकते हैं। यह प्रस्ताव मार्च की शुरुआत में भेजा गया था। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आचार संहिता के दौरान मंत्रियों के लिए नई गाडिय़ों की खरीदी की जा सकती है। नई गाडिय़ां खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद गवर्नमेंट ई-मोर्केट प्लेस (जेम) के माध्यम से सीधे कंपनी के जरिए खरीदी की जाएगी। जेम में कंपनी की ओर से जो रेट होंगे, उसके आधार पर वाहनों की खरीदी होगी। जानकारी के मुताबिक जेम को ऑर्डर देने के बाद वाहन उपलब्ध कराए जाने में कम से कम 15 दिन का समय लग सकता है।
कारों से संतुष्ट नहीं हैं मंत्री
वहीं, अधिकारियों ने बताया कि मंत्रियों को जो कारें आवंटित की गई हैं, उससे वह संतुष्ट नहीं हैं। उनका तर्क है कि उनके पास नई कारें होनी चाहिए, क्योंकि उन्हें राज्य के विभिन्न हिस्सों में अक्सर यात्रा करनी पड़ती है। राज्य गैरेज के अधिकारियों ने टीओआई को बताया कि उन्होंने मार्च के पहले सप्ताह में प्रस्ताव भेजा था। अधिकारियों ने कहा कि यह वित्तीय वर्ष अब समाप्ति की ओर है, वित्त विभाग किसी भी मद के तहत खरीद को समायोजित कर सकता है या फिर नए एक अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष में इसकी मंजूरी मिल सकती है। वहीं, क्या आचार संहिता का कोई असर खरीदी पर पड़ सकता है। इस पर अधिकारियों ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर करता है।
कब बदल सकती है मंत्रियों की कारें
मंत्रियों की कारें कब बदली जा सकती हैं, इसका कोई नियम नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि इससे पहले, एचएम एंबेसडर युग के दौरान, कारों को आमतौर पर 1.1 लाख किमी के बाद बदल दिया जाता था, लेकिन नई कारों का जीवनकाल काफी बेहतर होता है और उन्हें पांच लाख किमी तक आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर मंत्रियों के बेड़े को बदल दिया जाता है तो मौजूदा कारें सरकारी अधिकारियों को दे दी जाएंगी क्योंकि उन्हें आमतौर पर शहर के भीतर ही चलने की जरूरत होती है और वे पुरानी कारों से काम चला सकते हैं।
साढ़े तीन लाख करोड़ का कर्ज विरासत में मिला
पिछले साल नवंबर में जब विधानसभा चुनाव हुए थे तो साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए का कर्ज विरासत में मिला था। हर महीने 3500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज सरकार ने लिया है। सरकार ने 20 मार्च को 5000 करोड़ रुपए अतिरिक्त कर्ज के लिए अधिसूचना जारी की थी, जिसकी प्रक्रिया 26 मार्च को पूरी होनी थी। इसकी अगर मंजूरी मिल जाती है तो इसका मतलब होगा कि तीन महीनों में वर्तमान सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के 47 फीसदी कर्ज लिए हैं। वहीं, नकदी की कमी से जूझ रही एमपी सरकार को नई कार के लिए 11 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ सकते हैं। हालांकि इसकी अंतिम कीमत वित्त विभाग से मंजूरी मिलने के बाद ही पता चलेगा। जेम पोर्टल के माध्यम से कारों की खरीद के लिए निविदा आमंत्रित किए जाते हैं।