63 विधायकों में… प्रतिष्ठा की लड़ाई

  • गौरव चौहान
विधायकों

पांच माह पहले जो नेता विधायक बने थे, उन्हें अब  सोमवार को मतदान के दौरान अग्रि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है। चार जून को होने वाली मतगणना में उनकी मतदाताओं पर पकड़ की हकीकत सामने आ जाएगी। दरअसल चौथे चरण में कल प्रदेश की जिन आठ लोकसभा सीटों पर चुनाव होना हैं, उनके तहत 63 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से 46 पर भाजपा के और 17 पर कांग्रेस के विधायक हैं। यही वजह है कि मतदान के दौरान इन्हें कसौटी पर कसा जा रहा है।  इन सीटों में उज्जैन, इंदौर, देवास, मंदसौर, झाबुआ, खंडवा, खरगोन और धार शामिल हैं। सभी सीटें मालवा और निमाड़ अंचल से आती हैं। अहम बात यह है कि यह वे सीटें हैं, जो प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा के दिग्गज नेताओं के इलाके की हैं। इस वजह उनकी प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। इनमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा,  मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी व विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के नाम शामिल हैं। इनके अलावा कई मंत्रियों के सामने भी पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में अधिक से अधिक वोट डलवाने की चुनौती भी बनी हुई है। इन आठों सीट वाले मालवा और निमाड़ इलाके को सियासी तौर पर भाजपा का गढ़ माना जाता है। बीते दो लोकसभा चुनाव में भाजपा को यहां की सभी इन आठ सीटों पर भाजपा को जीत मिल चुकी है। यही वजह है कि भाजपा को इस बार भी ऐसे ही परिणामों की अपेक्षा बनी हुई है। भाजपा की ओर से अपना गढ़ बचाने और कांग्रेस की ओर से उसमें सेंध लगाने के दावे किए जा रहे हैं। चूंकि यह इलाका भाजपा के गढ़ के तौर पर जाना और पहचाना जाता है, इसलिए सबसे ज्यादा साख भाजपा के नेताओं की दांव पर लगी हुई है। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को मिलाकर तकरीबन दस मंत्री इसी इलाके से से आते हैं। सभी को अलग-अलग जिम्मेदारी भी दी गई है। भाजपा ने जिस तरीके से जिम्मेदारियों का विकेंद्रीकरण किया है, उसका सीधा असर पार्टी के विधायकों की सेहत पर पड़ने वाला है। भोपाल प्रवास के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह साफ तौर पर कह गए हैं कि जिन क्षेत्र में लीड कम होगी, उनकी खबर ली जाएगी। ऐसा नहीं है कि अकेले भाजपा के नेताओं की साख जुड़ी हुई है। कांग्रेस के नेता भी इसी परिधि में आते हैं।  भाजपा का गढ़ होने के बाद भी इस बार इस अंचल में कई सीटों पर कांग्रेस ने कड़ा मुकाबला बना दिया है। ऐसे में राजनैतिक विशेषक भी हार जीत का सही अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं।
भाजपा को मालवा , तो निमाड़ से कांग्रेस की उम्मीदें  
 मालवा भाजपा का बेहद मजबूत गढ़ है। गिने चुने मौकों को छोड़ भाजपा को मालवा में लगातार जीत मिलती आ रही है। यही वजह है कि इस अंचल में भाजपा को जीत का पूरा भरोसा है। इसी  वजह से ही  कांग्रेस इस अंचल में खुद को कमजोर पाती है। निमाड़ में जरूर कांग्रेस अपना प्रभाव चुनाव में दिखाती रही है। विस  चुनाव में कांग्रेस को निमाड़ में ही जीत मिली थी। निमाड़ में कांग्रेस के मौजूदा जनाधार का बड़ा कारण जयस है। कांग्रेस को निमाड़ में जयस का साथ मिलने से जीत का भरोसा है। इस अंचल की जिन आठ सीटों पर मतदान होना है, उनमें  इंदौर, उज्जैन और मंदसौर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर कांग्रेस लंबे समय से नहीं जीती है। मंदसौर में 2009 को छोड़ दिया जाए, तो कांग्रेस की जीत का फासला बहुत लंबा है। जिसका फायदा भाजपा को मिलता रहा है। प्रदेश में दो दलीय राजीतिक व्यवस्था होने के कारण लोकसभा में कभी किसी तीसरे दल को मौका भी नहीं मिला है। आदिवासी बहुल सीट झाबुआ जरूर कांग्रेस की प्रतिष्ठा बचाती रही है।  बात अलग है कि इस सीट पर भी बीते दो चुनाव से कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हुई है।
समर्थन मूल्य को भी बनाया मुद्दा
यह अंचल किसानों के बड़े हैं। इसलिए कांग्रेस धान और गेहूं के समर्थन मूल्य का मुद्दा भी उठा रही है। पार्टी का दावा है कि फसल की पूरी कीमत किसानों को नहीं मिल रही है। भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव में 3100 और 2700 रुपए में धान-गेहूं खरीदने का वादा जनता से किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं कर रही है। कांग्रेस की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों का जवाब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दिया है। उन्होंने कहा कि अभी आचार संहिता प्रभावी है, इस कारण हम वादा नहीं कर रहे हैं, लेकिन हमने जो वादे किए हैं, हम उन्हें हर- हाल में पूरा करेंगे। अब यह मुद्दा कितना प्रभावी रहा है , यह तो मतगणना के दिन ही पता चल सकेगा।
कांग्रेस के इन नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर
मालवा-निमाड़ क्षेत्र से कांग्रेस से एक दर्जन से अधिक दिग्गजों की साख भी दांव पर पर है। इनमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अरुण यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया शामिल है। खास बात यह कि भूरिया खुद झाबुआ से कांग्रेस के प्रत्याशी है। इनके अलावा पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल (हनी) डॉ. विक्रांत भूरिया, पूर्व मंत्री सचिन यादव, बाला बच्चन, डॉ. हिरालाल अलावा की साख भी दांव पर है। सभी नेता मौजूदा विधायक है। कांग्रेस के ज्यादातर नेता निमाड़ क्षेत्र से आते हैं और निमाड़ इलाके की तकरीबन सभी सीटों पर इस पर  रोचक मुकाबला दिख रहा है।
इन भाजपा नेताओं की परीक्षा
मालवा-निमाड़ से भाजपा के कई दिग्गज आते हैं। इनमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तुलसी सिलावट, डॉ. विजय शाह, चेतन काश्यप, इंदर सिंह परमार, निर्मला भूरिया, नागर सिंह चौहान शामिल हैं। सीएम यादव उज्जैन दक्षिण, सिलावट सांवेर विधानसभा से विधायक है, जबकि कश्यप रतलाम शहर, जगदीश देवड़ा मल्हारगढ़, विजयवर्गीय इंदौर-एक और परमार शुजालपुर से विधायक है। निर्मला भूरिया पेटलावद, चौहान अलीराजपुर और शाह हरसूद से विधायक है। नागर चौहान की पत्नी अनीता चौहान खुद झाबुआ से भाजपा की प्रत्याशी है।

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