प्रदेश की जगह केन्द्रीय संगठन को सीधे जाएगी मैदानी रिपोर्ट

केन्द्रीय संगठन

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। इस बार मप्र विधानसभा चुनाव की कमान पूरी तरह से केन्द्रीय नेताओं ने संभाल ली है। इसकी वजह है, केन्द्रीय संगठन को पता है की मप्र में इस बार सत्ता में लौटने की डगर बेहद कठिन है। प्रदेश में जारी गुटबाजी और उसकी कार्यशैली पर शायद अब पार्टी आलाकमान पूरी तरह से भरोसा नहीं कर पा रहा है, शायद सही वजह है कि प्रदेश में पहली बार संभाग स्तर पर दूसरे प्रदेशों के नेताओं की तैनाती की गई है। अहम बात यह है कि यह नेता पूरी तरह से पूरे संभाग में मैदानी स्तर पर नजर रखते हुए रिपोर्ट तैयार करेंगे और उसे सीधे पार्टी हाईकमान को भेजेंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर पार्टी का केन्द्रीय संगठन चुनाव के समय अपनी रणनीति में फेरबदल करेगा। यह सभी नेता नवरात्रि के समय अपने -अपने संभागों में सक्रिय हो जाएंगे। इस बीच पार्टी की चौथी सूची भी जारी हो जाएगी। यह नेता हर विधानसभा का सघन दौरा कर क्षेत्र में चल रही राजनीतिक गतिविधियों पर पूरी नजर रखकर रिपोर्ट तैयार करने का काम करेंगे। दरअसल बीते आम चुनाव में भाजपा महज चंद सीटों की वजह से ही पिछली बार प्रदेश में चंद सीटों के फासले से भाजपा को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। केन्द्रीय नेतृत्व इस बार इस तरह की स्थिति किसी भी हालत में नहीं बनने देना चहती है। इसकेे लिए केन्द्र स्तर से हर संभव कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश चुनाव की कमान के सारे सूत्र सीधे गृह मंत्री अमित शाह ने अपने हाथ में लेने के बाद अपने बेहद करीबी और चुनाव प्रबंधन में महारत रखने वाले केन्द्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी बैष्णव को प्रभारी व शह प्रभारी बनाकर मप्र में तैनात कर रखा है। वे लंबे समय से  मैदानी स्तर पर फीडबैक लेने के लिए प्रवास करते रहे। इसके अलावा दूसरे राज्यों के विधायकों को भी मैदानी स्तर पर भेजा गया था। इन विधायकों ने संबधित विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कार्यकर्ताओं की राय जानने के बाद उससे संगठन को अवगत कराया था।
चार राज्यों के नेताओं का किया चयन  

भाजपा ने दस संभागों की सभी 230 विधानसभा और 29 लोकसभा क्षेत्रों में काम करने की जिम्मेवारी चार राज्यों के नेताओं को दी है। इनमें कर्नाटक, उप्र, हरियाणा और झारखंड के नेता शामिल हैं। यह नेता संगठन के स्थानीय नेताओं के साथ मिलकर पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने के प्रयास करेंगे। इसके अलावा अगर कहीं कोई दिक्कत आती है या फिर किसी कार्यकर्ता को लेकर कोई शिकायत आती है, तो उसे भी हल करने का प्रयास करेंगे। प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब संभागों में बाहर के नेता पूरे चुनाव के दौरान अपनी सेवाएं दें।
भाजपा की भी अगली सूची नवरात्रि में
भाजपा की चौथी सूची अब नवरात्रि में ही आएगी। पितृ पक्ष के कारण सूची तैयार होने के बाद भी जारी नहीं की जा रही है। गौरतलब है कि भाजपा ने अपनी तीन सूचियों में चंद सीटों को छोडक़र केवल हारी हुई सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए हैं। चौथी सूची में माना जा रहा है कि उन 26 सीटों के नाम भी होंगे, जहां पर पार्टी को बीते चुनाव में हार मिली थी।  इसके साथ ही इस बार कई मौजूदा विधायकों के भी टिकटों का फैसला होना है। सूत्रों की माने तो इस सूची में उन विधायकों के नाम होंगे जिन्हें टिकट मिलना पहले से ही संगठन तय कर चुका है। जहां टिकट को लेकर पेंच है, वहां के नाम बाद में तय किए जाएंगे। इस सूची को लेकर विधायकों के दिलों की धडक़नें बढ़ी हुई हैं।
किसे किस संभाग का जिम्मा
जिन दूसरे प्रदेशों को संभाग का प्रभार दिया गया है, उनमें  इंदौर की 37 सीटों का जिम्मा श्री रत्नाकर, संगठन महामंत्री भाजपा गुजरात, चंबल की 14 सीटों का प्रभार महाराष्ट्र के रघुनाथ कुलकर्णी को, उज्जैन की 29 सीटों का प्रभार गुजरात के कैबिनेट मंत्री जीतू भाई वेघानी को, भोपाल की 25 सीटों का प्रभार उप्र के मंत्री जेपीएस राठौर को, रीवा की 22 सीटों का प्रभार उप्र के सासंद लक्ष्मीकांत बाजपेई को,  सागर की 26 सीटों का प्रभार हरियाणा के सांसद संजय भाटिया को, ग्वालियर की 32 सीटों का प्रभार उप्र के ही नेता  हरीश द्विवेदी को, नर्मदापुरम संभाग की 11 सीटों का प्रभार हरियाणा के कैप्टन अभिमन्यु सिंह को, जबलपुर की 38 सीटों का प्रभार कर्नाटक के सी टी रवि को और शहडोल संभाग की 8 सीटों का प्रभार झारखंड के दीपक पाठक को दिया गया है।

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