कर्जमाफी के फेर में लाखों किसानों पर खाद का संकट

खाद का संकट

सरकार ने राहत के लिए दी नकद खरीदी की सुविधा

भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा लागू की गई कर्ज माफी योजना अब प्रदेश के लाखों किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। कर्ज माफी के फेर में इन किसानों ने कर्ज की राशि जमा नहीं की जिसकी वजह से वे डिफाल्टर की श्रेणी में आ गए हैं। इसकी वजह से अब उनके सामने खाद का बड़ा सकंट खड़ा हो गया है। प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब दस लाख के आपस होने का अनुमान है। अब रबी सीजन की बुबाई के समय जब उन्हें खाद की जरुरत हुई तो वे सोसायटियों के चक्कर काटने पर मजबूर हुए हैं। इसके बाद भी उन्हें खाद नहीं मिल पा रहा है। यह बात अलग है कि किसानों की इस समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को खाद लेने के लिए नकद की व्यवस्था बनाई है , लेकिन अधिकांश किसानों के पास इसके लिए र्प्याप्त पैस नही है। वैसे भी इस बार खाद की मांग अधिक बनी हुई है, जिसकी वजह से सरकारी तौर पर उसकी र्प्याप्त पूर्ति नहीं हो पा रही है जिसकी वजह से मार्कफेड और सहकारी दुकानों में मारामारी की स्थिति बनी हुई है। हालात इससे ही समझे जा सकते हैं कि सागर में तो एक बार खाद का स्टॉक ही समाप्त हो चुका है। यही नहीं खाद के लिए दमोह में किसानों को प्रदर्शन तक करना पड़ा। उधर ग्वालियर- चंबल इलाके से भी खाद की कमी की खबरें आ रही है। प्रदेश में इस बार रबी सीजन में 138 लाख हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य तय किया गया है। इसमे गेहूं के अलावा चना, मसूर, सरसों और अलसी जैसी फसलें शामिल हैं। यह रकबा बीते साल के बराबर ही है। खास बात यह है कि इस बार भी बीते साल के बराबर ही बोवनी का रकबा होने के बाद भी किसानों को फसल की पहली ंसिचाई के समय खाद की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि सितंबर व अक्टूबर में भी बारिश होने की वजह से खेतों में नमी बनी हुई है। यह किसानों के लिए फायदा है क्योंकि पहला पानी देने में बचत होगी, लेकिन इसकी वजह से एक साथ खाद की मांग बढ़ गई है। दरअसल प्रदेश में 8 लाख एमटी डीएपी की जरूरत रहती है। इसकी वजह से ही प्रदेश सरकार द्वारा पहले चरण में केंद्र सरकार से 6 लाख एमटी यूरिया तथा 4 लाख एमटी डीएपी की मांग की है। इस मामले में सहकारिता विभाग के अफसरों का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है। समस्या यह है कि डिफाल्टर किसानों को खाद देने में कई प्रक्रियाओं की खानापूर्ति करना पड़ रही है, जिसकी वजह से खाद वितरण में देरी हो रही है।
खाद की लाइन में डिफाल्टर किसान
इस मामले में अफसरों का कहना है कि प्रदेश के कई जिलों में खाद लेने के लिए किसानों की जो लाइन दिखती है, उसमे अधिकांश किसान डिफाल्टर होते हैं। कर्जमाफी नहीं होने से डिफाल्टर हुए इन किसानों को भी खाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है , लेकिन उसके लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है, जिसमें समय लगता है। उनका कहना है कि निजी दुकानों में कतारें क्यों नहीं लग रही हैं? क्योंकि वहां नकद में खरीदी ही की जा सकती है। 30 प्रतिशत खाद प्राइवेट दुकानों से बिक रही है। 50 प्रतिशत सोसाटियों और बाकी मार्कफेड के माध्यम से बिक्री की जा रही है। साढ़े चार हजार समितियां हैं, इनमें कहीं-कहीं ही कुछ समस्या आ जाती है। विभाग में अधिकारियों की कमी है जिसकी वजह से भी मॉनीटरिंग पर प्रभाव पड़ रहा है।
इस माह नौ लाख एमटी खाद मंगाया
उधर, किसानों की मांग को देखते हुए इस माह किसानों को देने के लिए कुल नौ लाख एमटी खाद मंगाया गया है, जिसमें 7 लाख मीट्रिक टन यूरिया , 2 लाख मीट्रिक टन डीएपी है। विभाग का अनुमान है कि रबी सीजन में 20 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 8.50 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग रह सकती है। इसी तरह से बीते माह प्रदेश में मंगाए गए 5.60 लाख एमटी यूरिया में से तीन लाख एमटी और  4 लाख एमटी डीएपी में से करीब ढाई लाख एमटी बांटा जा चुका है।

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