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भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार द्वारा खाद की र्प्याप्त उपलब्धता के दावों के बीच इस बार रबी फसलों के लिए किसान डीएपी और अब यूरिया खाद के लिए बेहद परेशान चल रहे हैं। इसके चलते अब प्रदेश में शिव सरकार नई व्यवस्था बनाने जा रही है, जिससे किसान को घर बैठकर ही फोन पर यह पता लग जाएगा कहां पर कितना और कौन सा खाद का स्टॉक है। इससे न तो किसान को खाद के लिए जगह-जगह भटकना पड़ेगा और न ही सरकार की छवि खराब होगी। इसमें खास बात यह रहेगी खाद का वितरण करने वाली सहकारी समितियों व अन्य सरकारी एजेंसी के कर्मचारी भी गड़बड़ नहीं कर सकेंगे। अभी प्रदेश में हालात यह हैं कि केंद्र सरकार से लगातार खाद की आपूर्ति होने के बाद भी वितरण व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। इसकी वजह से सहकारी समितियों के बाहर किसानों की लंबी लाइनें लग रही हैं। इससे नाराज होकर किसान कई जगहों पर तो आए दिन धरना प्रदर्शन के अलावा चक्का जाम तक करने से पीछे नहीं रह रहे हैं। इस व्यवस्था में सुधार के लिए ही अब इस तरह की नई व्यवस्था करने जा रही है। इसमें किसानों को एसएमएस के माध्यम से यह पता चलेगा कि राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के किस गोदाम पर कितना खाद उपलब्ध है। इसके आधार किसान समितियों पर दबाव बना सकेंगे कि जब गोदाम में खाद है तो वे उसे वितरित क्यों नहीं करा रहे हैं। वहीं, जो किसान समितियों के डिफाल्टर हैं, वे सीधे नकद में खाद खरीद सकेंगे। दरअसल प्रदेश में रबी फसलों की बोवनी होने के साथ ही अब यूरिया की मांग में तेजी आयी है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक समितियों के माध्यम से अब तक तीन लाख 94 हजार टन से ज्यादा यूरिया की बिक्री की जा चुकी है। करीब 40 हजार टन यूरिया समितियों के पास उपलब्ध है। जबकि, पिछले साल इसी अवधि तक तीन लाख 78 हजार 187 टन यूरिया किसानों को उपलब्ध कराया गया था। वहीं, डीएपी दो लाख 30 हजार 67 टन विक्रय किया जा चुका है। पिछले साल दो लाख पांच हजार 800 टन डीएपी किसानों ने इस अवधि तक लिया था। 19 हजार 200 टन डीएपी अभी भी समितियों के पास उपलब्ध है। राज्य के अधिकांश हिस्सों में बोवनी का काम समाप्त हो चुका है। अब किसानों को यूरिया की जरूरत आने वाली है। यही वजह है कि प्रदेश सरकार ने इस माह के लिए केन्द्र से सात लाख टन यूरिया की मांग की है।