समिट: फूल बास्केट से बनेंगे किसान मालामाल

किसान मालामाल

मसाला-सब्जी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर खास फोकस

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के किसानों के लिए प्रदेश सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस नए कदम से खासतौर पर उन किसानों को फायदा होगा , जो फल व सब्जी की खेती करते हैं। इनमें वे किसान अधिक हैं जिनके पास खेती की जमीन कम है और उससे ही अपना जीवन यापन करते हैं। उनकी आय वृद्धि के मकसद से ही इस बार सरकार ने इंदौर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में मसाला, सब्जी व फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री पर फोकस करना तय किया है। इसके लिए सरकारी स्तर पर जो पंच लाइन तय की गई है , उसे मध्यप्रदेश इंडिया का फूड बास्केट नाम दिया गया है। इस समिट में फल सब्जी के बाद दूसरे नम्बर पर खाद्यान और तीसरे नम्बर पर मिल्क से जुड़े उत्पाद तय किए गए हैं। दरअसल मप्र ऐसा राज्य है जिसमें, फल स्ब्जी बहुतायत में होते हैं। यही नहीं कुछ मसाले तो ऐसे हैं जिनके उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। समिट में ढाई हजार से अधिक उद्योगों के रजिस्ट्रेशन होने की संभावना है। इस समिट में टाटा, बिड़ला, अंबानी व अडानी जैसे देश के नामी उद्योगपतियों को भी राज्य सरकार आमंत्रित करने जा रही है। उद्योग विभाग के अधिकारी इनकी कंपनियों के मुख्य लोगों से बातचीत करेंगे। इस वर्ष प्रदर्शनी का क्षेत्र पिछले वर्षों 2018 और 2019 की समिट की तुलना में 30 फीसदी से ज्यादा बढ़ाने की तैयार की जा रही हैं। इन्वेस्टर्स समिट से पहले बदलाव करेगी। इसके लिए अलग- अलग सेक्टरों से जुड़े उद्योगों से नीति में बदलाव के संबंध में सुझाव लिए जा रहे हैं। विभागीय अफसर विभिन्न सेक्टर से जुड़े उद्योगों के कर्ताधर्ताओं के साथ लगातार बैठक कर रहे हैं। उद्योगपतियों के सुझावों पर भी नीति में अमल किया जाएगा। नीति का प्रकाशन इन्वेस्टर्स समिट से पहले किया जाएगा।
सात गुना हो चुकी है वृद्धि
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लगातार उद्यानिकी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है। अधिक से अधिक किसान उद्यानिकी फसलों की खेती करें इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं, जिसके तहत किसानों को बागवानी फसलों की खेती पर प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है । उद्यानिकी उत्पादन बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सभी जिलों के लिए एक जिला -एक उत्पाद योजना को लागू किया है। राज्य में वर्ष 2006 में उधानिकी फसलों का कुल रकबा 4 लाख 69 हजार हेक्टेयर था, जो अब बढ़कर 23 लाख 43 हजार हेक्टेयर हो गया है। इसी अवधि में उधानिकी फसलों का उत्पादन भी 42 लाख 98 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर अब सात गुना से अधिक 340 लाख 31 हजार मीट्रिक टन हो गया है ।
उद्यानिकी में शीर्ष 5 प्रदेशों में शामिल
राज्य सरकार ने मसाला तथा उधानिकी फसलों की संभावना को देखते हुए राज्य में बढ़ावा दिया है । वर्ष 2018 के उधानिकी राष्ट्रीय सांखियकी में मध्य प्रदेश ने देश के कुल 8123.87 हजार मीट्रिक टन मसाला उत्पादन में 1191.81 हजार मीट्रिक टन का योगदान किया है। यह देश के सकल मसाला उत्पादन का 14.67 प्रतिशत है, जो अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है । सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में देश के कुल 184394.51 हजार मीट्रिक टन उत्पादन मध्य प्रदेश ने 17545.48 हजार मीट्रिक टन सब्जी का योगदान कर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के बाद तीसरा स्थान प्राप्त किया है । इसी तरह से प्रदेश में औषधीय एवं सुगंधित फूलों की खेती जो मात्र 15 हजार 650 हेक्टेयर में होती थी, जो अब 42 हजार 956 हेक्टेयर में हो रही है । यह देश के कुल उत्पादन का 10.15 प्रतिशत है । इसी प्रकार देश के कुल 97357.51 हजार मीट्रिक टन फल उत्पादन में 7416.91 हजार मीट्रिक टन योगदान कर मध्यप्रदेश देश के कुल उत्पादन में 7.62 प्रतिशत हिस्सा है ।
आॅनलाइन अनुमति की ब्रांडिंग
समिट में उद्योगों को आॅनलाइन आवेदन से मिलने वाली जमीन और अनुमतियों की ब्रांडिंग की जाएगी। अनुमतियों को लेकर जो टाइम लाइन तय की है, उसे आधार बनाया जाएगा, क्योंकि इस तरह की व्यवस्था अन्य राज्यों में कम है। उद्योगों की मदद के लिए विंग बनाई गई है, जो उद्योगपतियों व सरकार के बीच में सेतु का काम करेगी।
एक जिला-एक उत्पाद योजना में शामिल फसलें
केंद्र सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजना के तहत मध्य प्रदेश में फसलों के अनुसार जिलों का निर्धारण कर दिया गया है । एक जिला एक उत्पाद के अनुसार मध्य प्रदेश के आगर-मालवा और राजगढ़ में संतरा , नींबू अलीराजपुर, धार और सिवनी में सीताफल, अनुपूर, बैतूल, उमरिया, सीधी और सिंगरौली में आम अशोकनगर, दमोह, दतिया, झाबुआ, कटनी, रायसेन, सागर, सतना और शिवपुरी में टमाटर , बालाघाट, डिंडोरी और मंडला में कोदो/कुटकी निवाड़ी, बए़वानी और टीकमगढ़ में अदरक , भिंड में बाजरा, भोपाल, होशंगाबाद, सीहोर और श्योपुर मेंअमरुद , बुरहानपुर में केला , छतरपुर में पान , छिदंवाडा, देवास, ग्वालियर और इंदौर में आलू , गुना व नीमच में धनिया, हरदा, शाजापुर, खण्डवा, उज्जैन और विदिशा में प्याज , जबलपुर में मटर, खरगौन में मिर्च, मंदसौर और रतलाम में लहसुन, मुरैना में सरसों , नरसिंहपुर में गन्ना , शहडोल और रीवा में हल्दी और पन्ना में आंवला फसल तय की गई है।

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