- नए साल में शिवराज सरकार लागू करने जा रही नई व्यवस्था
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र आज भले ही देश का सबसे बड़ा अनाज उत्पादक राज्य बन गया है, लेकिन आज भी यहां घटिया बीज के कारण किसानों को चपत लगती है। ऐसे में सरकार नए साल में किसानों के लिए चेको एप शुरू करने जा रही है। इस एप से महंगा बीज खरीदने के बाद भी फसल खराब होने की समस्या से किसानों को जल्द ही निजात मिलेगी। इसके लिए शिवराज सरकार नई व्यवस्था लागू करने जा रही है। इसमें राज्य बीज विकास निगम से जो बीज किसानों को सहकारी समितियों, विक्रय केंद्र, विपणन संघ या सरकारी योजनाओं के माध्यम से दिया जाएगा, उसके बैग पर क्यूआर कोड (क्विक रिस्पांस कोड) होगा। इस कोड को चेको एप के माध्यम से देखने पर बीज की पूरी कुंडली पता चल जाएगी। खरीफ और रबी फसलों की बुवाई शुरू होते ही प्रदेश में अमानक बीजों की बिक्री भी शुरू हो जाती है। प्रदेश में अक्सर घटिया बीज की आपूर्ति की शिकायतें किसान करते हैं। सहकारी समितियों को बीज निगम द्वारा बीज की आपूर्ति की जाती है जो सदस्य किसानों को बतौर सामग्री ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं। बीज की गुणवत्ता को लेकर उठने वाले प्रश्नों से निगम की साख भी प्रभावित होती है और किसानों को नुकसान भी होता है। इसे देखते हुए सरकार ने तय किया है कि बीजों की गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए तकनीक का सहारा लिया जाएगा। निगम किसानों से बीज उत्पादन कार्यक्रम के तहत दिए गए बीज को वापस लेकर किसानों को विक्रय करता है।
बैग पर क्यूआर कोड अनिवार्य
अब जो भी बीज विक्रय किया जाएगा, उसके बैग पर क्यूआर कोड होगा। इससे बीज की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए निगम ने चेको एप तैयार किया है। संचालक कृषि और निगम की प्रबंध संचालक प्रीति मैथिल का कहना है कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में कई नवाचार किए जा रहे हैं। इसके तहत बीजों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नई व्यवस्था बनाई है। हम जो बीज किसान को देते हैं, वो पूरी तरह से प्रमाणित है, इसकी जानकारी किसान स्वयं ले सकेगा। इसके लिए प्रत्येक बीज के बैग पर एक क्यूआर कोड होगा, जिसके माध्यम से किसान यह पता लगा सकेगा कि जो बीज उसने लिया है, उसे किस किसान ने उत्पादित किया है, उसकी गुणवत्ता कैसी है और वो बीज प्रमाणीकरण संस्था से प्रमाणित है या नहीं। इससे बीज को लेकर जो शिकायत आती है, वो दूर हो जाएगी।
क्यूआर कोड से जान सकेंगे बीज की कुंडली
बैग पर क्यूआर कोड को चेको एप के माध्यम से देखने पर बीज की पूरी कुंडली पता चल जाएगी। बीज किस किसान द्वारा उत्पादित है और यह बीज प्रमाणीकरण संस्था से प्रमाणित है या नहीं आदि की जानकारी मिलेगी। इसके अंकुरण की क्षमता सहित अन्य जानकारी किसान पता कर सकेंगे। इससे बीज की गुणवत्ता तो सुनिश्चित होगी ही प्रमाणित बीज के नाम पर होने वाली गड़बड़ी पर भी रोक लगेगी। बीज निगम डेढ़ लाख क्विंटल से अधिक चना, गेहूं, सरसों, सोयाबीन, मसूर, अलसी, अरहर आदि के प्रमाणित बीज उपलब्ध कराता है। दरअसल, निगम किसानों को बीज विकास कार्यक्रम के तहत बीज उपलब्ध कराता है। बीज तैयार करने के बाद उसे किसानों से लिया जाता है और फिर प्रसंस्करण के बाद किसानों को बोवनी के लिए दिया जाता है। किसान को बीज तैयार करने के लिए जो बीज दिया, उसके उत्पादन का पता भी निगम द्वारा लगाया जाएगा ताकि यह न हो कि प्रमाणित बीज के नाम पर गड़बड़ी की जाए। निगम के अधिकारियों द्वारा खेतों का सत्यापन भी कराया जाएगा।
01/01/2022
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