किसानों को अतिवृष्टि से लगा करोड़ों का फटका

अतिवृष्टि

– किसानों को अतिवृष्टि से लगा करोड़ों का फटका

भोपाल/गणेश पाण्डेय/  बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में इस माह हुई भारी बारिश ने कई जिलों के किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। अब खेतों में भरा पानी तेजी से कम हो  रहा है, लेकिन उसमें लगी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। अनुमान लगाया जा रहा है की बारिश की वजह से किसानों को करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है, जबकि अभी यह आंकड़ा और बढ़ना तय है।  इसकी वजह है जो फसल बच भी गई, तो अब वह सड़ने की स्थिति में पहुंच गई है। किसानों को केवल फसल से ही नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि उनके मकानों को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है। इस तरह की स्थिति का सबसे अधिक सामना रायसेन, विदिशा, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, राजगढ़, गुना, शाजापुर, होशंगाबाद समेत कई जिलों में करना पड़ रहा है। भारी बारिस की वजह से कई जिलों में जलप्लावन की स्थिति बन गई थी। जिसकी वजह से लोगों को सेना के हेलीकाप्टर से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना पड़ा। इससे बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। इस नुकसान के आंकलन के लिए जल्दी ही केंद्रीय दल प्रदेश का दौरा करने आ रहा है।
फसलों के झड़ने लगे फूल
खरीफ सीजन में बोई जाने वाली फसल सोयाबीन, मक्का, मूंग, उड़द में इस समय फूल आना शुरू हो गए थे , भारी बारिश के कारण फूल झड़ गए है। जिन पौधों में कली बन चुकी है, उसे बाढ़ के पानी तबाह का दिया। नदी नालों व नर्मदा नदी एवं बेतवा नदी के तटीय क्षेत्रों के खेतों में बाढ़ का पानी भर गया था। जिससे लगातार चौबीस घंटे बाढ़ का पानी रहने से पौधे गल गए । वहीं कीचड़ की गाद पौधों पर जम गई है, जिसका नतीजा सोयाबीन की फसल के फूल झड़ने के साथ ही कली भी नष्ट हो गई है। गाद के कारण सोयाबीन फसल में अब दोबारा से फूल आने की संभावना समाप्त हो गई है। इससे किसानों को भारी नुकसान होना तय है, इसके अलावा अब फसलों पर रोगों का भी हमला तेजी से हो रहा है। जिससे किसानों को दोनों तरफ से नुकसान का सामना करना पड़ेगा। एक तो पहले मौसम ने फसलों को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, तो वहीं अब खरीफ की फसलों पर कीटों व पीला मोजेक का खतरा बढ़ने से फसलें नष्ट होने की कगार पर है।
मुख्यमंत्री कर चुके हैं मुआवजा की घोषणा
जिलों में बाढ़ आदि से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरबीसी-6 के तहत मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने बाढ़ग्रस्त  गांवों में पहुंचकर लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में खुद मदद की थी। अब उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों से इस नुकसान की भरपाई के लिए रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। मुख्यमंत्री चौहान के निर्देश पर राजस्व विभाग ने सभी संबंधित कलेक्टरों से प्रत्येक ऐसे गांवों में राजस्व अमले को भेजकर नुकसान की पूरी जानकारी लेने को कहा है। इसके बाद से ही कलेक्टरों ने क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे कराना शुरू कर दिया है। उक्त सभी जिलों में चूंकि बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। ऐसे में सर्वे में अधिक समय लग सकता है।
अभी भी सामान्य नहीं हो पाए हालात
सभी जिलों में बड़े पैमाने पर क्षति हुई है। विदिशा व रायसेन जिले में तो अब भी सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाई है। हजारों की संख्या में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। वे सभी लोग अपने अपने गांवों में लौट गए हैं, किंतु कई गांवों की यह हालात है कि लोगों के घर बह गए, कई के मकान धराशायी हो गए। काफी संख्या में मवेशी भी बहे हैं। घर बह जाने की वजह से ग्रामीणों को गांव में रहने के लिए स्थान तक नहीं है। जिन गांवों में बाढ़ ने कहर बरपाया था, उन गांवों में यह स्थिति है कि घरों में कीचड़ व गाद जमा है। लोग वापस होने के बाद उसकी सफाई में जुटे हैं। इसके साथ ही फसलों को काफी क्षति हुई है। इन सभी का सर्वे व नुकसान के आंकलन में कम से कम एक महीने से भी ज्यादा समय लगने की संभावना है।

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