रकबे का हुआ सर्वे बोनस के इंतजार में किसान

  • रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना

विनोद उपाध्याय
मप्र में कोदो कुटकी की फसल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना के तहत घोषणा की है कि वह किसानों से मिलेट्स नहीं खरीद पाई है, परंतु इसके बाद भी सरकार किसानों को बोनस देगी। इसके लिए सरकार ने मिलेट्स के रकबे का सर्वे करा लिया है, लेकिन किसानों को बोनस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। गौरतलब है कि रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना के तहत किसानों को 3900 रुपए प्रति हेक्टेयर का बोनस दिया जाएगा। पहले सरकार को अनुमान था कि किसानों को करीब 40 करोड़ रुपए बोनस दिया जाएगा। लेकिन सर्वे के बाद तथ्य सामने आया है कि अब सरकार को 60 करोड़ रुपए बोनस देना होगा। मिलेट्स की 16 प्रमुख किस्में हैं। इनमें कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा, रागी, लघु बाजरा, प्रोसो बाजरा आदि शामिल हैं। मिलेट्स कैल्शियम, आयरन और फाइबर से भरपूर होता है। यह पहली बार हो रहा है कि सरकार अनाज खरीदे बिना किसानों को बोनस देगी। सरकार का मकसद राज्य के किसानों को मिलेट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित करना है। योजना में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने और किसानों से उचित दाम पर खरीदी का काम किया जाना है। सरकार ने मिलेट्स की खरीदी को लेकर ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए मिलेट्स फेडरेशन का गठन किया है। अधिकारियों के अनुसार, कोदो-कुटकी का उत्पादन 900 किलो प्रति हेक्टेयर है। इसमें करीब 60 प्रतिशत का उपयोग किसान बिक्री और खाने-पीने में करते हैं। बाकी मिलेट्स को सरकार को बेचेंगे। बता दें देश में मिलेट्स के उत्पादन के मामले में राजस्थान पहले स्थान पर है। एमपी सातवें पायदान पर है। मंडला-डिंडोरी और जबलपुर में कोदो-कुटकी का उत्पादन हो रहा है। इस बेल्ट को मिलेट्स का कटोरा कहते है।
डेढ़ लाख हेक्टेयर में मिलेट्स की खेती
सर्वे में प्रदेश में करीब डेढ़ लाख हेक्टेयर में मिलेट्स की बुवाई का आंकड़ा सामने आया है। इस तरह सरकार को लगभग 60 करोड़ रुपए की बोनस राशि का वितरण किसानों को करना है। सरकार ने  किसानों को दिसंबर में बोनस का वितरण करने की तैयारी की थी, लेकिन उन्हें अब तक बोनस नहीं दिया गया है। प्रदेश में वर्ष 2023 के मुकाबले 2024 में मिलेट्स का रकबा एक लाख हेक्टेयर से बढक़र 1.50 लाख हेक्टेयर हो गया है। मिलेट्स फेडरेशन के सीईओ बलराम विश्वकर्मा का कहना है कि संभवत:अप्रैल में किसानों को बोनस का भुगतान कर दिया जाएगा।  बता दें कि देश में मिलेट्स के उत्पादन में राजस्थान टॉप पर है। मिलेट्स उत्पादन में एमपी का सातवां स्थान है। जबलपुर संभाग में मुख्यत: मंडला-डिंडोरी और जबलपुर जिले के कुंडम क्षेत्र में कोदो-कुटकी का उत्पादन हो रहा है। इस बेल्ट को मिलेट्स का कटोरा कहा जाता है।
धान उत्पादकों को मिलेगा 850 करोड़ बोनस
भाजपा ने विधानसभा चुनाव-2023 के संकल्प पत्र में किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने का वादा किया था। मप्र सरकार सरकार ने बाद में न्यूनतम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस देने की बजाय किसानों को बोवनी के रकबे के हिसाब से प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनवरी में धान उत्पादक किसानों को 2 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर बोनस देने की घोषणा की थी। सरकार ने एक मार्च को यह राशि 2 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर करने की घोषणा की थी। धान उत्पादक किसानों को 850 करोड़ रुपए का बोनस दिया जाना है, लेकिन उन्हें अब तक बोनस का भुगतान नहीं किया जा सका है। सरकार ने विपणन वर्ष 2024-25 में 6 लाख 69 हजार किसानों से 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन 43 लाख 52 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया है।
प्रति किलो 10 रुपए बोनस
प्रदेश के मिलेट्स (कोदो-कुटकी) उत्पादक किसानों को छह महीने से प्रोत्साहन राशि (बोनस) मिलने का इंतजार है। सरकार प्रदेश में मिलेट्स के रकबे का सर्वे भी करा चुकी है, लेकिन किसानों के खाते में अब तक बोनस की राशि ट्रांसफर नहीं हुई है। ऐसे ही प्रदेश के धान उत्पादक किसान भी बोनस मिलने की आस लगाए बैठे हैं। दरअसल 3 जनवरी 2024 को जबलपुर में हुई कैबिनेट की बैठक में रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी गई थी। बैठक में मिलेट्स का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रति किलो 10 रुपए बोनस देने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद सरकार ने मिलेट्स की खरीदी से लेकर इसके प्रसंस्करण, ब्रांडिंग व मार्केटिंग के लिए मिलेट्स फेडरेशन का गठन किया था।  फेडरेशन के गठन में देरी से कोदो-कुटकी की खरीदी, इसके परिवहन, स्टोरेज आदि की व्यवस्थाएं नहीं हो पाईं। इसे देखते हुए सरकार ने अक्टूबर में कोदो-कुटकी की खरीदी किए बगैर ही किसानों को प्रति हेक्टेयर 3900 रुपए बोनस देने का निर्णय लिया था।
किसान 31 तक करा सकते हैं रजिस्ट्रेशन
प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं का उपार्जन शुरू हो गया है। साथ ही गेहूं उपार्जन के लिए रजिस्ट्रेशन भी जारी है। किसान 31 मार्च तक रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन मप्र सरकार 2600 रुपए प्रति क्विंटल गेहूं खरीद रही है। एमएसपी पर सरकार किसानों को 175 रुपए प्रति क्विंटल बोनस देगी।

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