भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा सरकार और सहकारी बैंकों के गले की हड्डी बन गया है। दरअसल किसान अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उनका कर्ज माफ होगा। यही वजह है कि पिछली कांग्रेस सरकार में किसान कर्ज माफी से अब किसान फसल ऋण लेने के बाद उसे चुकाने से पीछे हट रहे हैं। प्रदेश में हर साल करीब तीस से चालीस प्रतिशत किसान सहकारी बैंकों से कर्ज लेकर उसे वापस नहीं लौटा रहे हैं। ऐसे में अब जिला सहकारी बैंक और समितियों की वित्तीय स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। उल्लेखनीय है कि सरकार हर साल किसानों को तेरह से चौदह हजार करोड़ रुपये जीरो प्रतिशत ब्याज पर फसल ऋण देती है। जबकि वसूली के आंकड़े इससे काफी कम हैं। इस साल किसानों से सिर्फ 67 प्रतिशत की ही वसूली हो पाई है।
लाखों किसान हो जाएंगे डिफाल्टर
प्रदेश के सागर, जबलपुर, रीवा ग्वालियर संभागों में ऋण वसूली नहीं होने के मामले में स्थिति ज्यादा खराब है। यहां करीब बीस प्रतिशत से भी अधिक राशि डूबत खाते में जा रही है। ऐसे में बैंक और सहकारी समितियां डिफाल्टर हो रही है। माना जा रहा है कि यदि यही हालात रहे तो आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सहकारी बैंक 2018 जैसी स्थिति में पहुंच जाएंगे। वहीं लगभग बीस लाख किसान डिफाल्टर हो जाएंगे।
करोड़ों का कर्ज देती हैं सहकारी बैंकें
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के 38 जिला सहकारी बैंकों के माध्यम से हर साल 28 लाख किसानों को लोन मुहैया कराया जाता है। जबकि पूरे प्रदेश में हर साल सिर्फ पांच से सात लाख लोग ही रुपए वापस करते हैं। इससे किसानों को खाद, बीज और फसल ऋण नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति में किसान लगभग पंद्रह प्रतिशत की ब्याज दर पर साहूकारों से ऋण लेने को मजबूर होते हैं।
वसूली में आगे है खरगोन जिला सहकारी बैंक
बहरहाल खरगोन जिला सहकारी बैंक हर साल किसानों को लगभग ढाई हजार करोड़ रुपए का कर्ज देता है और सौ प्रतिशत वसूली करता है। हालांकि इंदौर और उज्जैन संभाग के सहकारी बैंक भी ऋण वसूली में अन्य बैंकों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रहते हैं।
03/09/2021
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