भोपाल/गौरव चौहान/ /बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है जहां पर शायद ही कोई छोटी से लेकर बड़ी परियोजना कभी समय पर पूरी होती हो। यही वजह है कि प्रदेश की लगभग हर परियोजना के पूरा होते -होते उसकी लागत बढ़ जाती है। ऐसे मामलों में सरकार व अफसर पूरी तरह से मस्त बने रहते हैं। लगभग यही हालत प्रदेश की सिंचाई परियोजनाओं की भी है। प्रदेश में बीते दस सालों में सिंचाई परियोजनाओं की लागत में तीन गुना वृद्वि हो चुकी है , जिसका नुकसान किसानों को होना तय है।
इसकी वजह से उनकी सिंचाई लागत भी बढ़ गई है। इससे अब सरकार की खेती को लाभ का ध्ांधा बनाने की नियत पर भी सवाल खड़े होने गले हैं। इस मामले में विभाग से लेकर सरकार तक का तर्क है कि किसानों को भूमि अधिग्रहण के बदले अब चार गुना राशि देने सहित नहर प्रणाली की अपेक्षा पाइपलाइन आधारित सिंचाई प्रोजेक्ट का निर्माण किया जाना हैं। हालत यह है कि इस लागत के बढ़ने े की वजह से किसानों को अब 1,200 रुपए हेक्टेयर जल दर की राशि का भुगतान करना पड़ रहा है। मप्र में 11वीं पंचवर्षीय योजना 2012 में 5.07 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित करने पर लागत 8,715 करोड़ रुपए आती थी, लेकिन 12वीं पंचवर्षीय योजना में 5.41 लाख हेक्टेयर में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण पर लागत 21,827 करोड़ हो गई। अब 2022 में 5.89 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित करने पर लागत 23,406 करोड़ रुपए आ रही है। वैसे 2021-22 में सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण के लिए सरकार ने 7,595 करोड़ का बजट जारी किया था, लेकिन अफसर इसमें से महज 5,072 करोड़ रुपए ही खर्च कर सके हैं। इससे समझा जा सकता है कि प्रदेश में सरकार की इस बेहद महत्वपूर्ण काम का क्या हाल है। यही वजह है कि राज्य सरकार वर्तमान में 60 लाख हेक्टेयर में सिंचाई क्षमता विकसित करने के दावे कर रही है, जबकि जल संसाधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 में 35.83 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई रकबा निर्मित हुआ। इसमें से करीब 34 लाख हेक्टेयर में सिंचाई हो सकी।
किसानों को देना पड़ रहा चार गुना कर
किसानों को एक साल पहले तक पलैवा सहित फसल में पानी देने के लिए प्रति एकड़ साल भर में 350 रुपए देना पड़ता था, लेकिन अब एक साल के लिए उन्हें 1200 रुपए जल दर की राशि देनी होगी। हालांकि सब्जी और फल आदि के लिए सिंचाई दरें 900- रुपए प्रति एकड़ तक हैं।
विभाग बता रहा भू-अर्जन को बड़ी वजह
भू-अर्जन के कारण भी चार गुना मुआवजा किसानों को देना पड़ता है। कई बार किसानों को विशेष पैकेज भी देना पड़ता है, जिसके कारण सिंचाई परियोजनाओं की लागत में वृद्धि हुई है। जहां तक किसानों की बात हैं, तो अभी केवल सूक्ष्म योजनाओं में ही जल दर की राशि बढ़ाई गई है। साथ ही निर्माण लागत में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।
यह बताई जा रही है वजह
सिचाई योजनाओं की लागत बढ़ने की वजहों में माना जा रहा है कि पहले बांध के साथ मिट्टी की नहरों का निर्माण होता था, लेकिन अब नहरों का निर्माण सीमेंट कांक्रीट से किया जाने लगा है। इसी तरह से अब नहर व्यवस्था समाप्त कर पाइपलाइन आधारित सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू किए जा रहे हैं। पाइपलाइन आधारित प्रोजेक्ट के कारण लागत में अप्रत्याशित वृद्धि हुई ।
16/06/2022
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