समर्थन मूल्य पर गेंहू बेंच कर… तिहरा नुकसान उठा रहे किसान

गेंहू
  • एक पखवाड़े बाद भी नहीं हुआ भुगतान, लेना पड़ रहा है कर्ज

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार भले ही किसान हितैषी होने के कितने भी दावे करे, लेकिन उसके अफसर ही सरकार के इन दावों को परवान नहीं चढ़ने दे रहे हैं। ऐसा ही मामला समर्थन मूल्य पर गेहूं और चना की खरीदी का। खरीदी शुरू होने से पहल सरकार द्वारा दावा किया गया था कि उपज का उपार्जन होने के तीन दिन के अंदर किसानों के खातों में भुगतान कर दिया जाएगा , लेकिन एक पखवाड़े के बाद भी किसानों के हाथ खाली के खाली बने हुए हैं।
ऐसा नहीं की इस तरह का हाल गेंहू के मामले में है , बल्कि चना के मामले में भी यही हाल बनें हुए हैं। इसकी वजह से किसानों को तिहरा नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालत यह है कि त्यौहारी व शादी ब्याह का सीजन होने के बाद भी किसानों के पास पैसा न होने की वजह से उन्हें साहूकारों से कर्ज लेना पड़ रहा है। यही नहीं बैंको का कर्ज तय समय में नहीं चुका पाने की वजह से अब उन्हें ब्याज का भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा समर्थन मूल्य बाजार के भाव से कम होने से यह नुकसान अलग से उठाना पड़ रहा है। इधर, जिम्मेदार अफसरों का कहना है कि भुगतान में हो रही देरी की वजह तकनीकी परेशानी का आना है। सरकार द्वारा प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर समेत 37 जिलों में 4 अप्रैल से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू की गई है, जबकि  इंदौर-उज्जैन संभाग के 15 जिलों में 28 मार्च से खरीदी शुरू की गई है। अब तक प्रदेश में 2 लाख किसानों से 19.50 लाख मैट्रिक टन गेहूं की खरीदी की जा चुकी है। इसके लिए किसानों को 2600 करोड़ का भुगतान होना है। भोपाल की बात करें तो यहां पर करीब 11 हजार किसानों के द्वारा 1 लाख 22 हजार मैट्रिक टन गेहूं बेचा गया है, लेकिन उनमें से किसी भी किसान को भुगतान नहीं किया गया है। इन्हें एक पर्ची जरुर पकड़ा दी जाती है और 15 दिनों बाद भुगतान का भरोसा दिलाया जाता है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में जो 16 मई तक गेहूं का उपार्जन किया जाना है। विभाग का कहना है कि प्रदेश में पहली बार भुगतान आधार बेस्ड किया जा रहा है। इससे कुछ तकनीकी दिक्कत आ रही है, जिसकी वजह से एनआईसी भोपाल और दिल्ली के बीच काम किया जा रहा है एक-दो ने दिनों में किसानों के खाते में भुगतान शुरू हो जाएगा।
चना का भुगतान 23 दिन बाद भी नहीं
प्रदेश सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर चने की खरीदी इस साल 28 मार्च से की जा रही है, लेकिन जिन किसानों के चने समर्थन मूल्य में तुल चुके हैं उनके खाते में 23 दिन बीत जाने के बाद भी उपार्जन की राशि नहीं आयी है। वहीं आदिम जाति संस्था सोसायटी द्वारा तय कर्ज भरने की अंतिम तारीख 15 अप्रैल भी निकल चुकी है, जो किसान अपना कर्ज नहीं भर पाए वे अब परेशान है, कारण 15 अप्रैल तक आदिम जाति संस्थाओं द्वारा तो 7 प्रतिशत सालाना ब्याज दर लगेगी एवं 16 तारीख से 12 प्रतिशत ब्याज दर के साथ किसानों से वसूली की जाएगी। जिन किसानों ने चना समर्थन मूल्य में 30 मार्च को बेचा है, उनके खातों में राशि नहीं डाली गई है। ऐसे तमाम किसानों ने मांग की है कि सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीदे गए चने का पैसा उनके खाते में जल्द डाला जाए। एवं आदिम जाति सस्था द्वारा कर्ज वसूली की तारिख को भी आगे बढ़ाया जाए तकि 12 प्रतिशत की ब्याज दर से बचा जा सकेगा।
गेहूं का निर्यात पहुंचा ढाई लाख टन तक
प्रदेश में गेहूं की फसल आने के बाद से अब तक ढाई लाख टन गेहूं का निर्यात किया जा चुका है। इसे गुजरात और आंध्र प्रदेश के बंदरगाहों से बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम भेजा गया है। इसमें सर्वाधिक 97 हजार 887 टन गेहूं इंदौर से निर्यात किया गया है। इसके अलावा जबलपुर, उज्जैन, हरदा, छिंदवाड़ा और दतिया के व्यापारियों ने भी गेहूं भेजा है। इससे उत्साहित प्रदेश सरकार अब मिस्र, फिलीपिंस, जिम्बाब्वे सहित अन्य देशों में भी निर्यात की संभावनाओं पर तेजी से काम कर रही है। गौरतलब है कि बीते साल प्रदेश से कुल पौने दो लाख टन कृषि उपज और उससे जुड़े उत्पाद ही निर्यात हुए थे। इसमें भी चावल की मात्रा सर्वाधिक एक लाख 27 हजार टन थी। निर्यात बढ?े से इसका लाभ किसानों के साथ-साथ सरकार को भी होना तय है। यही वजह है कि सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। इसके लिए मंडी शुल्क में छूट देने के साथ रेलवे की रैक और बंदरगाहों पर स्थान उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। 26 लाख टन गेहूं के लिए रैक पाइंट पर भंडारण की व्यवस्था की गई है। अब तक 87 रैक गेहूं बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, विएतनाम भेजा जा चुका है।

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