महंगी खाद खरीदने को मजबूर हो रहे किसान

किसान
  • खरीफ की बुवाई की तैयारियां शुरू, स्टॉक पर्याप्त, रेट तय नहीं इसलिए…

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। खरीफ सीजन में खाद की कमी के कारण किसानों को परेशानी न हो, इसलिए इस बार सरकार ने दुकानवार बिक्री के आधार पर खाद का अग्रिम भंडारण कर लिया है। पिछले साल जून में जो खपत हुई थी, उसकी पूर्ति मई में ही जिलेवार कर दी गई है। यूरिया तो जुलाई तक की पहुंचा दी गई है। कोशिश है कि बोवनी के समय किसान को डीएपी, एनपीके, सिंगल सुपर फास्फेट और यूरिया के लिए भटकना न पड़े। उधर किसानों ने भी खरीफ फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन सरकार ने अभी सिंगल सुपर फास्फेट का रेट तय नहीं किया है ऐसे में किसान महंगी खाद खरीदने को मजबूर हो रहे है।
     वर्ष 2021 में डीएपी की कमी हुई तो  केंद्र और प्रदेश सरकारों ने विकल्प के रूप में किसानों को सिंगल सुपर फास्फेट डालने का सुझाव दिया था। इसे अपनाने से किसानों को लाभ हुआ। मानसून से पहले सिंगल सुपर फास्फेट छिड़काव के लिए समितियों से मांगा तो उन्हें कहा जा रहा है कि अभी दरें तय नहीं हैं। इसलिए शासन से ऑर्डर भी नहीं हुए हैं। इसके चलते किसान परेशान हैं। मालूम हो कि पिछले साल पोटाश (एमओपी) इसका रेट 850 रुपए प्रति 50 किलोग्राम था, इस साल उसका रेट बाजार में 1700 रुपए पहुंच गया है। इसकी भी बाजार में उपलब्धता नहीं है। दूसरा, सिंगल सुपर फास्फेट पिछले साल दानेदार 300 रुपए प्रति 50 किलो और पावडर स्वरूप 270 रुपए बिका। इस साल अभी तक दरें निर्धारित नहीं हैं।
    एसएसपी की दर तय नहीं
    मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि खाद की कालाबाजारी की शिकायत नहीं आनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में इस वर्ष खरीफ सीजन के लिए 25 लाख 50 हजार टन खाद की आवश्यकता होगी। यूरिया 13 लाख व डीएपी 11 लाख टन लगेगी। कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि पिछले साल जुलाई में यूरिया की जो खपत हुई थी, उससे अधिक की पूर्ति की जा चुकी है। कुछ जिलों में खपत के मुकाबले दोगुना तक खाद पहुंच गई है। इसे पड़ोस के जिले में पहुंचाया जाएगा। जिलों में आंतरिक व्यवस्था बनाने का दायित्व कलेक्टरों को दिया गया है। एनपीके 70 हजार टन उपलब्ध है। उधर, सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) की दर अभी तक तय नहीं हुई है। केंद्र सरकार ने अधिकतम चार सौ रुपये बोरी दर रखने के लिए कहा है, पर राज्य सहकारी विपणन संघ ने 470 रुपये की दर प्रस्तावित की है। इस मामले में मार्कफेड के प्रबंध संचालक  पी. नरहरि का कहना है कि किसान आश्वस्त रहें, सिंगल सुपर फास्फेट की भरपूर उपलब्धता को लेकर कुछ इश्यू आ रहा था, जिसका समाधान बैठक कर निकाल लिया गया। सरकार की ओर से इसके रेट निर्धारण की प्रक्रिया एक से दो दिन में पूरी हो जाएगी। आदेश भी निकल जाएंगे। इसके बाद सहकारी समितियों से वितरण शुरू हो जाएगा।
    केन्द्र से 10 लाख टन खाद की डिमांड
    खरीफ की बोवनी के लिए। सरकार ने केंद्र से 10 लाख टन खाद की मांग की है। वर्तमान में सरकार के पास 4 लाख टन से ज्यादा खाद जमा है। खरीफ की बोवनी के लिए करीब 14 लाख टन खाद की जरूरत होती है। बोवनी की शुरुआत में किसानों को डीएपी खाद की जरूरत ज्यादा होती है। खरीफ में 130 लाख हेक्टेयर में बोवनी की जाती है। खरीफ की बोवनी में सबसे ज्यादा यूरिया खाद की जरूरत होती है। सरकार के पास यूरिया की उपलब्धता करीब साढ़े तीन लाख टन से अधिक है। किसानों की मांग के अनुसार जून में डीएपी खाद की 33 हजार मीट्रिक टन की जरूरत होंगी। वर्तमान में उपलब्धता 1 लाख 98 से अधिक है। यूरिया तीन लाख 90 हजार के आस पास उपलब्धता है। मांग 3 हजार मीट्रिक टन है।

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